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लॉकडाउन में बढ़ी घड़ों की बिक्री, लेकिन नहीं बढ़ी कुम्हारों की कमाई

कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन में मिट्टी के घड़ों की बिक्री में तेजी तो आई है लेकिन घड़े की कीमत वही हैं जो दो साल पहले थी. दो सालों में मिट्टी से लेकर अन्य सामानों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. घड़े की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने से कुम्हार निराश हैं.

बिक्री बढ़ने के बाद भी कुम्हार परेशान.
बिक्री बढ़ने के बाद भी कुम्हार परेशान.
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Published : Jun 8, 2020, 4:30 AM IST

Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST

इटावा: कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोग ठंडे पानी और एसी जैसी चीजों से परहेज कर रहे हैं. क्योंकि लोगों को ठंड से लोगों को इम्युनिटी पावर के कमजोर होने का खतरा होता है. इस कारण एक बार फिर कुम्हार के चाक और घड़े के अच्छे दिन आए हैं. इस वजह से गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले घड़े की मार्केट में डिमांड बढ़ी है. क्या आम और क्या खास सभी लोग घड़े खरीद रहे हैं. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुम्हारों से बात की और उनके हालात जाने. कुम्हारों का कहना है कि घड़ों की बिक्री तो बढ़ी है लेकिन कीमतें दो साल पहले वाली ही हैं. जिस वजह से इस काम में लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है.

बिक्री बढ़ने के बाद भी कुम्हार परेशान.
जिले में लोगों ने इस तपती हुई गर्मी में फ्रिज के पानी से तौबा करते हुए गरीबों का फ्रिज कहा जाने वाला घड़े की ओर रुख कर लिया है. बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. लोग घड़े के पानी को प्राथमिकता दे रहे हैं. लोगों का मानना है कि घड़े के पानी से इम्युनिटी पावर मजबूत होती है जिससे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इस घड़े के पानी से जहां लोगों की इम्युनिटी पावर मजबूत हो रही है वहीं कुम्हारों की फाइनेंस पावर को कोई भी मजबूती नहीं मिल रही है. पिछले 2 सालों से घड़े के दामों में तो बढ़ोतरी नहीं हुई है पर मिट्टी से लेकर बाकी सभी सामानों के दाम आसमान छूने लगे हैं. इसे लेकर जब ईटीवी भारत ने कुम्हार राम प्रजापति से बात की तो उनका दर्द छलक आया.


लागत निकलना भी मुश्किल
कुम्हार राम प्रजापति ने बताया कि एक घड़ा बनाने में 2 दिन का समय लग जाता है. एक दिन में घड़ा बन पाता है और दूसरे दिन उसको पकाना होता है. मंहगाई लगातार बढ़ती जा रही है. इस बार लोग जब घड़े ले जा रहे हैं तो कुछ मेहनत सार्थक होती दिख रही है. पिछले साल तक इतनी संख्या में लोग घड़ा लेने नहीं आते थे. इस कारण हर बार घाटा होता था, लेकिन इस बार लग रहा है कि आगर फायदा नहीं होगा तो लागत तो निकल ही आएगी.

कुम्हारों का कहना है कि इस लॉकडाउन में घड़े की बिक्री खूब बढ़ी है. लोग बड़ी संख्या में घड़े ले जा रहे हैं. पिछले साल से मिट्टी के साथ-साथ सभी सामानों के दाम बढ़ गए लेकिन घड़े की कीमत नहीं बढ़ रही है, इस वजह से इस काम में लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है.


फ्रिज नहीं घड़े का पानी ही पिएंगे
ग्राहक फ्रीज की बजाय इस बार घड़े के पानी को तरजीह दे रहे हैं. ग्राहकों का कहना है कि इससे फायदा है इसलिए सेहत को मजबूत रखने के लिए और बच्चों को भी स्वस्थ रखने के लिए घड़ा लेकर जा रहे हैं.

ग्राहक सरताज खान ने बताया कि वह बच्चों को भी और खुद भी इसी का पानी पिएंगे ताकि स्वस्थ रहे और सेहत भी बनी रहे. बचपन में इसका उपयोग करते थे, लेकिन बीच में बंद कर दिया. अब वापस इसकी ओर आ रहे हैं क्योंकि पुरानी चीजों से ही स्वास्थ्य बना रह सकता है.

इटावा: कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोग ठंडे पानी और एसी जैसी चीजों से परहेज कर रहे हैं. क्योंकि लोगों को ठंड से लोगों को इम्युनिटी पावर के कमजोर होने का खतरा होता है. इस कारण एक बार फिर कुम्हार के चाक और घड़े के अच्छे दिन आए हैं. इस वजह से गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले घड़े की मार्केट में डिमांड बढ़ी है. क्या आम और क्या खास सभी लोग घड़े खरीद रहे हैं. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुम्हारों से बात की और उनके हालात जाने. कुम्हारों का कहना है कि घड़ों की बिक्री तो बढ़ी है लेकिन कीमतें दो साल पहले वाली ही हैं. जिस वजह से इस काम में लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है.

बिक्री बढ़ने के बाद भी कुम्हार परेशान.
जिले में लोगों ने इस तपती हुई गर्मी में फ्रिज के पानी से तौबा करते हुए गरीबों का फ्रिज कहा जाने वाला घड़े की ओर रुख कर लिया है. बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. लोग घड़े के पानी को प्राथमिकता दे रहे हैं. लोगों का मानना है कि घड़े के पानी से इम्युनिटी पावर मजबूत होती है जिससे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इस घड़े के पानी से जहां लोगों की इम्युनिटी पावर मजबूत हो रही है वहीं कुम्हारों की फाइनेंस पावर को कोई भी मजबूती नहीं मिल रही है. पिछले 2 सालों से घड़े के दामों में तो बढ़ोतरी नहीं हुई है पर मिट्टी से लेकर बाकी सभी सामानों के दाम आसमान छूने लगे हैं. इसे लेकर जब ईटीवी भारत ने कुम्हार राम प्रजापति से बात की तो उनका दर्द छलक आया.


लागत निकलना भी मुश्किल
कुम्हार राम प्रजापति ने बताया कि एक घड़ा बनाने में 2 दिन का समय लग जाता है. एक दिन में घड़ा बन पाता है और दूसरे दिन उसको पकाना होता है. मंहगाई लगातार बढ़ती जा रही है. इस बार लोग जब घड़े ले जा रहे हैं तो कुछ मेहनत सार्थक होती दिख रही है. पिछले साल तक इतनी संख्या में लोग घड़ा लेने नहीं आते थे. इस कारण हर बार घाटा होता था, लेकिन इस बार लग रहा है कि आगर फायदा नहीं होगा तो लागत तो निकल ही आएगी.

कुम्हारों का कहना है कि इस लॉकडाउन में घड़े की बिक्री खूब बढ़ी है. लोग बड़ी संख्या में घड़े ले जा रहे हैं. पिछले साल से मिट्टी के साथ-साथ सभी सामानों के दाम बढ़ गए लेकिन घड़े की कीमत नहीं बढ़ रही है, इस वजह से इस काम में लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है.


फ्रिज नहीं घड़े का पानी ही पिएंगे
ग्राहक फ्रीज की बजाय इस बार घड़े के पानी को तरजीह दे रहे हैं. ग्राहकों का कहना है कि इससे फायदा है इसलिए सेहत को मजबूत रखने के लिए और बच्चों को भी स्वस्थ रखने के लिए घड़ा लेकर जा रहे हैं.

ग्राहक सरताज खान ने बताया कि वह बच्चों को भी और खुद भी इसी का पानी पिएंगे ताकि स्वस्थ रहे और सेहत भी बनी रहे. बचपन में इसका उपयोग करते थे, लेकिन बीच में बंद कर दिया. अब वापस इसकी ओर आ रहे हैं क्योंकि पुरानी चीजों से ही स्वास्थ्य बना रह सकता है.

Last Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST
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