फर्रुखाबादः जनपद के मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नीम करोली धाम देश और दुनिया में विख्यात है. यहां पर भक्तगण दूर-दूर से बाबा के मंदिर में आते हैं. जहां उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. जानकारी के मुताबिक ग्रामीण एवं मध्यम वर्ग के लोगों के अतिरिक्त मान्य एवं प्रतिष्ठित वर्ग के लोग भी बाबा के भक्त हैं. राष्ट्रपति वीवी गिरी, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, राज्यपाल कन्हैया लाल मणि, मणिकलाल मुंशी, उपराज्यपाल भगवान सहाय, न्यायमूर्ति बासुदेव मुखर्जी, डॉक्टर एल्बर्ट अमेरिका आदि लोग बाबा के भक्त थे..
बता दें कि महंत संत श्री बाबा नीमकरोली जी का जन्म ग्राम अकबरपुर जिला आगरा में अनुमानित तौर पर बीसवीं शताब्दी के आरंभ में एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था. जो लक्ष्मीनारायण बाबा के नाम से जान जाते थे. जानकारी के मुताबिक बाबा ने जब भ्रमण के लिए जनपद में प्रस्थान किया था. इसके बाद से बाबा यहीं रहे. जिसके बाद उनकी साधना की सुविधा के लिए जमीन के नीचे एक गुफा बना दी गई. बाबा दिनभर गुफा में रहते हैं. इसके बाद रात्रि के अंधेरे में बाहर निकलकर कब मैदान जाते हैं किसी ने भी उन्हें नहीं देखा है.
मौजूदा समय में प्राकृतिक कारणों से वह गुफा नष्ट हो गई है. इसके बाद इस गुफा के निकट में ही एक दूसरी गुफा का निर्माण किया गया है. इस गुफा की ऊपरी भूमि पर बाबा ने एक हनुमान मंदिर बनवाया. जिसकी प्रतिष्ठा में उन्होंने 1 महीने का महायज्ञ किया था. इस अवसर पर उन्होंने अपनी जटाएं भी उतरवा दी और मात्र एक धोती धारण कर आधी धोती पहनते और आधी ओढ़ते थे. कुछ कारणों से 18 वर्ष रहने के उपरांत बाबा ने नीमकरोली गांव को हमेशा के लिए त्याग कर इसके नाम को स्वयं धारण कर इसे विश्व विख्यात एवं अमर बना दिया.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी त्यागी जी ने बताया बाबा हनुमान के भक्त नहीं अवतार थे.उनकी लीलाएं हनुमान जी की लीलाओं से अधिक मेल खाती हैं. वे सदा हनुमान के रूप में ही पूजे गए. बाबा में भेद दृष्टि नहीं थी. वे स्वयं लोगों के घरों में जाकर अपनी आलौकिक शक्ति से उनका उद्धार करते थे.
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उन्होंने असंख्य लोगों की परवरिश कर उन्हें शिक्षा दिलाई और कितनों लोगों का विवाह करवाया. वे संतान हीनों को सन्तति सुख प्रदान करते आशीर्वाद देते थे. अवसर पड़ने पर मृत में भी प्राणों का संचार कर दिया करते थे. बाबा रोगों से छुटकारा दिलाने और संकटों से बचाने में सिद्ध थे. इस प्रकार बाबा अपने व्यापक कार्यों में सदा लगे रहते थे. बाबा के लिए असंभव कुछ भी नहीं था. एक बार दर्शन हो जाने पर सपरिवार उनका भक्त बन जाना स्वभाविक था.
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