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फिर से चमका सुहाग नगरी का कांच, व्यापारियों के खिलने लगे चेहरे

दिवाली त्योहार के नजदीक आते ही सुहाग नगरी में कांच का कारोबार खूब चमक बिखेर रहा है. फिरोजाबाद में निर्मित कांच के सजावटी आइटम लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. इसके अलावा निर्यातकों को अच्छे ऑर्डर भी मिले हैं. इसकी बड़ी वजह है चीनी उत्पादों का बहिष्कार.

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कांच उद्योग में रौनक वापस लौटी.
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Published : Nov 12, 2020, 12:15 PM IST

फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला सुहाग नगरी के नाम से देश-विदेश में अपनी पहचान रखता है. यह शहर चूड़ी उत्पादन के लिए सुहाग नगरी के नाम से मशहूर है. दरअसल, यहां आकर्षक कांच उत्पादों का निर्यात होने के साथ ही कांच की चूड़ी, ग्लास आइटम तथा बोतल आदि का उत्पादन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूर परिवार जुड़े हैं. यहां कांच, चूड़ी, बोतल ग्लास, मोती आदि का उत्पादन करने वाली करीब 200 फैक्ट्रियां हैं, लेकिन कोरोना काल में सुहाग नगरी का रंग फीका पड़ गया. हालांकि अनलॉक में बाजार, फैक्ट्रियां खोली गईं और लोग वापस काम पर लौटे, जिससे एक बार फिर सुहाग नगरी का रंग चमकने लगा है.

कांच उद्योग में रौनक वापस लौटी.

चीनी उत्पादों के बहिष्कार से भारतीय व्यापारियों की बल्ले-बल्ले
15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों की झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिकों की शहादत हुई थी. तभी से चीनी उत्पादों का देश में बहिष्कार किया जा रहा है. इसलिए लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोकल फॉर लोकल होने की बात कर रहे हैं. यही कारण है कि फिरोजाबाद का कांच बाजार अपनी रौनक बिखेर रहा है. कुल मिलाकर चीनी उत्पादों के बहिष्कार से भारतीय व्यापारियों की बल्ले-बल्ले है.

लॉकडाउन में हुआ 2500 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा
फिरोजाबाद की चूड़ियां और ग्लास से बने आइटम देश ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों में अपनी पहचान रखते हैं. यहां करीब 200 एक्सपोर्टर हैं, जो कांच के समान का निर्यात करते हैं. इनमें से 150 कारोबारी सीधे निर्यात करते हैं, जबकि करीब 50 कारोबारी अप्रत्यक्ष रूप से निर्यातक हैं. एक्सपोर्टर बताते हैं कि करीब 2500 करोड़ रुपये का कांच के समान का निर्यात होता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते कांच की चमक फीकी पड़ गई. लॉकडाउन की वजह से बड़े ऑर्डर कैंसिल कर दिए गए, जिसकी वजह से कारोबारियों को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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दिवाली में बढ़ी मांग की वजह से फिरोजाबाद के कांच उद्योग से जुड़े लोगों के चेहरे पर आई रौनक.

कारोबारियों को मिला 100 करोड़ का ऑर्डर
अनलॉक की प्रक्रिया अमल में लाने के बाद फिरोजाबाद के कांच कारखानों को भी शर्तों के साथ चलाने की अनुमति मिली. अब दिवाली के त्योहार पर बाजारों में पसरा सन्नाटा छंट रहा है. इस बार कांच के आइटम की बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है, जिससे कारोबार में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. फिरोजाबाद के कारोबारियों को 100 करोड़ से अधिक के ऑर्डर मिले हैं.

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कांच उद्योग में रौनक वापस लौटी.

निर्यात कारोबारी हेमंत अग्रवाल बल्लू का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच दिवाली के त्योहार पर कारोबार में उछाल आया है. उनका कहना है कि पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र हैं, जिन्होने अनलॉक की प्रक्रिया पर समय से ध्यान दिया, जिससे मैन्युफैक्चरिंग का समय मिल सका और हम ऑर्डर पूरा कर पा रहे हैं.

फिरोजाबाद: उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जिला सुहाग नगरी के नाम से देश-विदेश में अपनी पहचान रखता है. यह शहर चूड़ी उत्पादन के लिए सुहाग नगरी के नाम से मशहूर है. दरअसल, यहां आकर्षक कांच उत्पादों का निर्यात होने के साथ ही कांच की चूड़ी, ग्लास आइटम तथा बोतल आदि का उत्पादन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूर परिवार जुड़े हैं. यहां कांच, चूड़ी, बोतल ग्लास, मोती आदि का उत्पादन करने वाली करीब 200 फैक्ट्रियां हैं, लेकिन कोरोना काल में सुहाग नगरी का रंग फीका पड़ गया. हालांकि अनलॉक में बाजार, फैक्ट्रियां खोली गईं और लोग वापस काम पर लौटे, जिससे एक बार फिर सुहाग नगरी का रंग चमकने लगा है.

कांच उद्योग में रौनक वापस लौटी.

चीनी उत्पादों के बहिष्कार से भारतीय व्यापारियों की बल्ले-बल्ले
15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों की झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिकों की शहादत हुई थी. तभी से चीनी उत्पादों का देश में बहिष्कार किया जा रहा है. इसलिए लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोकल फॉर लोकल होने की बात कर रहे हैं. यही कारण है कि फिरोजाबाद का कांच बाजार अपनी रौनक बिखेर रहा है. कुल मिलाकर चीनी उत्पादों के बहिष्कार से भारतीय व्यापारियों की बल्ले-बल्ले है.

लॉकडाउन में हुआ 2500 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा
फिरोजाबाद की चूड़ियां और ग्लास से बने आइटम देश ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों में अपनी पहचान रखते हैं. यहां करीब 200 एक्सपोर्टर हैं, जो कांच के समान का निर्यात करते हैं. इनमें से 150 कारोबारी सीधे निर्यात करते हैं, जबकि करीब 50 कारोबारी अप्रत्यक्ष रूप से निर्यातक हैं. एक्सपोर्टर बताते हैं कि करीब 2500 करोड़ रुपये का कांच के समान का निर्यात होता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते कांच की चमक फीकी पड़ गई. लॉकडाउन की वजह से बड़े ऑर्डर कैंसिल कर दिए गए, जिसकी वजह से कारोबारियों को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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दिवाली में बढ़ी मांग की वजह से फिरोजाबाद के कांच उद्योग से जुड़े लोगों के चेहरे पर आई रौनक.

कारोबारियों को मिला 100 करोड़ का ऑर्डर
अनलॉक की प्रक्रिया अमल में लाने के बाद फिरोजाबाद के कांच कारखानों को भी शर्तों के साथ चलाने की अनुमति मिली. अब दिवाली के त्योहार पर बाजारों में पसरा सन्नाटा छंट रहा है. इस बार कांच के आइटम की बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है, जिससे कारोबार में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. फिरोजाबाद के कारोबारियों को 100 करोड़ से अधिक के ऑर्डर मिले हैं.

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कांच उद्योग में रौनक वापस लौटी.

निर्यात कारोबारी हेमंत अग्रवाल बल्लू का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच दिवाली के त्योहार पर कारोबार में उछाल आया है. उनका कहना है कि पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र हैं, जिन्होने अनलॉक की प्रक्रिया पर समय से ध्यान दिया, जिससे मैन्युफैक्चरिंग का समय मिल सका और हम ऑर्डर पूरा कर पा रहे हैं.

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