फर्रुखाबाद : जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र सदर, भोजपुर, अमृतपुर व कायमगंज हैं. जिले की सदर-194 सीट के राजनीतिक समीकरण काफी महत्वपूर्ण हैं. इस सीट पर कभी बीजेपी-कांग्रेस की टक्कर होती थी. मौजूदा समय में फर्रुखाबाद जिले की सदर सीट पर बीजेपी का कब्जा है. मौजूदा समय में सदर-194 सीट पर बीजेपी के मेजर सुनील दत्त द्विवेदी विधायक हैं.
आंकड़ों पर नजर डालें तो सदर सीट पर वर्ष 1951 से लेकर अब तक जीत का सर्वाधिक रिकार्ड कांग्रेस ने बनाया है. फर्रुखाबाद जिले का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है. फर्रुखाबाद जिला कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है. यह जिला समाजवादी नायक डॉ. राम मनोहर लोहिया की कर्म स्थली रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया फर्रुखाबाद से सांसद भी रहे हैं. इसके अलावा फर्रुखाबाद जिला पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन व कवित्री महादेवी वर्मा की जन्मस्थली भी है.
क्या कहते हैं आंकड़े ?
साल 2012 के आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,16,062 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,17,309 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,42,740 है. वहीं थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 13 है. इस सीट पर पिछले 3 विधानसभा चुनाव में 2 बार समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया है. जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है. फिलहाल सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है.
सदर विधानसभा-194 सीट के चुनावी नतीजे
विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी विजय सिंह ने जीत हासिल की थी. 2012 के चुनाव में सपा के विजय सिंह ने बीजेपी के मेजर सुनील दत्त को हराया था. जबकि बीएसपी को मोहम्मद उमर खां तीसरे स्थान पर रहे थे.
चुनावी आंकड़े वर्ष 2017
फर्रुखाबाद सदर सीट गंगा जमुनी तहजीब का केंद्र भी माना जाता है.जहां बहुसंख्यक के साथ-साथ अल्पसंख्यक के साथ अनुसूचित वर्ग का भी सामाजिक ताना-बाना मजबूत बना हुआ है. वर्ष 2017 के अनुसार इस सीट पर कुल मतदाता 3,54,286 हैं.जिसमें से 192578 मतदाता पुरुष और 1,61,686 महिला मतदाता व अन्य 22 मतदाता हैं.
सदर विधानसभा-194 सीट के चुनावी नतीजे, वर्ष 2017
सदर विधानसभा-194 सीट के चुनावी नतीजे, वर्ष 2007
जातिगत आंकड़े
वर्ष 2012 के परिसीमन के बाद फर्रुखाबाद जनपद के विधानसभा क्षेत्रों का भूगोल बदल गया है. इसी क्रम में जिले की सदर-194 सीट में परिसीमन से पहले शहरी क्षेत्र के साथ गंगा के पार का क्षेत्र जोड़ा था. लेकिन परिसीमन के बाद गंगा के पार का इलाका नव सृजित विधानसभा अमृतसर से जुड़ गया है. अब सदर विधानसभा में शहरी क्षेत्र के साथ-साथ शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र को जोड़ा गया है. जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर मुख्य रूप से मुस्लिम, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति, लोधी व शाक्य समुदाय के मतदाता अधिकता में हैं. जिसमें सर्वाधिक आंकड़ा मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं का है.
राजनीतिक इतिहास
फर्रुखाबाद जिले की सदर सीट के अस्तित्व से ही कांग्रेस, जनसंघ व उसके बाद बीजेपी का मुकाबला रहा है. इस सीट पर वर्ष 1991,1993 व 1996 के आम चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई. ब्रह्मदत्त द्विवेदी जीत की हैट्रिक के बाद एक कद्दावर नेता के रूप में उभरे. जिसके बाद वह बीजेपी सरकार में मंत्री बने, लेकिन फरवरी 1997 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी गई. वर्ष 1997 में एक राजनीतिक हत्या के बाद इस सीट के राजनीतिक समीकरणों में तेजी से बदलाव हुआ.
बदलते समय के साथ-साथ सदर विधानसभा-194 सीट कांग्रेस की पकड़ से दूर होती चली गई. वर्ष 1997 में बीजेपी के कद्दावर नेता व मौजूदा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या हुई और हत्या के आरोप स्थानीय नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के पति विजय सिंह पर लगा. बीजेपी विधायक की हत्या के बाद वर्ष 1997 के उपचुनाव में ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी प्रभा द्विवेदी ने बीजेपी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करके यूपी सरकार की कैबिनेट में जगह बनाई.
बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद विजय सिंह की राजनीतिक क्षवि उभरकर सामने आई. बीजेपी विधायक के हत्यारोपी विजय सिंह ने वर्ष 2002 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप इस सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वर्ष 2002 के चुनाव में विजय सिंह ने ब्रह्मदत्त द्विवेदी की पत्नी व तत्कालीन विधायक प्रभा द्विवेदी को हराया था.
सदर सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी व ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने फिर से इस सीट पर फतह हासिल की. मेजर सुनील दत्त द्विवेदी अपने पिता की मृत्यु के बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए. इसके बाद उन्हें 2007 और 2012 के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने वर्ष 2017 में फिर से चुनाव लड़ा और फर्रुखाबाद की सदर सीट पर बीजेपी का झंड़ा लहराया.
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