फर्रुखाबादः फर्रुखाबाद जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर नगला दाऊद गांव में मस्जिद के पास एक बाउली बनी हुई है. ग्रामीणों ने इस पुरानी धरोहर को सुधारने के लिए सरकार से गुजारिश की है. जानकारों के मुताबिक यह बाउली फर्रुखसियर के जमाने की बनी हुई है. इसके पास में कब्रिस्तान और मस्जिद भी है. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने नगला गांव पहुंचकर बाउली के बारे में जानकारों से बातचीत की है.
ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान नगला दाऊद गांव निवासी अध्यापक तौफीक खान ने बताया कि यह बाउली फर्रुखसियर के समय में बनाई गई थी. इसकी देखरेख न होने से इसकी स्थिति खराब हो गई है. उनके बुजुर्ग इसकी देखरेख करते चले आए हैं. आज वे इसकी देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्ग लोग चंदा इकठ्ठा करके बाउली की देखरेख करते थे. बताया कि कबीरगंज आज भी पुराने ऐतिहासिक पेपर हैं वहां पर मिल जाएगा. आज इस ऐतिहासिक धरोहर में चमागदाड़ रहते हैं. बाउली पूरी तरह से जीर्ण हो चुकी है, उसके अंदर अब पानी भी नहीं आता है.
अध्यापक तौफीक खान ने बताया कि आज से करीब 40 वर्ष पहले इस बाउली में पानी आता है, तब लोग सीढ़ी से नीचे उतकर जाते थे और बाउली से पानी निकालकर पीते थे. बाउली के पास में एक मस्जिद बनी हुई है. वही, पर एक कब्रिस्तान भी बना हुआ है. मस्जिद के चलते वहां पर लोग का आना-जाना रहता है. ऐसे में लोग वहां बाउली को भी देखने आते हैं. लोगों की मांग की है सरकार बाउली की मरम्मत कराए. वहां ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे वहां के लोग संजो के रखना चाहते हैं.
शेखपुर निवासी जानकर अजीजुल हक (गालिब मियां) ने बताया कि 'बाउली बादशाह फर्रुखसियर ने अपने शासनकाल में बनवाई थी. बाउली का मतलब है कि वह कुआं, जिसमें सीढ़ी से उतर कर आदमी पानी पी सके. उस तरह का कुआं बादशाह फर्रुखसियर ने अपने शासनकाल में अपने लोगों के द्वारा बनवाया था और साथ में एक मस्जिद बनवा दी थी, ताकि कोई वहां से गुजरने वाला नमाज पढ़ना चाहे तो मस्जिद में नमाज भी पढ़ ले. इसीलिए वहां पर एक छोटी सी मस्जिद भी बनी हुई है. बाद में समय गुजरता गया, धीरे-धीरे वहां पर लोग रहने लगे. कबीरगंज आबादी वाले एक आबादी बनाई गई थी, उसी आबादी में यह बनाया गया था.
पढ़ेंः Dhanteras 2022: काशी के इस कूप के पानी से मिलती है पेट के असाध्य रोगों से निजात