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आठ साल भी नहीं चले लाखों के खर्च से बने क्लास रूम

फर्रुखाबाद के प्राथमिक विद्यालयों में बने अतिरिक्त क्लास रूम विभागीय लापरवाही और भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गए. अभी बने 10 साल भी नहीं हुए कि यह क्लास रूम जर्जर हो गए.

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150 से ज्यादा स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष का हुआ था निर्माण.
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Published : Nov 24, 2020, 3:31 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए अतिरिक्त कक्षा कक्ष मात्र आठ-नौ साल में ही जर्जर हो गए. अधिकारियों की लापरवाही के चलते भवन प्रभारियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

जिले में वर्ष 2008 से 2013 तक करीब 150 से ज्यादा स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण कार्य करवाए गए थे. इनमें मानक के विपरीत निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया. इसके चलते यह 10 साल भी पूरा नहीं कर पाए और जर्जर हालत में पहुंच गए. शिकायतों के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भवन प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं. हालांकि, कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनके कायाकल्प का काम शुरू करवा दिया गया है. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते मजबूरी में बच्चे जर्जर कक्षाओं में ही बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.

वर्ष 2012 में ब्लॉक बढपुर के प्राथमिक विद्यालय रानीगढ़ में, छोटी गुलरिया, 2009 में प्राथमिक विद्यालय आकलगंज, वाहिदपुर, वर्ष 2008 में सिरमौरा तराई, कुबेरपुर घाट, 2010 में बरौन, 2011 में प्राथमिक विद्यालय विरसहाय की मढैया और 2013 में प्राथमिक विद्यालय गढ़िया समेत करीब 30 से ज्यादा स्कूलों के अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनाए गए थे. मौजूदा समय में यह भवन जर्जर हालत में पहुंच गए हैं. उच्च प्राथमिक विद्यालय अरापहाड़पुर के अतिरिक्त भवन से प्लास्टर गिर रहा है, जबकि दीवार चटक गई है. कुछ दिन पहले ही कायाकल्प से विद्यालयों में निर्माण कार्य शुरू करवाया गया है. वहीं बीएसए लालजी यादव ने बताया कि सभी ब्लॉकों से जर्जर स्कूलों और अतिरिक्त कक्षा कक्षों की सूची बीईओ से मंगवाई गई है. सूची मिलने के बाद जांच करवाई जाएगी.

फर्रुखाबाद: जिले में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए अतिरिक्त कक्षा कक्ष मात्र आठ-नौ साल में ही जर्जर हो गए. अधिकारियों की लापरवाही के चलते भवन प्रभारियों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

जिले में वर्ष 2008 से 2013 तक करीब 150 से ज्यादा स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण कार्य करवाए गए थे. इनमें मानक के विपरीत निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया. इसके चलते यह 10 साल भी पूरा नहीं कर पाए और जर्जर हालत में पहुंच गए. शिकायतों के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भवन प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं. हालांकि, कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनके कायाकल्प का काम शुरू करवा दिया गया है. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते मजबूरी में बच्चे जर्जर कक्षाओं में ही बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.

वर्ष 2012 में ब्लॉक बढपुर के प्राथमिक विद्यालय रानीगढ़ में, छोटी गुलरिया, 2009 में प्राथमिक विद्यालय आकलगंज, वाहिदपुर, वर्ष 2008 में सिरमौरा तराई, कुबेरपुर घाट, 2010 में बरौन, 2011 में प्राथमिक विद्यालय विरसहाय की मढैया और 2013 में प्राथमिक विद्यालय गढ़िया समेत करीब 30 से ज्यादा स्कूलों के अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनाए गए थे. मौजूदा समय में यह भवन जर्जर हालत में पहुंच गए हैं. उच्च प्राथमिक विद्यालय अरापहाड़पुर के अतिरिक्त भवन से प्लास्टर गिर रहा है, जबकि दीवार चटक गई है. कुछ दिन पहले ही कायाकल्प से विद्यालयों में निर्माण कार्य शुरू करवाया गया है. वहीं बीएसए लालजी यादव ने बताया कि सभी ब्लॉकों से जर्जर स्कूलों और अतिरिक्त कक्षा कक्षों की सूची बीईओ से मंगवाई गई है. सूची मिलने के बाद जांच करवाई जाएगी.

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