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जानिए, लॉकडाउन में कैसे चल रहा था भारतीय डाक

डाकिया डाक लाया, खुशी का पैगाम लाया... अब यह गुजरे जमाने का गीत हो चुका है. एक जमाना था जब डाकिये की बड़ी पूछ होती थी. लोग डाकिया को देखते ही पूछ बैठते थे... क्या भैया हमारे लिए भी कुछ लाये हैं. अब वह बात नहीं रही, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने एक बार फिर इस गीत को सजीव कर दिया है. पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट....

भारतीय डाक.
भारतीय डाक.
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Published : Jul 4, 2020, 4:44 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST

इटावाः कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन में पूरे देश की रफ्तार में ब्रेक सा लग गया. तब भी डाक सेवा सुचारु रूप से न सिर्फ चलती रही बल्कि समय पर सभी तक उनके पत्र, पार्सल, मनी आर्डर पहुंचाने का भी काम किया. सिर्फ इटावा जनपद में ही लॉकडाउन के दौरान रोजाना 1000 से अधिक डाक घर-घर पहुंचाए. अब जब धीरे-धीरे देश गति पकड़ रहा है तो डाक व्यवस्था भी पटरी पर लौट रही है. इस समय जनपद में रोजाना 8000 से अधिक डाक आ रही है और यहां से 4000 से अधिक डाक बाहर जा रही है. इस काम को सभी नियमों का पालन करते हुए डाकिए बखूबी निभा रहे हैं.

कोरोना काल में भारतीय डाक.

रेल सेवा शुरू होते ही फुल स्पीड से चलेगी डाक
रेल डाक सेवा के उप अभिलेख अधिकारी रावेंद्र सिंह ने बताया लॉकडाउन लगने के बाद सभी व्यवस्था ठप पड़ गई, लेकिन तब भी धीरे-धीरे डाक व्यवस्था चल रही थी. उन्होंने बताया कि शासन ने पहले 35 फिर 50 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की बात कही, जिससे कुछ समस्या सामने आई, लेकिन फिर भी डाक विभाग ने अपने वाहनों से डाक सेवा बहाल रखी. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि जहां लॉकडाउन में डाक की संख्या 1000 में सिमट गई थी वहीं अब धीरे-धीरे 8000 डाक का आंकड़ा छूने लगी है. वहीं यहां से जाने वाले की डाक की संख्या अब 4000 के तकरीबन पहुंच चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि अभी डाक सेवा 60 प्रतिशत तो वापस आ गई है बाकी 40 प्रतिशत रेल सेवा बहाल होने के बाद वापस आ जाएगी.

लॉकडाउन में अपने वाहन से बांटी डाक
इटावा के डाक अधीक्षक त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि जब लॉकडाउन लगा तो जो भी भारत सरकार के गाइडलाइन थी उनका पालन करवाकर डाक सेवा को बहाल रखा गया. इस दौरान सेवा में लगे लोगों ने सभी तरह के नियमों का पालन करते हुए डाक सेवा को बहाल रखा. उन्होंने बताया कि रेल सेवा भी ठप हो जाने के बाद विभाग ने अपनी गाड़ियों से अलग-अलग रूटों पर डाक पहुंचाने का काम किया है. यहां तक कि व्यक्तिगत गाड़ी से भी डाक लाकर बांटी गई. उन्होंने कहा कि अब डाकघर से लेकर डाकिए सबको सैनिटाइजर दे दिया जा चुका है, वह जहां भी जाते हैं पहले अपना हाथ साफ करते हैं उसके बाद ही कोई पत्र या पार्सल का आदान-प्रदान करते हैं. वहीं उन्होंने आगे बताया कि जनपद में करीब सरकारी और प्राइवेट दोनों किस्म की डाक बड़ी संख्या में आ रही है.

1000 से 8000 तक पहुंचा डाक का आंकड़ा
अधीक्षक त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन में डाक की संख्या एक दम से कम हो गयी थी. लॉकडाउन में यहां आने वाली डाक की संख्या 1000 तो यहां से जाने वाली 500 तक ही रह गयी थी. लेकिन अब इस संख्या में दोगुने से भी अधिक का इजाफा हुआ है. अब जनपद में 8000 के करीब डाक आ रही है वहीं 4000 के करीब डाक जनपद से बाहर जा रही है.

इटावाः कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन में पूरे देश की रफ्तार में ब्रेक सा लग गया. तब भी डाक सेवा सुचारु रूप से न सिर्फ चलती रही बल्कि समय पर सभी तक उनके पत्र, पार्सल, मनी आर्डर पहुंचाने का भी काम किया. सिर्फ इटावा जनपद में ही लॉकडाउन के दौरान रोजाना 1000 से अधिक डाक घर-घर पहुंचाए. अब जब धीरे-धीरे देश गति पकड़ रहा है तो डाक व्यवस्था भी पटरी पर लौट रही है. इस समय जनपद में रोजाना 8000 से अधिक डाक आ रही है और यहां से 4000 से अधिक डाक बाहर जा रही है. इस काम को सभी नियमों का पालन करते हुए डाकिए बखूबी निभा रहे हैं.

कोरोना काल में भारतीय डाक.

रेल सेवा शुरू होते ही फुल स्पीड से चलेगी डाक
रेल डाक सेवा के उप अभिलेख अधिकारी रावेंद्र सिंह ने बताया लॉकडाउन लगने के बाद सभी व्यवस्था ठप पड़ गई, लेकिन तब भी धीरे-धीरे डाक व्यवस्था चल रही थी. उन्होंने बताया कि शासन ने पहले 35 फिर 50 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की बात कही, जिससे कुछ समस्या सामने आई, लेकिन फिर भी डाक विभाग ने अपने वाहनों से डाक सेवा बहाल रखी. वहीं उन्होंने यह भी बताया कि जहां लॉकडाउन में डाक की संख्या 1000 में सिमट गई थी वहीं अब धीरे-धीरे 8000 डाक का आंकड़ा छूने लगी है. वहीं यहां से जाने वाले की डाक की संख्या अब 4000 के तकरीबन पहुंच चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि अभी डाक सेवा 60 प्रतिशत तो वापस आ गई है बाकी 40 प्रतिशत रेल सेवा बहाल होने के बाद वापस आ जाएगी.

लॉकडाउन में अपने वाहन से बांटी डाक
इटावा के डाक अधीक्षक त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि जब लॉकडाउन लगा तो जो भी भारत सरकार के गाइडलाइन थी उनका पालन करवाकर डाक सेवा को बहाल रखा गया. इस दौरान सेवा में लगे लोगों ने सभी तरह के नियमों का पालन करते हुए डाक सेवा को बहाल रखा. उन्होंने बताया कि रेल सेवा भी ठप हो जाने के बाद विभाग ने अपनी गाड़ियों से अलग-अलग रूटों पर डाक पहुंचाने का काम किया है. यहां तक कि व्यक्तिगत गाड़ी से भी डाक लाकर बांटी गई. उन्होंने कहा कि अब डाकघर से लेकर डाकिए सबको सैनिटाइजर दे दिया जा चुका है, वह जहां भी जाते हैं पहले अपना हाथ साफ करते हैं उसके बाद ही कोई पत्र या पार्सल का आदान-प्रदान करते हैं. वहीं उन्होंने आगे बताया कि जनपद में करीब सरकारी और प्राइवेट दोनों किस्म की डाक बड़ी संख्या में आ रही है.

1000 से 8000 तक पहुंचा डाक का आंकड़ा
अधीक्षक त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन में डाक की संख्या एक दम से कम हो गयी थी. लॉकडाउन में यहां आने वाली डाक की संख्या 1000 तो यहां से जाने वाली 500 तक ही रह गयी थी. लेकिन अब इस संख्या में दोगुने से भी अधिक का इजाफा हुआ है. अब जनपद में 8000 के करीब डाक आ रही है वहीं 4000 के करीब डाक जनपद से बाहर जा रही है.

Last Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST
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