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फर्रुखाबाद: बिना सुरक्षा मानकों के सरपट दौड़ रहीं निजी बसें

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में निजी बस संचालक यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. निजी बसें बिना सुरक्षा के मानकों के सड़कों पर दौड़ रही हैं. इतना ही नहीं इन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया जा रहा है.

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Published : Jun 17, 2020, 2:27 AM IST

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जानकारी देते डीएम मानवेंद्र सिंह.

फर्रुखाबाद: जिले के निजी बस संचालक यात्रियों की जिंदगी के खिलवाड़ कर रहे हैं. बिना मास्क लगाए ही यात्री बसों में यात्रा कर रहे हैं. वहीं बस में सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं की गई है. इतना ही नहीं बिना परमिट के निजी बसों का संचालन दिल्ली और जयपुर रूट पर किया जा रहा है.

अनलाॅक के पहले चरण में सुरक्षित यात्रा के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से कोरोना सुरक्षा के संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके तहत ही प्रदेश में रोडवेज और निजी बसों के संचालन की अनुमित दी गई है. जिले के अधिकांश निजी बस संचालक सरकार के निर्देशों को दरकिनार करते हुए धड़ल्ले से बसों का संचालन कर रहे हैं. बसों में यात्रियों की सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और अधिकांश बसें बिना मरम्मत के ही चल रही हैं.

यात्रियों की नहीं की जा रही थर्मल स्क्रीनिंग
जिले के निजी बस संचालक बिना थर्मल स्क्रीनिंग के ही यात्रियों को बस में बैठा रहे हैं. वहीं बस में यात्रियों के लिए सैनिटाइजर की भी व्यवस्था नहीं की गई है. बिना मास्क लगाए आने वाले यात्रियों को भी बस में बैठाया जा रहा है. संचालक बिना सोशल डिस्टेंसिंग के यात्रियों से भरी बसों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं. निजी बस में दिल्ली से सवार होकर आईं यात्री मनीषा ने बताया कि दो लोगों का 12 सौ रुपये किराया लिया गया, जबकि लाॅकडाउन से पहले प्रति यात्री 300 रुपये ही किराया लिया जाता था. उन्होंने बताया कि बस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था नहीं है.

निजी बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया जा रहा पालन.

बसों में सुरक्षा मानक पूरा नहीं होने से हो चुका है बड़ा हादसा
बिना सुरक्षा मानक के दौड़ रही निजी बसों में कई बार हादसा भी हो चुका है. इस साल 10 जनवरी को कन्नौज बस हादसे में 10 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे. वहीं साल 2018 में मैनपुरी में निजी एजेंसी की एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में 17 यात्रियों की मौत हो गई थी. अभी तक इन निजी बस संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

एआरटीओ कार्यालय से 17 बसों की गायब हैं फाइलें
कन्नौज हादसे का शिकार हुई बस सहित कुल 17 स्लीपर बसों की फाइलें एआरटीओ कार्यालय से गायब हैं. इस संबंध में तत्कालीन एआरटीओ शांति भूषण पांडे ने अज्ञात लोगों के खिलाफ फतेहगढ़ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया था. वहीं डीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि आरटीओ को मामले की जांच का आदेश दिया गया है. बिना परमिट और सुरक्षा मानक को नहीं पूरा करने वाली निजी बसों के संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

फर्रुखाबाद: जिले के निजी बस संचालक यात्रियों की जिंदगी के खिलवाड़ कर रहे हैं. बिना मास्क लगाए ही यात्री बसों में यात्रा कर रहे हैं. वहीं बस में सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं की गई है. इतना ही नहीं बिना परमिट के निजी बसों का संचालन दिल्ली और जयपुर रूट पर किया जा रहा है.

अनलाॅक के पहले चरण में सुरक्षित यात्रा के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से कोरोना सुरक्षा के संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके तहत ही प्रदेश में रोडवेज और निजी बसों के संचालन की अनुमित दी गई है. जिले के अधिकांश निजी बस संचालक सरकार के निर्देशों को दरकिनार करते हुए धड़ल्ले से बसों का संचालन कर रहे हैं. बसों में यात्रियों की सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और अधिकांश बसें बिना मरम्मत के ही चल रही हैं.

यात्रियों की नहीं की जा रही थर्मल स्क्रीनिंग
जिले के निजी बस संचालक बिना थर्मल स्क्रीनिंग के ही यात्रियों को बस में बैठा रहे हैं. वहीं बस में यात्रियों के लिए सैनिटाइजर की भी व्यवस्था नहीं की गई है. बिना मास्क लगाए आने वाले यात्रियों को भी बस में बैठाया जा रहा है. संचालक बिना सोशल डिस्टेंसिंग के यात्रियों से भरी बसों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं. निजी बस में दिल्ली से सवार होकर आईं यात्री मनीषा ने बताया कि दो लोगों का 12 सौ रुपये किराया लिया गया, जबकि लाॅकडाउन से पहले प्रति यात्री 300 रुपये ही किराया लिया जाता था. उन्होंने बताया कि बस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था नहीं है.

निजी बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया जा रहा पालन.

बसों में सुरक्षा मानक पूरा नहीं होने से हो चुका है बड़ा हादसा
बिना सुरक्षा मानक के दौड़ रही निजी बसों में कई बार हादसा भी हो चुका है. इस साल 10 जनवरी को कन्नौज बस हादसे में 10 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे. वहीं साल 2018 में मैनपुरी में निजी एजेंसी की एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में 17 यात्रियों की मौत हो गई थी. अभी तक इन निजी बस संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

एआरटीओ कार्यालय से 17 बसों की गायब हैं फाइलें
कन्नौज हादसे का शिकार हुई बस सहित कुल 17 स्लीपर बसों की फाइलें एआरटीओ कार्यालय से गायब हैं. इस संबंध में तत्कालीन एआरटीओ शांति भूषण पांडे ने अज्ञात लोगों के खिलाफ फतेहगढ़ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया था. वहीं डीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि आरटीओ को मामले की जांच का आदेश दिया गया है. बिना परमिट और सुरक्षा मानक को नहीं पूरा करने वाली निजी बसों के संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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