फिरोजाबाद: जिला मुख्यालय पर विकास भवन परिसर में पंचवटी और नवग्रह वाटिका स्थापित करने के उद्देश्य से पौधे लगाए गए थे, लेकिन एक साल में ही पूरा प्रोजेक्ट अनदेखी का शिकार हो गया. उद्यान विभाग अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को संरक्षित नहीं कर सका.
दरअसल धार्मिक और पौराणिक मान्यता है कि पंचवटी के नीचे बैठने से मन को शांति मिलती है. यही वजह है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि पंचवटी में बैठकर ही तपस्या करते थे. नवग्रह वाटिका की भी धार्मिक मान्यता है कि जहां वाटिका स्थापित की जाती है, वहां पर दोष नहीं रहता. साथ ही खुशहाली बनी रहती है.
इन वाटिकाओं में शनि का प्रतीक शमी पौधा रोपित किया जाता है. वहीं सूर्य का प्रतीक आंक पौधे को माना जाता है. इसी तरह अन्य ग्रहों के प्रतीक पलाश, लटजीरा, गूलर, कुश एवं मदार के पौधे लगाए जाते हैं. पंचवटी में आंवला, अशोक, पीपल, बरगद और बेल के पौधे रोपित किये जाते हैं.
फिरोजाबाद जिले में भी विकास भवन के परिसर में अगस्त 2019 को नवग्रह वाटिका और पंचवटी के पौधे रोपित भी किये गए. बाकायदा इन पौधों को ट्री गार्ड से भी संरक्षित किया गया और उनकी पहचान के लिए तख्तियां भी लगाई गयीं थी. यह ड्रीम प्रोजक्ट खुद कृषि और उद्यान विभाग का था, लेकिन उद्यान विभाग अपने ही प्रोजक्ट को संरक्षित नहीं कर सका.
देखरेख और रख रखाव के अभाव में पौधे सूख गए. इन पौधों के संरक्षण के लिए ट्री गार्ड तक गायब हो गए. मौके पर अब केवल एक पीपल का ही पेड़ ही बचा है. वहीं इस मामले पर जिला उद्यान अधिकारी विनय कुमार यादव मानने को तैयार नहीं कि पौधे विलुप्त हो गए हैं. उनका कहना है कि लगाए गए सभी पौधे सही हैं, सिर्फ घास में विलुप्त हो गए हैं.