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इटावा में लगा पंडोखर सरकार का दरबार, बोले- जो लोग पर्ची निकालते हैं, उनके पास ईश्वर की शक्ति - इटावा में पंडोखर सरकार

इटावा पहुंचे गुरुशरण शर्मा पंडोखर महाराज(Gurusharan Sharma Pandokhar Maharaj) ने पर्चा निकालने पर कहा कि यह ईश्वर से मिली शक्ति है. वहीं, राम मंदिर निर्माण पर खुशी जताते हुए कहा कि हमारे आराध्य अब अपने राजमहल में बैठेंगे.

कौन है पंडोखर सरकार
कौन है पंडोखर सरकार
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 29, 2023, 10:08 PM IST

इटावा पहुंचे गुरुशरण शर्मा पंडोखर महाराज

इटावा: जिले के जसवंत नगर के रामलीला मैदान में पंडोखर महाराज की तीन दिवसीय दरबार लगा है. दरबार में बाबा लोगों का पर्चा निकालकर उनकी समस्याओं का समाधान बता रहे हैं. दरबार के पहले दिन पंडोखर सरकार ने मंच पर विराजित अपने आराध्य हनुमान जी महाराज की आराधना और पूजा की थी. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए पंडोखर सरकार ने कहा कि जो लोग पर्चा निकालते हैं, उन सभी के पास ईश्वर की शक्ति है. सबका अपना-अपना ज्ञान और सिद्धि है.

वहीं, बाबा ने 2024 के लोकसभा चुनाव परिणा पर कि चुनाव को अभी समय है. सही समय पर आने पर वह मीडिया के माध्यम से जो पूछा जाएगा उसका उत्तर देंगे. आगे कहा, अभी जब तक चुनावी में मैदान में राजनीतिक योद्धा नहीं आते हैं. तब तक कुछ क्लियर नहीं किया जा सकता है. वहीं, अयोध्य में बन रहे राम मंदिर पर कहा कि कुछ ही समय में हमारे सरकार श्री रामलला अपने मठ में अपने राजमहल में बैठेंगे. यह देश के लिए बड़े गर्व की बात है. भारत भूमि राम जी की भूमि है, हमारे राम जी सबका भला करते हैं सबका कल्याण करते हैं, सबको सदमार्ग और सबको आशीर्वाद देते हैं.

कौन है पंडोखर सरकार: पंडोखर धाम (Pandokhar Dham) के महाराज इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. बागेश्वर महाराज की तरह यह भी पर्ची लिखकर आपकी समस्याओं को बताते हैं. पिछले 32 सालों से यह काम कर रहे हैं. हाल के दिनों में इनकी भी चर्चा शुरू हो गई. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि पंडोखर सरकार कौन हैं. इसके साथ ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या पंडोखर सरकार भी चमत्कार करते हैं. इन सारे सवालों का जवाब आपको आगे बताते हैं.


1999 से लगा रहे दरबार: दरअसल, पंडोखर सरकार मूल रूप से भिंड मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. उनका जन्म लहार के बरहा गांव में जन्म 1983 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. लेकिन, पंडोखर सरकार के पूर्वज उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर के ही निवासी थे. 1999 से वह स्वतंत्र रूप से दिव्य दरबार लगाते हैं. हालांकि, वह पंडोखर धाम से बचपन में ही जुड़ गए थे. इनका धाम दतिया जिले के भांडेर तहसील के पंडोखर गांव में है. जिसकी दूरी दतिया जिला मुख्यालय से 51 किमी है.

पुलिस अधिकारी और मंत्री पहुंचते हैं दरबार में: धाम में हनुमानजी का मंदिर है. पंडोखर सरकार कहते हैं कि हमारे ऊपर उन्हीं की कृपा है. इसके साथ ही पंडोखर सरकार अपने दरबार में लोगों की समस्या पर्ची लिखकर बताते हैं. वहीं, पंडोखर सरकार के दरबार में बड़े-बड़े लोग पहुंचते हैं. इनके भक्तों में एमपी सरकार के कई मंत्री भी हैं. इसके साथ ही पुलिस भी पंडोखर सरकार से मदद मांगने पहुंचती है. पंडोखर सरकार का कहना है कि मैं कोई चमत्कार नहीं करता हूं. हनुमानजी की कृपा से मैं लोगों की मन की बात पढ़ लेता हूं. साथ ही उपाय बता देता हूं, यह लोगों के लिए फलीभूत होता है.

पंडोखर सरकार का असली नाम: वहीं, पंडोखर धाम महाराज को लेकर पंडोखर सरकार के नाम से जानते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम क्या है. पंडोखर सरकार का असली नाम गुरुशरण शर्मा है. उन्होंने बताया कि वह 1992 से पंडोखर धाम की गद्दी पर बैठ रहे है. उनके पिताजी बचपन में ही यहां आ गए थे. इसके बाद से पंडोखर धाम की गद्दी पर वह बैठते हैं.


यह भी पढे़ं: धीरेंद्र शास्त्री बोले, मथुरा में बंद होना चाहिए मांस-मदिरा, स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया कीड़ा-मकोड़ा

यह भी पढ़ें: बाबा को तो मैं ही मारुंगा, वो भी 200 लोगों के बीच... पंडोखर सरकार को मिली जान से मारने की धमकी

इटावा पहुंचे गुरुशरण शर्मा पंडोखर महाराज

इटावा: जिले के जसवंत नगर के रामलीला मैदान में पंडोखर महाराज की तीन दिवसीय दरबार लगा है. दरबार में बाबा लोगों का पर्चा निकालकर उनकी समस्याओं का समाधान बता रहे हैं. दरबार के पहले दिन पंडोखर सरकार ने मंच पर विराजित अपने आराध्य हनुमान जी महाराज की आराधना और पूजा की थी. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए पंडोखर सरकार ने कहा कि जो लोग पर्चा निकालते हैं, उन सभी के पास ईश्वर की शक्ति है. सबका अपना-अपना ज्ञान और सिद्धि है.

वहीं, बाबा ने 2024 के लोकसभा चुनाव परिणा पर कि चुनाव को अभी समय है. सही समय पर आने पर वह मीडिया के माध्यम से जो पूछा जाएगा उसका उत्तर देंगे. आगे कहा, अभी जब तक चुनावी में मैदान में राजनीतिक योद्धा नहीं आते हैं. तब तक कुछ क्लियर नहीं किया जा सकता है. वहीं, अयोध्य में बन रहे राम मंदिर पर कहा कि कुछ ही समय में हमारे सरकार श्री रामलला अपने मठ में अपने राजमहल में बैठेंगे. यह देश के लिए बड़े गर्व की बात है. भारत भूमि राम जी की भूमि है, हमारे राम जी सबका भला करते हैं सबका कल्याण करते हैं, सबको सदमार्ग और सबको आशीर्वाद देते हैं.

कौन है पंडोखर सरकार: पंडोखर धाम (Pandokhar Dham) के महाराज इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं. बागेश्वर महाराज की तरह यह भी पर्ची लिखकर आपकी समस्याओं को बताते हैं. पिछले 32 सालों से यह काम कर रहे हैं. हाल के दिनों में इनकी भी चर्चा शुरू हो गई. ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि पंडोखर सरकार कौन हैं. इसके साथ ही लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या पंडोखर सरकार भी चमत्कार करते हैं. इन सारे सवालों का जवाब आपको आगे बताते हैं.


1999 से लगा रहे दरबार: दरअसल, पंडोखर सरकार मूल रूप से भिंड मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं. उनका जन्म लहार के बरहा गांव में जन्म 1983 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. लेकिन, पंडोखर सरकार के पूर्वज उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बकेवर के ही निवासी थे. 1999 से वह स्वतंत्र रूप से दिव्य दरबार लगाते हैं. हालांकि, वह पंडोखर धाम से बचपन में ही जुड़ गए थे. इनका धाम दतिया जिले के भांडेर तहसील के पंडोखर गांव में है. जिसकी दूरी दतिया जिला मुख्यालय से 51 किमी है.

पुलिस अधिकारी और मंत्री पहुंचते हैं दरबार में: धाम में हनुमानजी का मंदिर है. पंडोखर सरकार कहते हैं कि हमारे ऊपर उन्हीं की कृपा है. इसके साथ ही पंडोखर सरकार अपने दरबार में लोगों की समस्या पर्ची लिखकर बताते हैं. वहीं, पंडोखर सरकार के दरबार में बड़े-बड़े लोग पहुंचते हैं. इनके भक्तों में एमपी सरकार के कई मंत्री भी हैं. इसके साथ ही पुलिस भी पंडोखर सरकार से मदद मांगने पहुंचती है. पंडोखर सरकार का कहना है कि मैं कोई चमत्कार नहीं करता हूं. हनुमानजी की कृपा से मैं लोगों की मन की बात पढ़ लेता हूं. साथ ही उपाय बता देता हूं, यह लोगों के लिए फलीभूत होता है.

पंडोखर सरकार का असली नाम: वहीं, पंडोखर धाम महाराज को लेकर पंडोखर सरकार के नाम से जानते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम क्या है. पंडोखर सरकार का असली नाम गुरुशरण शर्मा है. उन्होंने बताया कि वह 1992 से पंडोखर धाम की गद्दी पर बैठ रहे है. उनके पिताजी बचपन में ही यहां आ गए थे. इसके बाद से पंडोखर धाम की गद्दी पर वह बैठते हैं.


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