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कागजों में जल रहे हैं अलाव, ठंड ने बढ़ाई निराश्रितों की मुश्किलें

ठंड बढ़ने के साथ ही निराश्रितों की चुनौतियां भी बढ़ने लगती हैं. चुनौती पेट भरने की, चुनौती सिर छुपाने की और चुनौती ठंठ से बचने की. प्रशासन कागजों पर इन निराश्रितों को ठंड से बचाने के लिए खूब अलाव की व्यवस्था कर रही है, मगर हकीकत कुछ और ही है. इटीवी भारत की टीम जब इसकी पड़ताल करने सड़क पर उतरी तो हकीकत सामने थी. यहां कुछ लोगों ने बताया कि जब दुकानें बंद हो जाती हैं तो वह उन दुकानों के छज्जे के नीचे रात काटते हैं.

ठंड ने बढ़ाई निराश्रितों की मुश्किलें
ठंड ने बढ़ाई निराश्रितों की मुश्किलें
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Published : Dec 15, 2021, 12:28 PM IST

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में ठंड लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में निराश्रितों के लिए अलाव सर्दी में राहत का सबसे बड़ा साधन होता है. लेकिन अगर बात करें जिले के प्रशासन की तो जिला प्रशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. जिले में निराश्रित जगह-जगह कूड़ा एकत्र कर जला कर राहत पाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. कुछ जगहों पर अलाव मात्र औपचारिकता को पूरा करने के लिए जलाए गये हैं. वहीं लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने प्रशासन और नगर पालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की ओर गंभीर कदम नहीं उठाये गए हैं.



सर्दियां शुरू होते ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलाव जलाने से लेकर कंबल वितरण किए जाने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद जिले के जिम्मेदारों ने सरकारी निर्देशों के अनुपालन के साथ ही अलाव जलाने की रिपोर्ट भेजी जाने लगी हैं ताकि पूछताछ की नौबत न आए. वास्तव में रोजी रोटी की जुगाड़ के लिए शहर का रुख करने वाले मजदूर और रिक्शा चालकों को रात में अलाव की सख्त जरूरत रहती है. फिरभी अलाव जलते कहीं नजर नहीं आते. जबकि नियम है कि रेलवे स्टेशन के बाहर, बस अड्डे के बाहर, अस्पताल परिसर के बाहर और प्रमुख चौराहों पर अलाव शाम से ही जलने चाहिए.

ठंड ने बढ़ाई निराश्रितों की मुश्किलें

यह भी पढ़ें- आज अयोध्या जाएंगे जेपी नड्डा, राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होगी पहली यात्रा



वहीं अलाव में इतनी लकड़ी और भूसी होनी चाहिए कि कम से कम 12 घंटे या रात भर जल ही जाए. लेकिन शहर में यह दूर की कौड़ी है. अलाव जल्द कहीं नजर नहीं आ रहे. वहीं ई-रिक्शा चालक और मजदूर सार्वजनिक स्थालों पर रुकने के दौरान कूड़ा करकट एकत्र कर जला लेते हैं और राहत खोजते हैं. वहीं प्रशासन द्वारा अलाव जलवाने के दावे किए जाएं तो दावे साफ तौर पर झूठे साबित हो रहे हैं. जिले में सही तौर से कहीं अलाव जलते नहीं पाए गए. ईटीवी भारत रियलिटी चेक में सबसे पहले रेलवे स्टेशन फेल हो गया. निराश्रितों का साफ कहना है कि प्रशासन के द्वारा कोई गंभीर कदम नहीं उठाये गये हैं.

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फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में ठंड लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में निराश्रितों के लिए अलाव सर्दी में राहत का सबसे बड़ा साधन होता है. लेकिन अगर बात करें जिले के प्रशासन की तो जिला प्रशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. जिले में निराश्रित जगह-जगह कूड़ा एकत्र कर जला कर राहत पाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. कुछ जगहों पर अलाव मात्र औपचारिकता को पूरा करने के लिए जलाए गये हैं. वहीं लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने प्रशासन और नगर पालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की ओर गंभीर कदम नहीं उठाये गए हैं.



सर्दियां शुरू होते ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलाव जलाने से लेकर कंबल वितरण किए जाने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद जिले के जिम्मेदारों ने सरकारी निर्देशों के अनुपालन के साथ ही अलाव जलाने की रिपोर्ट भेजी जाने लगी हैं ताकि पूछताछ की नौबत न आए. वास्तव में रोजी रोटी की जुगाड़ के लिए शहर का रुख करने वाले मजदूर और रिक्शा चालकों को रात में अलाव की सख्त जरूरत रहती है. फिरभी अलाव जलते कहीं नजर नहीं आते. जबकि नियम है कि रेलवे स्टेशन के बाहर, बस अड्डे के बाहर, अस्पताल परिसर के बाहर और प्रमुख चौराहों पर अलाव शाम से ही जलने चाहिए.

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वहीं अलाव में इतनी लकड़ी और भूसी होनी चाहिए कि कम से कम 12 घंटे या रात भर जल ही जाए. लेकिन शहर में यह दूर की कौड़ी है. अलाव जल्द कहीं नजर नहीं आ रहे. वहीं ई-रिक्शा चालक और मजदूर सार्वजनिक स्थालों पर रुकने के दौरान कूड़ा करकट एकत्र कर जला लेते हैं और राहत खोजते हैं. वहीं प्रशासन द्वारा अलाव जलवाने के दावे किए जाएं तो दावे साफ तौर पर झूठे साबित हो रहे हैं. जिले में सही तौर से कहीं अलाव जलते नहीं पाए गए. ईटीवी भारत रियलिटी चेक में सबसे पहले रेलवे स्टेशन फेल हो गया. निराश्रितों का साफ कहना है कि प्रशासन के द्वारा कोई गंभीर कदम नहीं उठाये गये हैं.

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