फर्रुखाबाद: कोरोना संकटकाल में क्या आम, क्या खास कोरोना ने सबको प्रभावित किया है. हर कारोबार की तरह इस बार आम का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है. पहले मौसम और अब लॉकडाउन से आम की फसल प्रभावित हुई है. अगर लॉकडाउन और बढ़ा तो आम कारोबार तबाह हो जाएगा, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है. इस आर्थिक संकट से उबरना बागवानों के लिए बड़ी चुनौती होगी. हालांकि 31 मई को लॉकडाउन खुल जाता है और सही बाजार मिल जाए तो नुकसान की थोड़ी बहुत ही भरपाई जरूर हो पाएगी.
आलू विकास अधिकारी आरएन वर्मा ने बताया कि फर्रुखाबाद में 2800 हेक्टेयर में आम की फसल होती है. इसमें प्रति वर्ष औसतन 28 हजार मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है, लेकिन इस साल मौसम की बेरुखी के बावजूद आम की पैदावार इतनी है कि अगर सही बाजार मिल जाए तो किसानों की आय अच्छी होगी.
रेड जोन में मंडी
किसानों का कहना है कि दिल्ली, इंदौर, मुंबई, जयपुर, बिहार, उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेशों में आम का बिजनेस होता है, लेकिन देश की जिन प्रमुख मंडियों से आम का सबसे ज्यादा कारोबार होता है, वे सब रेड जोन में है. ऐसी स्थिति में आम मंडियों तक कैसे पहुंचेगा, इसे लेकर अभी कुछ कह पाना मुश्किल है.
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दवाइयां नहीं मिली, लग गए कीड़े
किसानों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले आम पर मौसम की मार पड़ी और फिर बिन मौसम बारिश और ओले पड़ने से फसल बर्बाद हो गई. उसके बाद जब दवा के छिड़काव का समय आया तो लॉकडाउन हो गया और दवाइयां नहीं मिलने से फसल खराब हो गई. इस बार तो तैयार बाग भी नहीं बिक रहे हैं और निर्यात की उम्मीद कम ही नजर आ रही है. हालांकि इस समय मंडियों में जो आम आ रहा है, वो महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश का है. अगर लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो मंडी तक पहुंचने में दिक्कत होगी. इस समय तो कैरेट और पेटी भी नहीं है, क्योंकि फैक्ट्रियां बंद चल रही है.
कई किस्म के आम की होती है पैदावार
ढाई एकड़ में आम की पैदावार करने वाले आनंद सिंह बताते हैं कि जिले में दशहरी, बंबई, चौसा, लंगड़ा आम, जाली बंद, फजली, चपटा, सफेदा, नवाब पसंद और रसभरी समेत अन्य वैरायटी के आमों की पैदावार होती है. एक सीजन में चार से पांच बार जुताई करते हैं, जिसका खर्च 100 रुपये बीघा के आस-पास आता है और कीड़ों से फसल बचाने को चार बार स्प्रे करते हैं. मार्च माह से तैयारी शुरू करते हैं और 4 महीने में आम का बाग तैयार हो जाता है. पिछली बार आम की कम पैदावार हुई थी. इस बार आम ज्यादा हुआ है लेकिन ओले और बारिश की वजह से करीब 30 प्रतिशत कैरी (कच्चा आम) टूटकर गिर गया, इससे भी हमारा ज्यादा नुकसान हुआ है.
अब जिले के किसानों को उम्मीद है कि अगर लॉकडाउन 31 मई को खत्म होता है तो उनकी फसल तैयार होगी. तब तक चीजें सामान्य होने लगेगी और लोग आम का स्वाद भी ले पाएंगे.