फतेहपुरः दहेज हत्या के मामले में जिला कोर्ट ने 8 साल बाद न्याय किया. कोर्ट ने आरोपी पति को दोषी करार देते हुए उसे 10 साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही 1 हजार रुपये के अर्थदंड भी लगाया. 2015 में पति ने दहेज के लिए पत्नी को जला दिया, जिसके बाद पीड़िता लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रही और इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई.
जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र सिंह ने बताया कि न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की कोर्ट में सोमवार को मामले की अंतिम सुनवाई हुई. मामले में 10 गवाह पेश हुए. न्यायाधीश विनोद कुमार चौरसिया ने पति विनीत तिवारी को दोषी मानते हुए सजा सुनायी. वहीं, मृतक महिला कुमकुम के चाचा सुनील कुमार अग्निहोत्री ने बताया कि भतीजी कुमकुम की शादी कल्याणपुर थाना क्षेत्र के सौंह निवासी विनीत तिवारी के साथ 27 नवम्बर 2013 को बड़ी धूमधाम से की थी. उपहार स्वरूप धन-धान्य भी दिए गए थे. परन्तु शादी के बाद से ही भतीजी के ससुरालीजन उस को अतिरिक्त दहेज में बाइक और नगदी की मांग कर रहे थे, जिसको लेकर वो लोग भतीजी को प्रताड़ित करते रहते थे.
सुनील ने बताया कि कई बार रिश्तेदारों के बीच पंचायत हुई और रिश्तेदारों के माध्यम से समझाने के बाद भी ससुरालीजन नहीं माने. वो लगातार उसे प्रताड़ित करते रहे. भतीजी प्रताड़ना सहन करती रही, क्योंकि वो इस प्रयास में थी कि उसका घर न बिखरे. जीवन आज नही तो कल सही हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शादी के 2 साल बाद 30 अप्रैल 2015 को दहेज की मांग पूरी न होने पर पति विनीत तिवारी, नंद सुमन और पड़ोस की चाची वीटोला ने आग लगाकर उनकी भतीजी कुमकुम को जला दिया. भतीजी का अस्पताल में इलाज चलता रहा. इलाज के दौरान ही कुमकुम की दर्दनाक मौत हो गई. मृत्यु से पूर्व कुमकुम ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी दिया थे. बता दें कि मामले में चाचा सुनील कुमार अग्निहोत्री की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज की गई थी. 10 वर्ष की सजा सुनते ही आरोपी पति कोर्ट में ही फूट-फूट कर रोने लगा.
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