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फर्रुखाबाद: तरबूज की फसल तैयार, लॉकडाउन में किसानों को नहीं मिल रहे खरीददार

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में तरबूज की फसल तैयार खड़ी है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बिकने के लिए मंडियों में नहीं जा पा रही है. किसानों ने कर्ज लेकर खेती की है अगर ऐसे में इनकी फसल नहीं बिक पाई तो किसानों का बहुत नुकसान हो जाएगा.

फर्रुखाबाद में तरबूज की फसल तैयार
फर्रुखाबाद में तरबूज की फसल तैयार
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Published : May 11, 2020, 11:06 AM IST

फर्रुखाबाद: लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. तीसरे चरण में सरकार ने फल और सब्जियों को बेचने के लिए छूट दी है, लेकिन फर्रुखाबाद में किसानों की तरबूज की तैयार फसल खड़ी है, उसके लिए खरीददार नहीं मिल रहे हैं. तरबूज की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि वह कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से लाखों रुपये के कर्ज में डूब गए हैं.

फर्रुखाबाद: तरबूज की बिक्री नहीं होने से किसान हैं परेशान

किसानों के मंसूबों पर फिरा पानी

फर्रुखाबाद के किसान आलू के बाद तरबूज की खेती पर निर्भर हैं. कटरी इलाके के किसानों के आय का मुख्य स्रोत तरबूज की खेती है. तरबूज को बेचने के बाद हुई आमदनी से किसान अपने बच्चों की पढ़ाई, बेटी की शादी व परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन करोना महामारी ने इन किसानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. जिले में करीब 11 से 12 हजार बीघे में तरबूज की खेती की गई है. लेकिन दाम 400 रुपए कुंतल यानी 4 रुपए किलो है. रोजाना एक से डेढ़ कुंतल तरबूज खराब हो रहे हैं. ऐसे में किसानों के सामने लागत निकालने का संकट खड़ा हो गया है.

कर्ज लेकर की तरबूज की खेती

फर्रुखाबाद में तकरीबन 11 से 12 हजार बीघा में तरबूज की फसल होती है. किसान अतीक ने बताया कि 100 गुल में 15 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें से कुल करीब 7 क्विंटल तरबूज निकलता है, जबकि ट्रांसपोर्ट का खर्च 12 हजार रुपये से अधिक आता है. जिसमें से 5 क्विंटल माल मंडी तक पहुंच पाता है. जिसमें कुल लागत 50 हजार से अधिक आती है, लेकिन मंडी में तीन से चार रुपए किलो तरबूज बेचने के कारण लागत तक नहीं निकल पा रही है. इस समय कर्ज लेकर तरबूज की खेती करने वाले किसानों को चिंता सताने लगी है. उनका कहना है कि सरकार हम गरीब लोगों की तरफ भी इस विकट परिस्थिति में सहायता करे.

लॉकडाउन ने रोकी किसानों की जिंदगी की रफ्तार

इस साल खेती के लिए मौसम अनुकूल रहा और उत्पादन भी बेहतर था. अगर सब ठीक रहता तो किसानों की 60 से 70 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती. जिले में सोना 786, हैप्पी, ब्रांड 036, गंगा और जमजम तरबूज की प्रजातियां हैं. इनमें सोना 786, हैप्पी और गंगा की बाहर के जनपदों में काफी डिमांड है. इसलिए किसान इसकी ज्यादा पैदावार करते हैं. पिछले साल 12 से 15 रुपए किलो तरबूज बिका था, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण तरबूज बाहरी राज्यों में नहीं जा पाया और इस बार मंडियों में 3 से 4 रुपये किलो बिक रहा है.

किसानों की तरफ भी ध्यान दे सरकार

धर्मपुर में किसान इस्तियार ने 2 एकड़ में तरबूज की खेती की है, जिसमें कुल लागत डेढ़ लाख से अधिक की लगी है. इन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की है. लेकिन तैयार फसल नहीं बिकने के कारण किसान मुसीबत में पड़ गए हैं. किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि हम मजबूर किसानों की तरफ भी सरकार ध्यान दे.

फर्रुखाबाद: लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. तीसरे चरण में सरकार ने फल और सब्जियों को बेचने के लिए छूट दी है, लेकिन फर्रुखाबाद में किसानों की तरबूज की तैयार फसल खड़ी है, उसके लिए खरीददार नहीं मिल रहे हैं. तरबूज की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि वह कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से लाखों रुपये के कर्ज में डूब गए हैं.

फर्रुखाबाद: तरबूज की बिक्री नहीं होने से किसान हैं परेशान

किसानों के मंसूबों पर फिरा पानी

फर्रुखाबाद के किसान आलू के बाद तरबूज की खेती पर निर्भर हैं. कटरी इलाके के किसानों के आय का मुख्य स्रोत तरबूज की खेती है. तरबूज को बेचने के बाद हुई आमदनी से किसान अपने बच्चों की पढ़ाई, बेटी की शादी व परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन करोना महामारी ने इन किसानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. जिले में करीब 11 से 12 हजार बीघे में तरबूज की खेती की गई है. लेकिन दाम 400 रुपए कुंतल यानी 4 रुपए किलो है. रोजाना एक से डेढ़ कुंतल तरबूज खराब हो रहे हैं. ऐसे में किसानों के सामने लागत निकालने का संकट खड़ा हो गया है.

कर्ज लेकर की तरबूज की खेती

फर्रुखाबाद में तकरीबन 11 से 12 हजार बीघा में तरबूज की फसल होती है. किसान अतीक ने बताया कि 100 गुल में 15 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें से कुल करीब 7 क्विंटल तरबूज निकलता है, जबकि ट्रांसपोर्ट का खर्च 12 हजार रुपये से अधिक आता है. जिसमें से 5 क्विंटल माल मंडी तक पहुंच पाता है. जिसमें कुल लागत 50 हजार से अधिक आती है, लेकिन मंडी में तीन से चार रुपए किलो तरबूज बेचने के कारण लागत तक नहीं निकल पा रही है. इस समय कर्ज लेकर तरबूज की खेती करने वाले किसानों को चिंता सताने लगी है. उनका कहना है कि सरकार हम गरीब लोगों की तरफ भी इस विकट परिस्थिति में सहायता करे.

लॉकडाउन ने रोकी किसानों की जिंदगी की रफ्तार

इस साल खेती के लिए मौसम अनुकूल रहा और उत्पादन भी बेहतर था. अगर सब ठीक रहता तो किसानों की 60 से 70 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती. जिले में सोना 786, हैप्पी, ब्रांड 036, गंगा और जमजम तरबूज की प्रजातियां हैं. इनमें सोना 786, हैप्पी और गंगा की बाहर के जनपदों में काफी डिमांड है. इसलिए किसान इसकी ज्यादा पैदावार करते हैं. पिछले साल 12 से 15 रुपए किलो तरबूज बिका था, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण तरबूज बाहरी राज्यों में नहीं जा पाया और इस बार मंडियों में 3 से 4 रुपये किलो बिक रहा है.

किसानों की तरफ भी ध्यान दे सरकार

धर्मपुर में किसान इस्तियार ने 2 एकड़ में तरबूज की खेती की है, जिसमें कुल लागत डेढ़ लाख से अधिक की लगी है. इन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की है. लेकिन तैयार फसल नहीं बिकने के कारण किसान मुसीबत में पड़ गए हैं. किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि हम मजबूर किसानों की तरफ भी सरकार ध्यान दे.

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