फिरोजाबाद: 13 ग्राम सभाओं को मिलाकर शहर को नगर निगम का दर्जा तो दे दिया गया है, लेकिन शहर की आबादी को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. इन इलाकों में कच्ची गलियां हैं, जिनमें जलभराव की समस्या भी रहती है. ग्रामीण काफी समय से मांग कर रहे हैं कि इन इलाकों में विकास हो, लेकिन नगर निगम का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है.
सात साल पहले नगर निगम का मिला था दर्जा
4 अगस्त 2014 में फिरोजाबाद शहर को नगर निगम का दर्जा दिया गया था. इससे पहले शहर के आसपास की 13 ग्राम पंचायतों को नगर पालिका की सीमा में शामिल किया गया था. इन इलाकों को जब नगर निगम में शामिल किया गया तो उम्मीद थी कि इन इलाकों का विकास होगा. नगर निगम को सरकार से विकास के लिए भारी भरकम धनराशि भी मिली, लेकिन इन उपेक्षित और नई आबादी वाले इलाकों में विकास की रफ्तार धीमी है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि गंदगी को दूर करने के लिए कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
इसे भी पढ़ें : कागजों में सिमटा रामपुर गांव का विकास
आलम यह है कि यहां की गलियां तक कच्ची हैं, गलियों में गहरे-गहरे गड्ढे हैं. जिसमें जलभराव रहता है. लोग अपने घरों से निकलने में गुरेज करते हैं. लोगों को घरों से निकलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गलियों में कोई वाहन तक नहीं जा सकता है. मामले में नगर आयुक्त विजय कुमार का कहना है कि 14वें और 15वें वित्त आयोग से जो धनराशि मिली है, उससे नगर निगम हर वॉर्ड में विकास करा रहा है.