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फतेहपुर: शिवराजपुर में स्थापित हैं मीरा के गिरधर गोपाल

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के शिवराजपुर में श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है. मान्यता के मुताबिक यह मूर्ति मीरा द्वारा स्थापित की गई थी.

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मीरा ने स्थापित किया था यहां गिरधरगोपाल.
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Published : Feb 15, 2020, 5:38 AM IST

फतेहपुर: फरवरी माह आजकल के नौजवानों को काफी आकर्षित करता है. इस माह में एक सप्ताह ऐसा होता है जो प्रेम सप्ताह के रुप में मनाया जाता है. इस प्रेम सप्ताह को वैलेंटाइन वीक कहा जाता है.

मीरा ने स्थापित किया था यहां गिरधर गोपाल.

भारतीय संस्कृति में प्रेम की महत्ता विश्व विख्यात
वहीं बात अगर प्रेम की हो रही है तो भारतीय संस्कृति में प्रेम की महत्ता विश्व विख्यात है. श्रीकृष्ण के प्रेम में सर्वस्व समर्पित करने वाली मीरा का प्रेम है. इस प्रेम का प्रतीक है फतेहपुर जिले के शिवराज में स्थित गिरधर गोपाल का मंदिर. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में गिरधर गोपाल की मूरत को मीरा ने स्थापित किया था.

इस मंदिर में मीरा ने किया था कृष्ण को स्थापित
इस मंदिर में कृष्ण की वह मूर्ति स्थापित है जिसे मीरा दिन, दोपहर और रात अपने हृदय से लगाई रहती थी. वही गिरधर शिवराजपुर में स्थापित है. इस मंदिर में गिरधर के दर्शन से पता चलता है कि प्रेम को किसी खास दिन, किसी खास उत्सव, किसी खास तारीख की जरूरत नहीं है.

मीरा के मन में कृष्ण के लिए थी अटूट चाह
प्रेम को वैलेंटाइन तक समझने वालों को कृष्ण प्रेम की साधना और समर्पण वाले मीरा के प्रेम को जानना चाहिए. जब चारों तरफ प्रेम की बात हो रही है तो मीरा की बात इसलिए हो रही है कि इन्होंने प्रेम को सतत बनाए रखा. इनके प्रेम में कृष्ण के प्रति अटूट चाह थी. ये कृष्ण को किसी भौतिक वस्तुओं से रिझा कर उनसे जुड़ना नहीं चाहती थीं. मीरा प्रेम की धारा और उस प्रेम के समर्पण को अनवरत बनाए रखते हुए कृष्ण से जुड़ी रही.

कई दिनों तक शिवराजपुर में ठहरी थी मीरा
मीरा ने कृष्ण के लिए सामाजिक रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़कर राजमहल का त्याग कर दिया. मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के साथ शिवराज में ठहरी थी. 15वीं सदी में मीरा राजघराना छोड़ अपने साथ अपने आराध्य गिरधर को लेकर चली थीं. गंगा के किनारे चलते हुए छोटी काशी शिवराजपुर में कई दिनों तक वह ठहरी थीं.

नहीं उठा पाई थीं मीरा कृष्ण की मूर्ति
मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब यहां से मीरा बनारस जाने लगीं तो गिरधर गोपाल की मूर्ति को कई बार उठाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं उठा सकीं. इससे मीरा ने मान लिया कि यह स्थान उनके आराध्य को बहुत मनोरम लगा तो बस जिस गिरधर गोपाल का मीरा आलिंगन करती रहीं उस मूरत को मीरा शिवराजपुर में स्थापित कर बनारस चली गईं.

मीरा के गिरधर गोपाल आज भी शिवराज में भक्तिमय प्रेम की रसधार प्रवाहित कर रहे हैं. यहां श्रद्धालु आते हैं और गिरधर गोपाल के दर्शन करते हैं और रूह के लक्षित प्रेम को अनुभव करते हैं.

इसे भी पढ़ें- राम मंदिर ट्रस्ट में अयोध्या के प्रमुख संतों को स्थान न देना उनका अपमान: शिवपाल सिंह यादव

फतेहपुर: फरवरी माह आजकल के नौजवानों को काफी आकर्षित करता है. इस माह में एक सप्ताह ऐसा होता है जो प्रेम सप्ताह के रुप में मनाया जाता है. इस प्रेम सप्ताह को वैलेंटाइन वीक कहा जाता है.

मीरा ने स्थापित किया था यहां गिरधर गोपाल.

भारतीय संस्कृति में प्रेम की महत्ता विश्व विख्यात
वहीं बात अगर प्रेम की हो रही है तो भारतीय संस्कृति में प्रेम की महत्ता विश्व विख्यात है. श्रीकृष्ण के प्रेम में सर्वस्व समर्पित करने वाली मीरा का प्रेम है. इस प्रेम का प्रतीक है फतेहपुर जिले के शिवराज में स्थित गिरधर गोपाल का मंदिर. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में गिरधर गोपाल की मूरत को मीरा ने स्थापित किया था.

इस मंदिर में मीरा ने किया था कृष्ण को स्थापित
इस मंदिर में कृष्ण की वह मूर्ति स्थापित है जिसे मीरा दिन, दोपहर और रात अपने हृदय से लगाई रहती थी. वही गिरधर शिवराजपुर में स्थापित है. इस मंदिर में गिरधर के दर्शन से पता चलता है कि प्रेम को किसी खास दिन, किसी खास उत्सव, किसी खास तारीख की जरूरत नहीं है.

मीरा के मन में कृष्ण के लिए थी अटूट चाह
प्रेम को वैलेंटाइन तक समझने वालों को कृष्ण प्रेम की साधना और समर्पण वाले मीरा के प्रेम को जानना चाहिए. जब चारों तरफ प्रेम की बात हो रही है तो मीरा की बात इसलिए हो रही है कि इन्होंने प्रेम को सतत बनाए रखा. इनके प्रेम में कृष्ण के प्रति अटूट चाह थी. ये कृष्ण को किसी भौतिक वस्तुओं से रिझा कर उनसे जुड़ना नहीं चाहती थीं. मीरा प्रेम की धारा और उस प्रेम के समर्पण को अनवरत बनाए रखते हुए कृष्ण से जुड़ी रही.

कई दिनों तक शिवराजपुर में ठहरी थी मीरा
मीरा ने कृष्ण के लिए सामाजिक रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़कर राजमहल का त्याग कर दिया. मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के साथ शिवराज में ठहरी थी. 15वीं सदी में मीरा राजघराना छोड़ अपने साथ अपने आराध्य गिरधर को लेकर चली थीं. गंगा के किनारे चलते हुए छोटी काशी शिवराजपुर में कई दिनों तक वह ठहरी थीं.

नहीं उठा पाई थीं मीरा कृष्ण की मूर्ति
मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब यहां से मीरा बनारस जाने लगीं तो गिरधर गोपाल की मूर्ति को कई बार उठाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं उठा सकीं. इससे मीरा ने मान लिया कि यह स्थान उनके आराध्य को बहुत मनोरम लगा तो बस जिस गिरधर गोपाल का मीरा आलिंगन करती रहीं उस मूरत को मीरा शिवराजपुर में स्थापित कर बनारस चली गईं.

मीरा के गिरधर गोपाल आज भी शिवराज में भक्तिमय प्रेम की रसधार प्रवाहित कर रहे हैं. यहां श्रद्धालु आते हैं और गिरधर गोपाल के दर्शन करते हैं और रूह के लक्षित प्रेम को अनुभव करते हैं.

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