फिरोजाबाद: उप्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह ने कहा है कि सड़कों पर जो गायें घूमती हैं उनके लिए हम लोग ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग गाय छोड़ते हैं उन पर भारी भरकम दंड लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सभी उधोगपतियों को पत्र लिखकर आग्रह करेंगे कि वह गो सेवा के लिए आगे आयें और एक-एक गौशाला को गोद लें.
उप्र गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह गुरुवार को फिरोजाबाद में थे, वहां उन्होंने 100 साल पुरानी गौशाला की व्यवस्थाओं को देखा और कहा कि मुझे बड़ी खुशी है कि इस शहर में समाजसेवी लोग लंबे समय से गो सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गो सेवा आयोग का काम है कि जो गौशाला है, उन्हें एक्टिव रखना. उन्होंने बताया कि यूपी में कुल 547 गौशाला हैं जिनमें से आधी ही एक्टिव हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उनसे पहले गौशालाओं को साढ़े सात करोड़ की राशि मिली थी लेकिन उनके आने के बाद 28 करोड़ 47 लाख की धनराशि इन गौशालाओं के लिए अवमुक्त की गई है.
उन्होंने बताया कि आयोग की मंशा है कि गौशालायें आत्मनिर्भर बनें उनका जो गोबर होता है उससे कंपोस्ट खाद बनाई जाए. उन्होंने कहा कि वह सभी नगर आयुक्तों को पत्र लिखेगें कि शमशान घाटों पर गाय के गोबर का प्रयोग किया जाय, साथ ही गमले भी गाय के गोबर के बनें.
फिरोजाबाद पहुंचे उप्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष, गौशालाओं का किया निरीक्षण
उप्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह गुरुवार को फिरोजाबाद पहुंचे. जहां उन्होंने 100 साल पुरानी गोशाला की व्यवस्थाओं को देखा, साथ ही उन्होंने कहा कि सड़कों पर जो गायें घूमती हैं उनके लिए हम लोग ही जिम्मेदार हैं.
फिरोजाबाद: उप्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह ने कहा है कि सड़कों पर जो गायें घूमती हैं उनके लिए हम लोग ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग गाय छोड़ते हैं उन पर भारी भरकम दंड लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सभी उधोगपतियों को पत्र लिखकर आग्रह करेंगे कि वह गो सेवा के लिए आगे आयें और एक-एक गौशाला को गोद लें.
उप्र गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह गुरुवार को फिरोजाबाद में थे, वहां उन्होंने 100 साल पुरानी गौशाला की व्यवस्थाओं को देखा और कहा कि मुझे बड़ी खुशी है कि इस शहर में समाजसेवी लोग लंबे समय से गो सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गो सेवा आयोग का काम है कि जो गौशाला है, उन्हें एक्टिव रखना. उन्होंने बताया कि यूपी में कुल 547 गौशाला हैं जिनमें से आधी ही एक्टिव हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उनसे पहले गौशालाओं को साढ़े सात करोड़ की राशि मिली थी लेकिन उनके आने के बाद 28 करोड़ 47 लाख की धनराशि इन गौशालाओं के लिए अवमुक्त की गई है.
उन्होंने बताया कि आयोग की मंशा है कि गौशालायें आत्मनिर्भर बनें उनका जो गोबर होता है उससे कंपोस्ट खाद बनाई जाए. उन्होंने कहा कि वह सभी नगर आयुक्तों को पत्र लिखेगें कि शमशान घाटों पर गाय के गोबर का प्रयोग किया जाय, साथ ही गमले भी गाय के गोबर के बनें.