फतेहपुरः जिले में कांग्रेस पार्टी के बुजुर्ग नेता प्रेमदत्त तिवारी का आज गंगा नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया गया. वे अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक रहे. प्रेमदत्त तिवारी को स्वर्गीय इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था. वे 93 साल के थे, उन्होंने लखनऊ पीजीआई में जीवन की आखिरी सांस ली. उनके निधन पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भतीजे भानू तिवारी को पत्र लिखकर पार्टी की ओर से शोक संवेदना व्यक्त की है.
नहीं रहे प्रेमदत्त तिवारी
आजीवन कांग्रेस पार्टी के वफादार रहे प्रेमदत्त तिवारी पैतृक रूप से जिले की बिंदकी तहसील के रहने वाले थे. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव 1967 में तत्कालीन खजुहा विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था. जहां से चुनाव जीतकर प्रेमदत्त तिवारी विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद हुए नये परिसीमन में 1974 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इस चुनाव में प्रेमदत्त तिवारी ने भारतीय क्रांतिदल के क्षत्रपाल वर्मा को हराया था. 1978 के हुए लोकसभा चुनाव में प्रेमदत्त तिवारी ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. इस चुनाव की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तीन दिन तक जिले में रुककर प्रेमदत्त तिवारी का प्रचार किया था. लेकिन इंदिरा विरोधी लहर के चलते प्रेमदत्त तिवारी लियाकत हुसैन से चुनाव हार गये थे. इसके बाद प्रेमदत्त तिवारी ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1989 में विधानसभा चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार भी वे नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गये.
कांग्रेस पार्टी के तेज तर्रार नेताओं में शुमार प्रेमदत्त तिवारी जिले में फौजदारी के जाने-माने अधिवक्ता थे. इस दौरान उन्होंने कई बड़े मामलों में पैरवी की और आरोपियों को सजा करवायी. वे 63 साल तक वकालत करने वाले जिले के सबसे वरिष्ठ अधिवक्ता थे. उनके निधन पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं के आदर्श थे. उनके निधन से जिले के अधिवक्ताओं ने अपना संरक्षक खो दिया है. जिले के अधिवक्ता उनके निधन के शोक में सोमवार को न्यायिक काम नहीं करेंगे. कांग्रेस पार्टी ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है.