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ई-रिक्शा में शव, व्यवस्था की उठी 'अर्थी' - न आक्सीजन मिली औऱ न एंबुलेंस

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करने वाली घटना सामने आई है. जिसने भी यह घटना देखी, उसका दिल रो पड़ा.

फिरोजाबाद
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Published : May 4, 2021, 7:32 PM IST

Updated : May 4, 2021, 8:00 PM IST

फिरोजाबादः सरकारी दावे की हकीकत और राज्य की विफल चिकित्सा व्यवस्था का साक्षात नमूना देखना हो तो आप फिरोजाबाद के इस वीडियो को देखिए. मरीज के जिंदा रहते अस्पताल प्रशासन उसे ऑक्सीजन तक उपलब्ध तो करवा नहीं सका, मरने के बाद शव ले जाने के लिए वाहन तक देने में हाथ खड़े कर दिए. नतीजा, महिला अपने पति के शव को सीने से लगाए ई-रिक्शा से घर पहुंची. अस्पताल के घर के रास्ते में जिसने भी देखा, उसकी आंखें नम हो गईं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को शायद ही कोई फर्क पड़ा. यदि पड़ता तो लाइनपार थाना क्षेत्र के राम नगर निवासी आनंद प्रकाश शायद आज जिंदा होते. यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करते हैं.

ई-रिक्शा से ले जाना पड़ा शव

बुजुर्ग के बेटे करण कहते हैं कि कई घंटे अस्पताल में भर्ती रहने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिली. मौत के बाद कई घंटे इंतजार किया कि शायद किसी तरह एंबुलेंस की व्यवस्था हो जाए, लेकिन कोई व्यवस्था होती न देख मजबूरन ई-रिक्शा में शव ले जाना पड़ा. बेशक से मौत बुजुर्ग की हुई हो लेकिन 'अर्थी' तो व्यवस्थाओं की उठ गई.

पहले निजी अस्पताल में करा रहे थे इलाज
जिले के लाइनपार थाना क्षेत्र के राम नगर निवासी आनंद प्रकाश की तबीयत खराब चल रही थी. उनके परिजन प्राइवेट डॉक्टर के यहां इलाज भी करा रहे थे. सोमवार को बुजुर्ग को ज्यादा दिक्कत हुई तो उनकी पत्नी और बेटा ई-रिक्शा पर बुजुर्ग को इलाज के लिए जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर आए. अस्पताल में कुछ घंटे भर्ती रहे. फिर डॉक्टरों ने परीक्षण के उपरांत बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया. बुजुर्ग की मौत के बाद बेबस पत्नी और बेटा काफी समय तक इस आस में रहे कि उन्हें शव ले जाने के लिए शायद शव वाहन मिल जाए. जब अस्पताल प्रशासन नहीं पसीजा, तब पत्नी बुजुर्ग के शव को ई-रिक्शा में बांधकर, अपने सीने से लगाकर ले गई.

पहले भी हुई ऐसी घटना
इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी जिले के गांव जरौली निवासी शिव नारायण के साथ ऐसी संवेदनहीनता हुई थी. शिव नारायण की बेटी की, कुछ समय पहले अस्पताल में मौत हो गई थी तो उन्हें भी शव वाहन नहीं मिला. उन्हें बेटी का शव बाइक पर ही रखकर ले जाना पड़ा था.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना का दंश, बेटा निकला 'कंस'

अस्पताल प्रशासन का अनोखा जवाब
कमाल की बात है कि इस तरह की सभी घटना के संबंध में हर बार अस्पताल प्रशासन का एक ही जवाब होता है. इस बार भी कार्यवाहक सीएमएस डॉ. आलोक शर्मा ने यही कहा कि परिजन बगैर सूचित किए ही शव को ले गए, हमारे पास शव वाहन हर वक्त खड़ा रहता है.

फिरोजाबादः सरकारी दावे की हकीकत और राज्य की विफल चिकित्सा व्यवस्था का साक्षात नमूना देखना हो तो आप फिरोजाबाद के इस वीडियो को देखिए. मरीज के जिंदा रहते अस्पताल प्रशासन उसे ऑक्सीजन तक उपलब्ध तो करवा नहीं सका, मरने के बाद शव ले जाने के लिए वाहन तक देने में हाथ खड़े कर दिए. नतीजा, महिला अपने पति के शव को सीने से लगाए ई-रिक्शा से घर पहुंची. अस्पताल के घर के रास्ते में जिसने भी देखा, उसकी आंखें नम हो गईं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को शायद ही कोई फर्क पड़ा. यदि पड़ता तो लाइनपार थाना क्षेत्र के राम नगर निवासी आनंद प्रकाश शायद आज जिंदा होते. यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करते हैं.

ई-रिक्शा से ले जाना पड़ा शव

बुजुर्ग के बेटे करण कहते हैं कि कई घंटे अस्पताल में भर्ती रहने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिली. मौत के बाद कई घंटे इंतजार किया कि शायद किसी तरह एंबुलेंस की व्यवस्था हो जाए, लेकिन कोई व्यवस्था होती न देख मजबूरन ई-रिक्शा में शव ले जाना पड़ा. बेशक से मौत बुजुर्ग की हुई हो लेकिन 'अर्थी' तो व्यवस्थाओं की उठ गई.

पहले निजी अस्पताल में करा रहे थे इलाज
जिले के लाइनपार थाना क्षेत्र के राम नगर निवासी आनंद प्रकाश की तबीयत खराब चल रही थी. उनके परिजन प्राइवेट डॉक्टर के यहां इलाज भी करा रहे थे. सोमवार को बुजुर्ग को ज्यादा दिक्कत हुई तो उनकी पत्नी और बेटा ई-रिक्शा पर बुजुर्ग को इलाज के लिए जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर आए. अस्पताल में कुछ घंटे भर्ती रहे. फिर डॉक्टरों ने परीक्षण के उपरांत बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया. बुजुर्ग की मौत के बाद बेबस पत्नी और बेटा काफी समय तक इस आस में रहे कि उन्हें शव ले जाने के लिए शायद शव वाहन मिल जाए. जब अस्पताल प्रशासन नहीं पसीजा, तब पत्नी बुजुर्ग के शव को ई-रिक्शा में बांधकर, अपने सीने से लगाकर ले गई.

पहले भी हुई ऐसी घटना
इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी जिले के गांव जरौली निवासी शिव नारायण के साथ ऐसी संवेदनहीनता हुई थी. शिव नारायण की बेटी की, कुछ समय पहले अस्पताल में मौत हो गई थी तो उन्हें भी शव वाहन नहीं मिला. उन्हें बेटी का शव बाइक पर ही रखकर ले जाना पड़ा था.

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अस्पताल प्रशासन का अनोखा जवाब
कमाल की बात है कि इस तरह की सभी घटना के संबंध में हर बार अस्पताल प्रशासन का एक ही जवाब होता है. इस बार भी कार्यवाहक सीएमएस डॉ. आलोक शर्मा ने यही कहा कि परिजन बगैर सूचित किए ही शव को ले गए, हमारे पास शव वाहन हर वक्त खड़ा रहता है.

Last Updated : May 4, 2021, 8:00 PM IST
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