नोएडा. आज के समय में देश और दुनिया के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा साइबर अपराध हो रहा है. साइबर अपराध रोकने के लिए प्रशासन की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही. साइबर अपराध की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश में दो साइबर थानों को बनाए जाने की घोषणा 3 साल पहले की गई थी. इसमें एक साइबर थाना लखनऊ में खोला गया और दूसरा साइबर थाना नोएडा में खोला गया.
लखनऊ में साइबर थाने को बेहतर बनाया गया, क्योंकि वो प्रदेश की राजधानी में खोला गया. वहीं, नोएडा में साइबर थाने को नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर-36 स्थित जन सुविधा केंद्र में बनाया गया है. यहां सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में थाना चल रहा है. सामान से लेकर मैन पावर तक की कमी है और इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.
3 साल से जन सुविधा केंद्र में चल रहे साइबर थाने में इंटरनेट से लेकर कंप्यूटर तक और सीटीआर विश्लेषण से लेकर डाटा रिकवरी टूल तक तमाम ऐसे आवश्यक संसाधन हैं, जिनका साइबर थाने में अभाव है. साइबर थाने मैं पासवर्ड ब्रेक टूल और लिसनिंग तक की भी सुविधा नहीं है. साथ ही जिन्हें साइबर अपराध की विवेचना करनी है, उनकी भी कमी है. पूरे साइबर थाने में सिर्फ 2 इंस्पेक्टर हैं, जबकि कम से कम 5 होने चाहिए. वहीं 6 सब इंस्पेक्टर और करीब 16 कांस्टेबल तैनात हैं.
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नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर थाने में पहले 25 लाख रुपये से ऊपर तक के साइबर अपराध को देखने का आदेश था. वहां तैनात कर्मचारियों की मानें तो अब इसे एक लाख रुपये तक कर दिया गया है. नोएडा के साइबर थाने ने पिछले 3 साल में कई बड़े कार्य किए, जिसकी तारीफ आला अधिकारियों ने पूरे प्रदेश में की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने थाने के हाल की सुध लेने की जहमत अब तक नहीं उठाई. बता दें कि साइबर थाने में अब साइबर महिला अपराध के भी मामले देखने का कार्य शुरू किया गया है. एक महिला साइबर डेस्क भी बनाया गया है.
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नोएडा के सेक्टर 36 साइबर थाने की मॉनिटरिंग पूरी तरीके से लखनऊ से की जाती है. जीडी से लेकर हर कार्य को करने से पूर्व लखनऊ साइबर थाने से अनुमति लेनी होती है, क्योंकि सभी आला अधिकारी लखनऊ में तैनात हैं. नोएडा के साइबर थाने पर किसी भी राजपत्रित अधिकारी के तैनात ना होने के चलते कोई भी कर्मचारी कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने यह जानकारी दी कि साइबर थाने में जो बेसिक चीजें होनी चाहिए, उसका भी अभाव है. इसके संबंध में आला अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक किसी ने कोई आदेश नहीं दिया है. साथ ही थाने की बिल्डिंग के लिए नोएडा प्राधिकरण सहित लखनऊ में उच्चाधिकारियों के संज्ञान में दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई नई जगह निर्धारित नहीं हुई है. थाने में शौचालय से लेकर बैठने वाले स्थान तक की स्थिति यह है कि शायद ही किसी थाने में इस तरह का हाल होगा.