फिरोजाबाद: ताज संरक्षित इलाके में बढ़ती प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी) वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने की तैयारी में है. विभाग ने वैक्यूम क्लीनर मशीनों के जरिये उन स्थानों को चिह्नित कर लिया है, जहां से ज्यादा मात्रा में धूल उड़कर प्रदूषण का कारण बनती है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद पीसीबी योजना को अमली जामा पहनाने में जुट गया है.
1996 में बंद हुए थे कोयले से संचालित कारखाने
फिरोजाबाद शहर ताज संरक्षित इलाके में आता है. ताज को प्रदूषण से बचाने के लिए व्यापक पहल हुयी है. साल 1996 से पहले फिरोजाबाद में कारखाने कोयले से चलते थे. जब ताज के संरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने कोयले से चलने वाली इकाइयों को बंद कराने के साथ ही उन्हें नेचुरल गैस देने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद कारखानों को गैस तो मिल गयी, लेकिन प्रदूषण को लेकर लगातार सवाल उठते रहे. सुहाग नगरी फिरोजाबाद में आज भी प्रदूषण बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
तीन स्थानों पर मिले धूल के कण
सर्दी के मौसम में आसमान में धूल की परत बन जाना आम बात हो गयी है. इस समस्या के समाधान के लिए कोर्ट के आदेश पर पराली को जलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है. अब इस समस्या पर काबू पाने के लिए उड़ती धूल पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इस बात का पता लगाया है कि जनपद में किस स्थान से सबसे ज्यादा धूल उड़कर हवा में मिल जाती है. पीसीबी ने इस समस्या की जड़ में जाने के लिए वैक्यूम क्लीनर मशीन से शहर में 10 स्थानों पर मिट्टी कणों की जांच की. जांच में तीन स्थान ऐसे मिले, जहां सबसे ज्यादा धूल के कण थे. यह कण 75 माइक्रोन या फिर उससे कम वजन के हैं. इन इलाकों में एसएन मार्ग, राजा का ताल और आसफाबाद चौराहा शामिल है.
यह कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौरसिया का कहना है कि इस रिपोर्ट को जिलाधिकारी को भेजा जाएगा. साथ ही इन स्थानों पर पानी के छिड़काव के लिए नगर निगम को पत्र लिखा जाएगा. साथ ही तेज रफ्तार से चलने वाले वाहनों की रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए यातायात पुलिस को भी चिट्ठी लिखी जाएगी.