ETV Bharat / state

फतेहपुर में कूलर व्यवसायियों की टूटी कमर, कैसे चलेगा खर्च

एक तरफ गर्मी तो दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से लोगों की परेशानी दोगुनी बढ़ गई है, लेकिन जिनके व्यापार गर्मी के सीजन में ही चलने वाले थे, उनका तो सारा व्यापार चौपट हो गया. लॉकडाउन की वजह से कूलर और इससे संबंधित सभी व्यापारियों का जीवन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. मार्च से जून तक चलने वाले कूलर के सीजन के दौरान ही लॉकडाउन लगने से कूलर व्यवसायियों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है.

कूलर व्यवसाय को नुकसान.
कूलर व्यवसाय को नुकसान.
author img

By

Published : Jul 1, 2020, 3:14 PM IST

फतेहपुर: कोरोना महामारी से जंग और देशव्यापी तालाबंदी से व्यापार जगत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें सीजन के व्यवसायों में शामिल कूलर बिक्री, इनकी मरम्मत, घास भरने का व्यवसाय पूरी तरह चौपट रहा. कूलर की मुख्य बिक्री और मरम्मत आदि का कार्य मार्च से जून के अंत तक चलता है. लॉकडाउन के चलते घास भरकर अपना जीविकोपार्जन करने वालों के हाथ भी इस वर्ष निराशा ही लगी है.

कोरोना काल में कूलर व्यवसाय को नुकसान.

कोरोना वायरस के संकट के चलते अन्य व्यवसायों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक का व्यवसाय कमजोर रहा. दुकानदारों की माने तो जनपद में सीजन में कूलर का कुल 3.5 से 4 करोड़ तक व्यवसाय हो जाता था. इसमें करीब 2 करोड़ रुपये का ब्रांडेड कूलरों और 1.5 से 2 करोड़ का स्टील, टिन आदि के ढांचे में बने कूलरों का व्यवसाय हो जाता था, जोकि इस वर्ष 15 से 20 प्रतिशत में ही सिमट कर रह गया है. वहीं कूलर में घास भरने वाले दुकानदार भी सीजन के तीन-चार महीनों में 1.5 से 2 लाख रुपए तक कमा लेते थे, जो इस वर्ष बुरी तरह प्रभावित रहे. इसके चलते उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

खत्म हो रहा सीजन, कम हुई मांग

दुकानदारों के अनुसार, कोरोना के दौरान लोगों की आमदनी न होने के कारण अब बाजार खुलने के बाद जो ग्राहक आते हैं, वह सस्ते कूलर की मांग करते हैं. बाजार बंद होने के चलते घर में मौजूद उपकरणों से ही लोगों ने काम चला लिया और अब सीजन अंत समय पर है, तो आगे भी बिक्री की उम्मीद नहीं दिख रही है. माल पूरा डंप हो गया, जिससे पैसा भी काफी फंस गया है.

कूलर व्यवसाय में 75 प्रतिशत की कमी

कूलर का थोक व्यवसाय करने वाले डीलर सोनू गुप्ता बताते हैं कि कूलर का व्यवसाय अप्रैल से शुरू होकर जून और जुलाई तक चलता है. पिछली बार करीब 26-27 लाख का व्यवसाय हो गया था, लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के चलते दुकानें अनियमित तरीके से खुलीं और शादी-व्याह भी नहीं हुए. इसके चलते व्यवसाय में काफी नुकसान हुआ और अभी तक महज 6 से 7 लाख तक का ही व्यवसाय हो पाया है. इस वर्ष व्यवसाय में करीब 75 प्रतिशत की कमी है.

मुश्किल से चल रहा परिवार का खर्च

वह बताते हैं कि कर्मचारियों का वेतन, बच्चों की फीस, बिजली का बिल, दुकान के अन्य सभी खर्च तो चल ही रहे हैं, जिसके चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस व्यवसाय में 30-40 प्रतिशत पैसा अक्टूबर और नवम्बर माह में ही जमा हो जाता है, शेष माल आने पर देना पड़ता है. इसका नतीजा यह रहा कि माल हम लोगों ने बुक कर लिया था और समय पर बिका नहीं. इस वजह से गोडाउन का एक्स्ट्रा खर्च आ गया है. इस बार घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो रहा है.

आर्थिक स्थिति चरमराई

कूलर और पंखों की रिपेयरिंग करने वाले अतीन बताते हैं कि कूलर, पंखे की रिपेयरिंग का मुख्य सीजन मार्च से जून तक चलता है. इस बार लॉकडाउन हो जाने के कारण पूरा व्यवसाय ध्वस्त हो गया है और आर्थिक स्थिति बिल्कुल बेकार हो गई है. अभी भी काम बिल्कुल बेकार चल रहा है. घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. पिछले वर्षों में काम अच्छा चलता था, तो घर खर्च, बच्चों की फीस सब इसी से हो जाता था. हमारी एक 12 वर्ष की बेटी और छह वर्ष का बेटा है. इस बार आमदनी बिल्कुल नहीं है तो उनका एडमिशन कैसे होगा ये बहुत मुश्किल लग रहा है.

कूलर में घास भरकर परिवार का पोषण करने वाले बताते हैं कि इस बार लॉकडाउन के चलते काम बेकार चल रहा है. माल पूरा डंप है, न बिक रहा है और न खप रहा है. दुकान का भाड़ा, बिजली का बिल तो देना ही पड़ रहा है. ग्राहक आ ही नहीं रहे हैं. घर में पांच बच्चे हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित हो रही है. फीस नहीं भर पा रहे हैं. घर में पिता जी, चाचा-चाची, भाई-भतीजों सहित एक बड़ा परिवार है, जिनके खाने-पीने तक की समस्या हो रही है. पिछले वर्षों में इसी से कमाकर बच्चों को पढ़ा लेते थे, घर का खाना-पीना भी आराम से चलता था.

इसे भी पढ़ें- पुलिस का कारनामा: नहर से लाश निकालने के लिए नाबालिग बच्चों को दिया 170 रुपये का 'ठेका'

फतेहपुर: कोरोना महामारी से जंग और देशव्यापी तालाबंदी से व्यापार जगत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें सीजन के व्यवसायों में शामिल कूलर बिक्री, इनकी मरम्मत, घास भरने का व्यवसाय पूरी तरह चौपट रहा. कूलर की मुख्य बिक्री और मरम्मत आदि का कार्य मार्च से जून के अंत तक चलता है. लॉकडाउन के चलते घास भरकर अपना जीविकोपार्जन करने वालों के हाथ भी इस वर्ष निराशा ही लगी है.

कोरोना काल में कूलर व्यवसाय को नुकसान.

कोरोना वायरस के संकट के चलते अन्य व्यवसायों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक का व्यवसाय कमजोर रहा. दुकानदारों की माने तो जनपद में सीजन में कूलर का कुल 3.5 से 4 करोड़ तक व्यवसाय हो जाता था. इसमें करीब 2 करोड़ रुपये का ब्रांडेड कूलरों और 1.5 से 2 करोड़ का स्टील, टिन आदि के ढांचे में बने कूलरों का व्यवसाय हो जाता था, जोकि इस वर्ष 15 से 20 प्रतिशत में ही सिमट कर रह गया है. वहीं कूलर में घास भरने वाले दुकानदार भी सीजन के तीन-चार महीनों में 1.5 से 2 लाख रुपए तक कमा लेते थे, जो इस वर्ष बुरी तरह प्रभावित रहे. इसके चलते उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

खत्म हो रहा सीजन, कम हुई मांग

दुकानदारों के अनुसार, कोरोना के दौरान लोगों की आमदनी न होने के कारण अब बाजार खुलने के बाद जो ग्राहक आते हैं, वह सस्ते कूलर की मांग करते हैं. बाजार बंद होने के चलते घर में मौजूद उपकरणों से ही लोगों ने काम चला लिया और अब सीजन अंत समय पर है, तो आगे भी बिक्री की उम्मीद नहीं दिख रही है. माल पूरा डंप हो गया, जिससे पैसा भी काफी फंस गया है.

कूलर व्यवसाय में 75 प्रतिशत की कमी

कूलर का थोक व्यवसाय करने वाले डीलर सोनू गुप्ता बताते हैं कि कूलर का व्यवसाय अप्रैल से शुरू होकर जून और जुलाई तक चलता है. पिछली बार करीब 26-27 लाख का व्यवसाय हो गया था, लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के चलते दुकानें अनियमित तरीके से खुलीं और शादी-व्याह भी नहीं हुए. इसके चलते व्यवसाय में काफी नुकसान हुआ और अभी तक महज 6 से 7 लाख तक का ही व्यवसाय हो पाया है. इस वर्ष व्यवसाय में करीब 75 प्रतिशत की कमी है.

मुश्किल से चल रहा परिवार का खर्च

वह बताते हैं कि कर्मचारियों का वेतन, बच्चों की फीस, बिजली का बिल, दुकान के अन्य सभी खर्च तो चल ही रहे हैं, जिसके चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस व्यवसाय में 30-40 प्रतिशत पैसा अक्टूबर और नवम्बर माह में ही जमा हो जाता है, शेष माल आने पर देना पड़ता है. इसका नतीजा यह रहा कि माल हम लोगों ने बुक कर लिया था और समय पर बिका नहीं. इस वजह से गोडाउन का एक्स्ट्रा खर्च आ गया है. इस बार घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो रहा है.

आर्थिक स्थिति चरमराई

कूलर और पंखों की रिपेयरिंग करने वाले अतीन बताते हैं कि कूलर, पंखे की रिपेयरिंग का मुख्य सीजन मार्च से जून तक चलता है. इस बार लॉकडाउन हो जाने के कारण पूरा व्यवसाय ध्वस्त हो गया है और आर्थिक स्थिति बिल्कुल बेकार हो गई है. अभी भी काम बिल्कुल बेकार चल रहा है. घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है. पिछले वर्षों में काम अच्छा चलता था, तो घर खर्च, बच्चों की फीस सब इसी से हो जाता था. हमारी एक 12 वर्ष की बेटी और छह वर्ष का बेटा है. इस बार आमदनी बिल्कुल नहीं है तो उनका एडमिशन कैसे होगा ये बहुत मुश्किल लग रहा है.

कूलर में घास भरकर परिवार का पोषण करने वाले बताते हैं कि इस बार लॉकडाउन के चलते काम बेकार चल रहा है. माल पूरा डंप है, न बिक रहा है और न खप रहा है. दुकान का भाड़ा, बिजली का बिल तो देना ही पड़ रहा है. ग्राहक आ ही नहीं रहे हैं. घर में पांच बच्चे हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित हो रही है. फीस नहीं भर पा रहे हैं. घर में पिता जी, चाचा-चाची, भाई-भतीजों सहित एक बड़ा परिवार है, जिनके खाने-पीने तक की समस्या हो रही है. पिछले वर्षों में इसी से कमाकर बच्चों को पढ़ा लेते थे, घर का खाना-पीना भी आराम से चलता था.

इसे भी पढ़ें- पुलिस का कारनामा: नहर से लाश निकालने के लिए नाबालिग बच्चों को दिया 170 रुपये का 'ठेका'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.