फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य महकमे की बदहाली कभी दूर नहीं हुई. यही हाल फिरोजाबाद जिले के सरकारी अस्पताल का है. जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. हालात यह हैं कि जिले भर में कोई भी हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. डॉक्टर के न होने से जहां एक ओर हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है तो वहीं मेडिको-लीगल केसों के साथ उम्र के सत्यापन से जुड़े काम नहीं हो पा रहे हैं. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने डॉक्टर की तैनाती को लेकर अपर स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया है. साथ ही एक डॉक्टर की तत्काल तैनाती की मांग भी की है, लेकिन अभी किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई है. हालांकि, मेडिकल कॉलेज में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मेडिकल कॉलेज सहयोग नहीं कर रहा है.
फिरोजाबाद जिले की सीमा से सटे हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ एक अन्य हाईवे भी गुजरता है. यहां से आए दिन सड़क हादसों की खबरें आती रहती हैं. इन हादसों में जहां तमाम लोग अपनी जान गवां देते हैं तो वहीं कई लोगों की हड्डियों में फ्रैक्चर के केस आते रहते हैं. अब सवाल उठता है कि सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज कहां हो? कहने को तो फिरोजाबाद में कई सरकारी अस्पताल, पीएचसी और सीएचसी मौजूद हैं, लेकिन इन अस्पतालों में इलाज का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. जिले में हड्डी रोग विशेषज्ञ के न होने के कारण फ्रैक्चर वाले मरीजों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ता है, यहां से भी मरीजों को मेडिकल कॉलेज आगरा रेफर कर दिया जाता है.
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इसके अलावा डॉक्टरों और हड्डी रोग एक्सपर्ट्स की कमी से जूझते अस्पताल को विकलांग सर्टिफिकेट बनाने के साथ-साथ किसी विशेष मामले में उम्र के सत्यापन में स्वास्थ्य विभाग को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. अभी हाल ही में नसीरपुर थाना पुलिस एक किशोरी को उम्र के सत्यापन के लिए लाई थी, लेकिन डॉक्टर न होने के कारण पुलिस के साथ पीड़ित लड़की को पांच दिनों तक भटकना पड़ा था. मामले की गंभीरता को भांपते हुए सीएमओ ने अपर निदेशक स्वास्थ आगरा को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने बताया था कि हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर न होने से तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन से सहयोग नहीं मिल रहा है. सीएमओ ने एक डॉक्टर की तैनाती की मांग भी की थी, लेकिन अभी किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई.
इस संबंध में जब ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने जिला अस्पताल के सीएमओ डॉ. दिनेश कुमार प्रेमी से बात की तो उनका कहना है कि जिले में कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने कारण अपर स्वास्थ्य निदेशक को पत्र लिखा गया था. वहीं, हमारी एक पीएचसी में एक डॉक्टर आकाश गौतम तैनात थे जिनके बारे में जानकारी नहीं थी. हालांकि, वह विशेषज्ञ तो नहीं हैं, लेकिन डी. आर्थों हैं. उन्हें नगला-बरी पर तैनात कर दिया गया है. अब संभवत: कोई दिक्कत नहीं होगी.