ETV Bharat / state

जन सुविधा केंद्र में चल रहा साइबर थाना, संसाधनों का है अभाव

नोएडा में साइबर थाना, नोएडा प्राधिकरण के जन सुविधा केंद्र में चल रहा है. यहां सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में थाना चल रहा है. इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. वहीं, साइबर थाने में अब साइबर महिला अपराध के भी मामले देखने का कार्य शुरू किया गया है. एक महिला साइबर डेस्क भी बनाया गया है.

नोएडा में संसाधनों के अभाव में चल रहा साइबर थाना.
नोएडा में संसाधनों के अभाव में चल रहा साइबर थाना.
author img

By

Published : Jul 20, 2021, 5:53 AM IST

नोएडा. आज के समय में देश और दुनिया के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा साइबर अपराध हो रहा है. साइबर अपराध रोकने के लिए प्रशासन की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही. साइबर अपराध की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश में दो साइबर थानों को बनाए जाने की घोषणा 3 साल पहले की गई थी. इसमें एक साइबर थाना लखनऊ में खोला गया और दूसरा साइबर थाना नोएडा में खोला गया.

नोएडा में संसाधनों के अभाव में चल रहा साइबर थाना.

लखनऊ में साइबर थाने को बेहतर बनाया गया, क्योंकि वो प्रदेश की राजधानी में खोला गया. वहीं, नोएडा में साइबर थाने को नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर-36 स्थित जन सुविधा केंद्र में बनाया गया है. यहां सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में थाना चल रहा है. सामान से लेकर मैन पावर तक की कमी है और इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.

3 साल से जन सुविधा केंद्र में चल रहे साइबर थाने में इंटरनेट से लेकर कंप्यूटर तक और सीटीआर विश्लेषण से लेकर डाटा रिकवरी टूल तक तमाम ऐसे आवश्यक संसाधन हैं, जिनका साइबर थाने में अभाव है. साइबर थाने मैं पासवर्ड ब्रेक टूल और लिसनिंग तक की भी सुविधा नहीं है. साथ ही जिन्हें साइबर अपराध की विवेचना करनी है, उनकी भी कमी है. पूरे साइबर थाने में सिर्फ 2 इंस्पेक्टर हैं, जबकि कम से कम 5 होने चाहिए. वहीं 6 सब इंस्पेक्टर और करीब 16 कांस्टेबल तैनात हैं.

पढे़ं: बुराड़ी विधानसभाः लाखों की आबादी के लिए सिर्फ एक कूड़ाघर, खुले में कूड़ा डालते हैं लोग

नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर थाने में पहले 25 लाख रुपये से ऊपर तक के साइबर अपराध को देखने का आदेश था. वहां तैनात कर्मचारियों की मानें तो अब इसे एक लाख रुपये तक कर दिया गया है. नोएडा के साइबर थाने ने पिछले 3 साल में कई बड़े कार्य किए, जिसकी तारीफ आला अधिकारियों ने पूरे प्रदेश में की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने थाने के हाल की सुध लेने की जहमत अब तक नहीं उठाई. बता दें कि साइबर थाने में अब साइबर महिला अपराध के भी मामले देखने का कार्य शुरू किया गया है. एक महिला साइबर डेस्क भी बनाया गया है.

पढे़ं: Ground Report: 2 दशक से बदहाल है तिगीपुर गांव का सामुदायिक भवन, बना असामाजिक तत्वों का अड्डा

नोएडा के सेक्टर 36 साइबर थाने की मॉनिटरिंग पूरी तरीके से लखनऊ से की जाती है. जीडी से लेकर हर कार्य को करने से पूर्व लखनऊ साइबर थाने से अनुमति लेनी होती है, क्योंकि सभी आला अधिकारी लखनऊ में तैनात हैं. नोएडा के साइबर थाने पर किसी भी राजपत्रित अधिकारी के तैनात ना होने के चलते कोई भी कर्मचारी कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने यह जानकारी दी कि साइबर थाने में जो बेसिक चीजें होनी चाहिए, उसका भी अभाव है. इसके संबंध में आला अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक किसी ने कोई आदेश नहीं दिया है. साथ ही थाने की बिल्डिंग के लिए नोएडा प्राधिकरण सहित लखनऊ में उच्चाधिकारियों के संज्ञान में दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई नई जगह निर्धारित नहीं हुई है. थाने में शौचालय से लेकर बैठने वाले स्थान तक की स्थिति यह है कि शायद ही किसी थाने में इस तरह का हाल होगा.

नोएडा. आज के समय में देश और दुनिया के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा साइबर अपराध हो रहा है. साइबर अपराध रोकने के लिए प्रशासन की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही. साइबर अपराध की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश में दो साइबर थानों को बनाए जाने की घोषणा 3 साल पहले की गई थी. इसमें एक साइबर थाना लखनऊ में खोला गया और दूसरा साइबर थाना नोएडा में खोला गया.

नोएडा में संसाधनों के अभाव में चल रहा साइबर थाना.

लखनऊ में साइबर थाने को बेहतर बनाया गया, क्योंकि वो प्रदेश की राजधानी में खोला गया. वहीं, नोएडा में साइबर थाने को नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर-36 स्थित जन सुविधा केंद्र में बनाया गया है. यहां सुविधाओं और संसाधनों के अभाव में थाना चल रहा है. सामान से लेकर मैन पावर तक की कमी है और इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.

3 साल से जन सुविधा केंद्र में चल रहे साइबर थाने में इंटरनेट से लेकर कंप्यूटर तक और सीटीआर विश्लेषण से लेकर डाटा रिकवरी टूल तक तमाम ऐसे आवश्यक संसाधन हैं, जिनका साइबर थाने में अभाव है. साइबर थाने मैं पासवर्ड ब्रेक टूल और लिसनिंग तक की भी सुविधा नहीं है. साथ ही जिन्हें साइबर अपराध की विवेचना करनी है, उनकी भी कमी है. पूरे साइबर थाने में सिर्फ 2 इंस्पेक्टर हैं, जबकि कम से कम 5 होने चाहिए. वहीं 6 सब इंस्पेक्टर और करीब 16 कांस्टेबल तैनात हैं.

पढे़ं: बुराड़ी विधानसभाः लाखों की आबादी के लिए सिर्फ एक कूड़ाघर, खुले में कूड़ा डालते हैं लोग

नोएडा के सेक्टर 36 स्थित साइबर थाने में पहले 25 लाख रुपये से ऊपर तक के साइबर अपराध को देखने का आदेश था. वहां तैनात कर्मचारियों की मानें तो अब इसे एक लाख रुपये तक कर दिया गया है. नोएडा के साइबर थाने ने पिछले 3 साल में कई बड़े कार्य किए, जिसकी तारीफ आला अधिकारियों ने पूरे प्रदेश में की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने थाने के हाल की सुध लेने की जहमत अब तक नहीं उठाई. बता दें कि साइबर थाने में अब साइबर महिला अपराध के भी मामले देखने का कार्य शुरू किया गया है. एक महिला साइबर डेस्क भी बनाया गया है.

पढे़ं: Ground Report: 2 दशक से बदहाल है तिगीपुर गांव का सामुदायिक भवन, बना असामाजिक तत्वों का अड्डा

नोएडा के सेक्टर 36 साइबर थाने की मॉनिटरिंग पूरी तरीके से लखनऊ से की जाती है. जीडी से लेकर हर कार्य को करने से पूर्व लखनऊ साइबर थाने से अनुमति लेनी होती है, क्योंकि सभी आला अधिकारी लखनऊ में तैनात हैं. नोएडा के साइबर थाने पर किसी भी राजपत्रित अधिकारी के तैनात ना होने के चलते कोई भी कर्मचारी कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने यह जानकारी दी कि साइबर थाने में जो बेसिक चीजें होनी चाहिए, उसका भी अभाव है. इसके संबंध में आला अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक किसी ने कोई आदेश नहीं दिया है. साथ ही थाने की बिल्डिंग के लिए नोएडा प्राधिकरण सहित लखनऊ में उच्चाधिकारियों के संज्ञान में दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई नई जगह निर्धारित नहीं हुई है. थाने में शौचालय से लेकर बैठने वाले स्थान तक की स्थिति यह है कि शायद ही किसी थाने में इस तरह का हाल होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.