फर्रुखाबाद: प्रधानमंत्री मोदी की 'वोकल फार लोकल' की अपील के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम का असर फर्रुखाबाद जिले में भी देखने को मिल रहा है. जिले में महिलाओं का एक समूह दिवाली के लिए गाय के गोबर से दीये बना रहा है. गांव की महिला समूह के सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल से लोकल बनने के मंत्र से प्रेरित होकर जिले में गोबर के दीयों को बनाना शुरू किया है.
समूह की महिलाओं का कहना है कि इस बार चायनीज सामानों को दरकिनार कर गोबर और मिट्टी से बने दीयों से दीवाली मनाई जाएगी. यहीं वजह है कि यह लोग गाय के गोबर से दीये बना रही हैं. साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. प्रदेश सरकार भी गोवंशों की देखरेख के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. ऐसे में अब गोशालाओं की कमाई गोबर के जरिए ही हो सकेगी.
दिवाली पर बड़ी संख्या में दीयों की खरीद होती है और साथ ही मूर्तियां भी ली जाती हैं. इसमें धार्मिक दृष्टि से गाय का गोबर अधिकांश प्रयोग होता है. इसी को देखते हुए जिला प्रशासन ने एक नई शुरूआत की है. इसके तहत गोवंशों के गोबर को मिट्टी में मिलाकर दिया और मूर्ति बनाई जा रही है. जिले के बढ़पुर ब्लॉक के एक छोटे से गांव बसेली की राधिका 20 जून 2012 से महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अन्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रयासरत हैं.
राधिका के महिला समूह में 12 सदस्य जुड़ी हैं, जिससे उनको भी मजबूत होने की ताकत मिली है. इससे आस-पास के क्षेत्र की महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं. दीपावली के मौके पर गोबर से दीये, ओम, स्वास्तिक, शुभ-लाभ, हवन कुंड, धूपबत्ती, गणेश लक्ष्मी की मूर्ति बनाने का काम किया जा रहा है. इससे महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए भी एक माध्यम मिला है.
इस महिला समूह को देखकर आस-पास की महिलाएं भी गोबर से दीये आदि बनाने का प्रयास कर रही हैं. दीये के अलावा शुभ-लाभ और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी बनाई जा रही हैं. इनकी बिक्री दिवाली के पहले ही शुरू हो गई है. इसके साथ ही यहां पर बड़ी संख्या में गोवंशों का पालन-पोषण भी हो रहा है. कलक्ट्रेट परिसर में महिलाओं ने मिट्टी के दीयों, गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति आदि की प्रदर्शनी लगाई.