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फर्रुखाबाद के लोहिया अस्पताल में मिल रहा 'घर जैसा भोजन'

यूपी के फर्रुखाबाद में लॉकडाउन के समय कुछ लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए लोहिया अस्पताल में घर जैसा भोजन रसोई का संचालन किया जा रहा है. इसमें मरीजों और तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इसमें छोटे कारोबारी और समाजसेवी संस्थाओं ने भी इनकी मदद की है.

घर जैसा भोजन रसोई.
घर जैसा भोजन रसोई.
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Published : Jan 3, 2021, 12:10 PM IST

फर्रुखाबाद: कोरोना वायरस के चलते देश में लागू किए गए लॉकडाउन से सभी उद्योग धंधों पर खासा असर पड़ा. वहीं दूसरी तरफ फर्रुखाबाद जनपद में कुछ लोगों ने आपदा को अवसर बदलने का काम किया है. लॉकडाउन के समय कुछ लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए छोटे काम करना शुरू कर दिया है, जिससे लोगों को उनकी आय के नए आयाम मिल गए हैं. इन छोटे कारोबारियों के साथ समाजसेवी संस्थाओं ने भी इनकी मदद की है. जिससे इन लोगों का काम और भी आसान हो गया है.

फर्रुखाबाद में साध ए हेल्पिंग हैंड सोसाइटी नामक संस्था लोहिया अस्पताल में घर जैसा भोजन रसोई का संचालन करती है. जिसमें मरीजों और तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इस रसोई का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री अतुल गर्ग द्वारा पिछले वर्ष किया गया था. सभी पदाधिकारियों को कोरोना काल में सर्वोत्तम सेवा हेतु सर्वत्र सराहना प्राप्त हो रही है. संस्था लॉकडाउन से अब तक कई परिवारों की जीविका का माध्यम बनी है. लोहिया अस्पताल फर्रुखाबाद में जब ईटीवी भारत ने लोगों से बातचीत की तो लोगों ने भोजन रसोई से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.

घर जैसा भोजन रसोई.

लोगों ने अनुभव किए साझा
यहां पर भोजन कर रहे राजीव सक्सेना ने ईटीवी भारत को बताया जब वह दिल्ली में कार्यरत थे, तब उन्हें अचानक काम से निकाल दिया गया. वह फर्रुखाबाद में रह रहे परिजनों के अनुरोध पर किसी तरह यहां आया. यहां रोजाना रसोई से दो वक्त की रोजी-रोटी का सहज ही जुगाड़ हो जाता था. मगर घर चलाने में काफी दिक्कतें आ रही थीं. फिर उनको किसी ने वहीं पास में नौकरी दिलवा दी, उनका कहना है कि तनख्वाह कम है, लेकिन किसी तरह गुजरा हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह संस्था के प्रति काफी कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहते हैं. कुछ यही बात इस रसोई में खाना बनाने का काम करने वाली महिला आरती ने भी बताई.

भोजन परोसते कर्मचारी.
भोजन परोसते कर्मचारी.

इस अवसर को चुनौती की तरह देखा
जब ईटीवी भारत ने इस संस्था के कोषाध्यक्ष किशन साध से बात की तो उन्होंने इस संस्था के पूरे ढांचे के बारे में बताया कि किस तरह साध ए हेल्पिंग सोसायटी अपने अस्तित्व में आई. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय में एक नवगठित संस्था अपने शुरुआती दौर में ही उस मुकाम पर पहुंच गई, जहां संगठनों को पहुंचने में सालों गुजर जाते हैं. उन्होंने आपदा को अवसर में बदलने के नारे के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि व्यापारियों को काम धंधा बंद होने के कारण काफी अवकाश का अवसर मिल गया था और लोगों ने इस अवसर को चुनौती की तरह देखा.

किशन साध ने बताया कि जिले के डीएम मानवेंद्र सिंह उनकी रसोई में अक्सर पहुंचते हैं और हम सभी को और अधिक जुटने की प्रेरणा देते हैं. संस्था उनके उत्साह वर्धन को हमेशा रेखांकित करती रहेगी. उन्होंने बताया कि डीएम ने स्वयं इस रसोई में ही अपनी शादी की 26वीं सालगिरह मनाई थी.

फर्रुखाबाद: कोरोना वायरस के चलते देश में लागू किए गए लॉकडाउन से सभी उद्योग धंधों पर खासा असर पड़ा. वहीं दूसरी तरफ फर्रुखाबाद जनपद में कुछ लोगों ने आपदा को अवसर बदलने का काम किया है. लॉकडाउन के समय कुछ लोगों ने अपनी आजीविका चलाने के लिए छोटे काम करना शुरू कर दिया है, जिससे लोगों को उनकी आय के नए आयाम मिल गए हैं. इन छोटे कारोबारियों के साथ समाजसेवी संस्थाओं ने भी इनकी मदद की है. जिससे इन लोगों का काम और भी आसान हो गया है.

फर्रुखाबाद में साध ए हेल्पिंग हैंड सोसाइटी नामक संस्था लोहिया अस्पताल में घर जैसा भोजन रसोई का संचालन करती है. जिसमें मरीजों और तीमारदारों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इस रसोई का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री अतुल गर्ग द्वारा पिछले वर्ष किया गया था. सभी पदाधिकारियों को कोरोना काल में सर्वोत्तम सेवा हेतु सर्वत्र सराहना प्राप्त हो रही है. संस्था लॉकडाउन से अब तक कई परिवारों की जीविका का माध्यम बनी है. लोहिया अस्पताल फर्रुखाबाद में जब ईटीवी भारत ने लोगों से बातचीत की तो लोगों ने भोजन रसोई से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.

घर जैसा भोजन रसोई.

लोगों ने अनुभव किए साझा
यहां पर भोजन कर रहे राजीव सक्सेना ने ईटीवी भारत को बताया जब वह दिल्ली में कार्यरत थे, तब उन्हें अचानक काम से निकाल दिया गया. वह फर्रुखाबाद में रह रहे परिजनों के अनुरोध पर किसी तरह यहां आया. यहां रोजाना रसोई से दो वक्त की रोजी-रोटी का सहज ही जुगाड़ हो जाता था. मगर घर चलाने में काफी दिक्कतें आ रही थीं. फिर उनको किसी ने वहीं पास में नौकरी दिलवा दी, उनका कहना है कि तनख्वाह कम है, लेकिन किसी तरह गुजरा हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह संस्था के प्रति काफी कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहते हैं. कुछ यही बात इस रसोई में खाना बनाने का काम करने वाली महिला आरती ने भी बताई.

भोजन परोसते कर्मचारी.
भोजन परोसते कर्मचारी.

इस अवसर को चुनौती की तरह देखा
जब ईटीवी भारत ने इस संस्था के कोषाध्यक्ष किशन साध से बात की तो उन्होंने इस संस्था के पूरे ढांचे के बारे में बताया कि किस तरह साध ए हेल्पिंग सोसायटी अपने अस्तित्व में आई. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय में एक नवगठित संस्था अपने शुरुआती दौर में ही उस मुकाम पर पहुंच गई, जहां संगठनों को पहुंचने में सालों गुजर जाते हैं. उन्होंने आपदा को अवसर में बदलने के नारे के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि व्यापारियों को काम धंधा बंद होने के कारण काफी अवकाश का अवसर मिल गया था और लोगों ने इस अवसर को चुनौती की तरह देखा.

किशन साध ने बताया कि जिले के डीएम मानवेंद्र सिंह उनकी रसोई में अक्सर पहुंचते हैं और हम सभी को और अधिक जुटने की प्रेरणा देते हैं. संस्था उनके उत्साह वर्धन को हमेशा रेखांकित करती रहेगी. उन्होंने बताया कि डीएम ने स्वयं इस रसोई में ही अपनी शादी की 26वीं सालगिरह मनाई थी.

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