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बंजर जमीन को बचाने के लिए फिरोजाबाद के इस कारोबारी ने उठाया बीड़ा, लागत मूल्य पर बेच रहे केंचुए की खाद

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Published : Jun 30, 2022, 1:37 PM IST

बंजर होती जमीन को बचाने के लिए फिरोजाबाद का कारोबारी अपने फार्म हाउस में केंचुए की जैविक खाद (earthworm organic fertilizer) तैयार कर रहा है. वह किसानों को लागत मूल्य पर बेचने की तैयारी कर रहा है.

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केंचुए की जैविक खाद के बारे की देखरेख करते ओमकार नाथ विज

फिरोजाबाद: खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद के प्रयोग से फसलों में उत्पादन बेशक ज्यादा हो रहा हो. लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. खेतों में जीवाश्म कार्बन की संख्या कम होने से जमीन के बंजर होने का खतरा मंडरा रहा है. इस खतरे को भांपते हुए फिरोजाबाद का एक कारोबारी आगे आया है. यह कारोबारी अपने फार्म हाउस में केंचुए की जैविक खाद (earthworm organic fertilizer) को तैयार कर उसे किसानों को लागत मूल्य पर बेचने को तैयार है. उसका मानना है कि इस खाद के बढ़ते प्रचलन से जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, वहीं जैविक उत्पाद से आम आदमी की सेहत सुधर सकेगी.

जमीन में कम होते जीवाश्म कार्बन की यह समस्या किसी एक जिले या फिर क्षेत्र विशेष की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है. लेकिन, फिरोजाबाद जिले के जो आंकड़े हैं, वह काफी डरावने हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, उपजाऊ जमीन के अंदर जीवाश्म कार्बन की मात्रा 0.8 से लेकर 1 प्रतिशत तक होनी चाहिए. लेकिन, बीते कुछ सालों में यह मात्रा तेजी से गिरी है.

केंचुए की जैविक खाद के बारे में जानकारी देते ओमकार नाथ विज और जिला कृषि अधिकारी रविकांत

जिला कृषि ज्ञान और विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जब मिट्टी की जांच कराई गई तो नए आंकड़ों में मिट्टी में जीवाश्म कार्बन की मात्रा महज 0.2 फीसदी ही निकली है, जो बेहद कम है और उपजाऊ जमीन के लिए खतरे की घंटी है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिस जमीन में जीवाश्म कार्बन की मात्रा घटकर शून्य फीसदी रह जाएगी. उसका मतलब है कि वह जमीन बंजर हो चुकी है और उसमें कोई भी फसल पैदा नहीं हो सकती.

यह भी पढ़ें: कार की बोनट पर बर्थडे सेलिब्रेशन, पिस्टल से केक काटकर की फायरिंग, देखें VIDEO

जिला कृषि अधिकारी रविकांत के मुताबिक, यह हालात इसलिए पैदा हो रहे हैं, क्योंकि फसल चाहे आलू ही हो, गेहूं की हो या फिर कोई अन्य, सभी फसलों में ज्यादा उपज के लिए किसान खतरनाक और रासायनिक फसलों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं. इन खादों के इस्तेमाल से कम जमीन में ज्यादा उत्पादन तो लिया जा सकता है. लेकिन, लंबे समय तक ऐसी खाद खेतों की सेहत बिगाड़ सकती है. इसलिए हम किसानों को सलाह देते हैं कि किसान ज्यादा से ज्यादा मात्रा में जैविक खाद, गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और केंचुए की खाद का इस्तेमाल करें. खेत में ढेंचा की फसल जरूर उगाएं और संभव हो तो एक दलहनी फसल जरूर उगाएं.

यह भी पढ़ें: फिरोजाबाद में पुलिस खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारंभ

खतरे की घंटी को भांपते हुए फिरोजाबाद के कारोबारी ओमकार नाथ विज ने एक बीड़ा उठाया है. ओमकार नाथ विज ने टूंडला टोल प्लाजा के पास हाईवे के किनारे स्थित अपने फार्म हाउस में केंचुए की खाद का उत्पादन शुरू किया है. इस खाद को वह इच्छुक किसानों को लागत मूल्य पर मुहैया कराएंगे. यहीं नहीं, कारोबारी ओमकार नाथ विज अपने फार्म हाउस में जैविक सब्जियां भी पैदा करते हैं. खुद भी इन सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं और फार्म हाउस से जो भी खरीदने आता है, उसे भी लागत मूल्य पर बेचते हैं. उनका कहना है कि वह इस दिशा में कृषि वैज्ञानिकों के साथ किसानों को भी जागरूक करेंगे और उन्हें ज्यादा से ज्यादा संख्या में जैविक खाद उपयोग करने की सलाह देंगे. जिला कृषि अधिकारी रविकांत का कहना है कि किसान अपनी खेती के कुछ हिस्से में जैविक खेती करें और इसके फायदों को महसूस करें.

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फिरोजाबाद: खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद के प्रयोग से फसलों में उत्पादन बेशक ज्यादा हो रहा हो. लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. खेतों में जीवाश्म कार्बन की संख्या कम होने से जमीन के बंजर होने का खतरा मंडरा रहा है. इस खतरे को भांपते हुए फिरोजाबाद का एक कारोबारी आगे आया है. यह कारोबारी अपने फार्म हाउस में केंचुए की जैविक खाद (earthworm organic fertilizer) को तैयार कर उसे किसानों को लागत मूल्य पर बेचने को तैयार है. उसका मानना है कि इस खाद के बढ़ते प्रचलन से जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, वहीं जैविक उत्पाद से आम आदमी की सेहत सुधर सकेगी.

जमीन में कम होते जीवाश्म कार्बन की यह समस्या किसी एक जिले या फिर क्षेत्र विशेष की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है. लेकिन, फिरोजाबाद जिले के जो आंकड़े हैं, वह काफी डरावने हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, उपजाऊ जमीन के अंदर जीवाश्म कार्बन की मात्रा 0.8 से लेकर 1 प्रतिशत तक होनी चाहिए. लेकिन, बीते कुछ सालों में यह मात्रा तेजी से गिरी है.

केंचुए की जैविक खाद के बारे में जानकारी देते ओमकार नाथ विज और जिला कृषि अधिकारी रविकांत

जिला कृषि ज्ञान और विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जब मिट्टी की जांच कराई गई तो नए आंकड़ों में मिट्टी में जीवाश्म कार्बन की मात्रा महज 0.2 फीसदी ही निकली है, जो बेहद कम है और उपजाऊ जमीन के लिए खतरे की घंटी है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिस जमीन में जीवाश्म कार्बन की मात्रा घटकर शून्य फीसदी रह जाएगी. उसका मतलब है कि वह जमीन बंजर हो चुकी है और उसमें कोई भी फसल पैदा नहीं हो सकती.

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जिला कृषि अधिकारी रविकांत के मुताबिक, यह हालात इसलिए पैदा हो रहे हैं, क्योंकि फसल चाहे आलू ही हो, गेहूं की हो या फिर कोई अन्य, सभी फसलों में ज्यादा उपज के लिए किसान खतरनाक और रासायनिक फसलों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं. इन खादों के इस्तेमाल से कम जमीन में ज्यादा उत्पादन तो लिया जा सकता है. लेकिन, लंबे समय तक ऐसी खाद खेतों की सेहत बिगाड़ सकती है. इसलिए हम किसानों को सलाह देते हैं कि किसान ज्यादा से ज्यादा मात्रा में जैविक खाद, गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और केंचुए की खाद का इस्तेमाल करें. खेत में ढेंचा की फसल जरूर उगाएं और संभव हो तो एक दलहनी फसल जरूर उगाएं.

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खतरे की घंटी को भांपते हुए फिरोजाबाद के कारोबारी ओमकार नाथ विज ने एक बीड़ा उठाया है. ओमकार नाथ विज ने टूंडला टोल प्लाजा के पास हाईवे के किनारे स्थित अपने फार्म हाउस में केंचुए की खाद का उत्पादन शुरू किया है. इस खाद को वह इच्छुक किसानों को लागत मूल्य पर मुहैया कराएंगे. यहीं नहीं, कारोबारी ओमकार नाथ विज अपने फार्म हाउस में जैविक सब्जियां भी पैदा करते हैं. खुद भी इन सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं और फार्म हाउस से जो भी खरीदने आता है, उसे भी लागत मूल्य पर बेचते हैं. उनका कहना है कि वह इस दिशा में कृषि वैज्ञानिकों के साथ किसानों को भी जागरूक करेंगे और उन्हें ज्यादा से ज्यादा संख्या में जैविक खाद उपयोग करने की सलाह देंगे. जिला कृषि अधिकारी रविकांत का कहना है कि किसान अपनी खेती के कुछ हिस्से में जैविक खेती करें और इसके फायदों को महसूस करें.

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