ETV Bharat / state

फर्रुखाबाद: लोगों को ऐसे सहारा दे रहे विदेशी नस्ल के कुत्ते, बढ़ी मांंग - फर्रुखाबाद समाचार

लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में कई माह के लिए कैद हो गए थे. ऐसे में उनके टाइम पास का सहारा पालतू जानवर ही बने. फर्रुखाबाद में अनलॉक लागू होते ही बड़ी संख्या में विदेशी नस्ल के पपी खरीदे गए और लोगों ने उन्हें बच्चों की तरह पाला.

कुत्ते की देखरेख करते  जानवर प्रेमी
कुत्ते की देखरेख करते जानवर प्रेमी
author img

By

Published : Nov 6, 2020, 4:27 PM IST

फर्रुखाबाद: कोरोना महामारी के चलते जिले में लोग अपने घरों में कई माह के लिए कैद हो गए थे. ऐसे में उनके टाइम पास का सहारा पालतू जानवर बने. अनलॉक में बड़ी संख्या में विदेशी नस्ल के पपी खरीदे गए और लोगों ने उन्हें बच्चों की तरह पाला. विदेशी नस्ल की मांग बढ़ती देख शहर में कई स्थानों पर दुकादारों ने इनके खाने-पीने की चीजों के साथ ही तरह-तरह के रंगीन पट्टे, रस्सियां, चेन आदि रखना शुरू कर दिया है.

मनोरंजन का साधन बने विदेशी नस्ल के कुत्ते
फर्रुखाबाद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 40 हजार से अधिक कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, बंदर आदि पालने का अनुमान है. इनको स्वस्थ रखने के लिए चिकित्सकों के अलावा खाने-पीने और अन्य सामान बेचने वाली दुकानों की संख्या बढ़ गई है. दुकानदार पर पेडिग्री के आधा किलो से लेकर 50 किलो तक के पैकेट उपलब्ध हैं.

पपी का स्टेमिना बढ़ाने और स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के फूड के अलावा दवाइयां भी बाजार में उपलब्ध हैं. कैल्शियम और चिकन की हड्डी की बाजारों में मांग बढ़ी है. सामग्री बेचने वालों के यहां बड़ी संख्या में खरीदार पहुंच रहे हैं. दीपावली को ध्यान में रखते हुए इन्हें पालने वाले लोग आकर्षक पट्टे और रसियां भी खरीद रहे हैं.

हमारे पास एक पपी है, जिसे लॉकडाउन के दौरान कुछ रुपये देकर खरीदा था. परिवार के सभी लोग अधिकांश समय पपी के साथ ही बिताते हैं.

-अजीत पाठक, जानवर प्रेमी

शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की डिमांड बढ़ी है. बड़ी संख्या में लोग विदेशी ब्रीड पसंद कर रहे हैं. इससे पहले अस्पताल में इलाज के लिए बड़े जानवर ही आते थे. इस समय कुत्तों की संख्या बढ़ी है. अस्पताल में आने वाले जानवरों के अलावा कॉल आने पर घरों में भी इलाज के लिए जाना पड़ता है.

-ए. एस. कटियार, पशु चिकित्सक

फर्रुखाबाद: कोरोना महामारी के चलते जिले में लोग अपने घरों में कई माह के लिए कैद हो गए थे. ऐसे में उनके टाइम पास का सहारा पालतू जानवर बने. अनलॉक में बड़ी संख्या में विदेशी नस्ल के पपी खरीदे गए और लोगों ने उन्हें बच्चों की तरह पाला. विदेशी नस्ल की मांग बढ़ती देख शहर में कई स्थानों पर दुकादारों ने इनके खाने-पीने की चीजों के साथ ही तरह-तरह के रंगीन पट्टे, रस्सियां, चेन आदि रखना शुरू कर दिया है.

मनोरंजन का साधन बने विदेशी नस्ल के कुत्ते
फर्रुखाबाद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 40 हजार से अधिक कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, बंदर आदि पालने का अनुमान है. इनको स्वस्थ रखने के लिए चिकित्सकों के अलावा खाने-पीने और अन्य सामान बेचने वाली दुकानों की संख्या बढ़ गई है. दुकानदार पर पेडिग्री के आधा किलो से लेकर 50 किलो तक के पैकेट उपलब्ध हैं.

पपी का स्टेमिना बढ़ाने और स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार के फूड के अलावा दवाइयां भी बाजार में उपलब्ध हैं. कैल्शियम और चिकन की हड्डी की बाजारों में मांग बढ़ी है. सामग्री बेचने वालों के यहां बड़ी संख्या में खरीदार पहुंच रहे हैं. दीपावली को ध्यान में रखते हुए इन्हें पालने वाले लोग आकर्षक पट्टे और रसियां भी खरीद रहे हैं.

हमारे पास एक पपी है, जिसे लॉकडाउन के दौरान कुछ रुपये देकर खरीदा था. परिवार के सभी लोग अधिकांश समय पपी के साथ ही बिताते हैं.

-अजीत पाठक, जानवर प्रेमी

शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की डिमांड बढ़ी है. बड़ी संख्या में लोग विदेशी ब्रीड पसंद कर रहे हैं. इससे पहले अस्पताल में इलाज के लिए बड़े जानवर ही आते थे. इस समय कुत्तों की संख्या बढ़ी है. अस्पताल में आने वाले जानवरों के अलावा कॉल आने पर घरों में भी इलाज के लिए जाना पड़ता है.

-ए. एस. कटियार, पशु चिकित्सक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.