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फतेहपुरः जैविक खेती ने बदल दी इस शक्स की जिंदगी, 3 महीने में कमाया 2 लाख रुपये

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के रहने वाले किसान रमाकांत ने जैविक खेती की तकनीक अपनाकर अपने जीवन को खुशहाल बना लिया है. रमाकांत ने तीन महीने में गोभी की फसल तैयार कर 2 लाख रुपये का लाभ कमाया है.

जैविक खेती की तकनीक
जैविक खेती की तकनीक
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Published : Dec 23, 2019, 11:56 AM IST

Updated : Dec 23, 2019, 12:22 PM IST

फतेहपुरः सरकार की नीतियों एवं मौसम की मार के कारण देश में किसानों की बदहाली की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. इस विषम परिस्थिति में भी फतेहपुर जिले में मलवा विकास खण्ड के कोरसम गांव के किसान रमाकांत द्विवेदी के चेहरे पर खुशहाली झलक रही है. रमाकांत जैविक खेती अपनाकर लाखों रुपये का लाभ कमा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.


रमाकांत रसायन रहित गोभी की फसल तैयार करते हैं. जिसकी बाजार में खूब मांग है. मंडी में थोक भाव से इनके एक गोभी की कीमत 25 रुपये है. रमाकांत बताते हैं कि बाजार में गोभी ले जाते ही कुछ समय में ही बिक जाती हैं. इस बार ढाई बीघे खेत में 30 हजार रुपये की लागत से गोभी की फसल लगाई थी. तीन महीने में फसल तैयार हो गई और कुल 2 लाख रुपये का लाभ हुआ. इसी खेत में गोभी के बाद गेंहू की भी फसल समय से तैयार हो जाएगी.

जैविक तरीके से खेती
किसान रमाकांत के पास 15 बीघे की खेती है. यह अपनी पूरी खेती जैविक तरीके से और ट्रैक्टर के बजाय बैलों से करते हैं. जैविक खाद को बाजार से खरीदने के बजाय घर पर ही तैयार करते हैं. इसके लिए बैलों के साथ-साथ इन्होंने भैंस भी रखा है और दूध का भी उत्पादन करते हैं.

अलग-अलग फसल करते हैं तैयार
किसान रमाकांत बताते हैं कि हम 3 भाई इसी खेती में लगे रहते हैं. गेंहू, धान के साथ-साथ केला, मिर्च, गोभी और बैगन की फसल तैयार करते हैं. उन्होंने कहा कि रसायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर पैसा अधिक लगता है और फसल का उत्पादन भी कम होता है.

फतेहपुरः सरकार की नीतियों एवं मौसम की मार के कारण देश में किसानों की बदहाली की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. इस विषम परिस्थिति में भी फतेहपुर जिले में मलवा विकास खण्ड के कोरसम गांव के किसान रमाकांत द्विवेदी के चेहरे पर खुशहाली झलक रही है. रमाकांत जैविक खेती अपनाकर लाखों रुपये का लाभ कमा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.


रमाकांत रसायन रहित गोभी की फसल तैयार करते हैं. जिसकी बाजार में खूब मांग है. मंडी में थोक भाव से इनके एक गोभी की कीमत 25 रुपये है. रमाकांत बताते हैं कि बाजार में गोभी ले जाते ही कुछ समय में ही बिक जाती हैं. इस बार ढाई बीघे खेत में 30 हजार रुपये की लागत से गोभी की फसल लगाई थी. तीन महीने में फसल तैयार हो गई और कुल 2 लाख रुपये का लाभ हुआ. इसी खेत में गोभी के बाद गेंहू की भी फसल समय से तैयार हो जाएगी.

जैविक तरीके से खेती
किसान रमाकांत के पास 15 बीघे की खेती है. यह अपनी पूरी खेती जैविक तरीके से और ट्रैक्टर के बजाय बैलों से करते हैं. जैविक खाद को बाजार से खरीदने के बजाय घर पर ही तैयार करते हैं. इसके लिए बैलों के साथ-साथ इन्होंने भैंस भी रखा है और दूध का भी उत्पादन करते हैं.

अलग-अलग फसल करते हैं तैयार
किसान रमाकांत बताते हैं कि हम 3 भाई इसी खेती में लगे रहते हैं. गेंहू, धान के साथ-साथ केला, मिर्च, गोभी और बैगन की फसल तैयार करते हैं. उन्होंने कहा कि रसायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर पैसा अधिक लगता है और फसल का उत्पादन भी कम होता है.

Intro:फतेहपुर- सरकार की नीतियों एंव मौसम की मार के कारण देश मे किसानों की बदहाली के स्थिति किसी से छुपी नही है। लेकिन इसी विषम परिस्थिति में फतेहपुर जिले में मलवा विकास खण्ड के कोरसम गांव के किसान रमाकांत द्विवेदी के चेहरे पर खुशहाली साफ झलक रही है। इस खुशहाली की वजह है इनके खेती से लगातार मिल रहा लाखों रुपये में लाभ। इस समय रमाकांत के खेत में गोभी की फसल तैयार है रसायन रहित होने बाजार में मांग खूब है। मंडी में थोक की भाव से इनके एक गोभी की कीमत 25 रुपये है।
रमाकांत बताते हैं कि बाजार में गोभी ले जाते ही चंद समय मे ही बिक जाती है। इस बार मैंने ढाई बीघे खेत मे 30 हजार रुपए की लागत से गोभी की फसल लगाई थी। तीन महीने में फसल तैयार हो गई।इसके कुल 2 लाख रुपए लाभ हुआ है। इसी खेत मे गोभी केबाद गेंहु की भी फसल समय से तैयार हो जाएगी।


Body:जैविक खेती बनी किसान की खुशहाली की वजह

किसान रमाकांत के पास 15 बीघे की खेती है । यह अपनी पूरी खेती जैविक तरीके से और ट्रैक्टर के बजाय बैलों से करते हैं। जैविक खाद को बाजार से ख़रीदने के बजाय घर पर ही तैयार करते हैं। इसके लिए बैलों के साथ साथ इन्होंने से भैंस भी रखा है। घर पर भारी मात्रा में गोबर भी तैयार हो जाता है इसके साथ साथ दूध का भी उत्पादन होता है।
भारतीय परम्परागत तरीका जिसमें न तो मशीनीकरण है न दूसरों पर आश्रित, न ही खेती के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता इस नीति को अपनाकर रमाकांत 15 बीघे की खेती में 5 लाख रुपये की बचत हर वर्ष कर रहें हैं।


Conclusion:किसान रमाकांत बताते हैं कि हम लोग तीन भाई इसी खेती में लगे रहते हैं। गेंहु ,धान के साथ साथ केला,मिर्च,गोभी और बैंगन की फसल तैयार करते हैं। रसायनिक खाद का इस्तेमाल करने पर पैसा भी अधिक लगता है और फसल का उत्पादन भी कम होता है ऊपर से कई तरह के रोग भी लगते रहते हैं।

अभिषेक सिंह फतेहपुर 9121293017

बॉइट रमाकांत द्विवेदी


अबिस
Last Updated : Dec 23, 2019, 12:22 PM IST
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