इटावा: जिले के जसवंतनगर से बहने वाली सिरसा नदी की सफाई के लिए प्रशासन के आदेश दिए हैं. प्रशासन के आदेश के बाद सिरसा नदी की सफाई का कार्य जोरों पर है. सोमवार को नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष ने कार्यों का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए.
जेसीबी की मदद से हो रहा कार्य
मामला इटावा जिले के जसवंतनगर का है. सिरसा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नगर पालिका परिषद जसवंतनगर ने एक जेसीबी और हाइड्रा मशीन के जरिए नदी में भरी गंदगी और सिल्ट निकालने का काम शुरू करा दिया है. नगर पालिका अध्यक्ष ने कार्य का निरीक्षण कर इसे शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए हैं.
नगर से होकर निकलती है सिरसा नदी
प्राचीन काल में सिरसा नदी का अपना महत्व था, लेकिन धीरे-धीरे नदी अपना अस्तित्व खोती चली गई. वर्तमान में लोगों ने नदी की जमीन पर कब्जा कर लिया है. स्थानीय लोग एवं समाजसेवी नदी की सफाई की मांग करते रहे हैं. पिछले दिनों पालिका अध्यक्ष सुशील कुमार जौली के नेतृत्व में ‘सिरसा नदी बचाओ’ जागरूकता रैली नगर क्षेत्र में निकाली गई थी. नगर पालिका जसवंतनगर के अधिशासी अधिकारी रामेंद्र सिंह यादव ने सफाई कार्य करवाया था. अब जिला प्रशासन ने नदी को साफ कराने का बीड़ा उठाया गया. साथ ही सोमवार से नदी की सफाई का कार्य शुरू करा दिया गया.
1.30 किलोमीटर में हो रहा सफाई कार्य
सफाई प्रभारी राम सिया ने बताया है कि नगर की लगभग 1.30 किलोमीटर सीमा में सफाई का कार्य शुरू करा दिया गया है. पालिका ने एक जेसीबी और एक हाइड्रा मशीन से नदी की सिल्ट और गंदगी को हटाने का काम शुरू कर दिया. मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर विकासखंड जसवंतनगर क्षेत्र में भी मनरेगा व प्रवासी श्रमिकों से सफाई का कार्य कराया जा रहा है. सिरसा नदी के सफाई कार्य का वीडियो बनाया जाएगा.
सफाई का किया निरीक्षण
पालिका अध्यक्ष सुनील कुमार ने नदी की सफाई व सदर बाजार रेलवे स्टेशन रोड स्थित पुल और बाल्मीकि घाट के समीप सफाई में आ रही परेशानी जानने के लिएा निरीक्षण किया. इस दौरान पालिका कर्मचारियों ने सफाई कार्य में रोड़ा बन रहे कुछ अवैध अतिक्रमण के बारे में पालिका अध्यक्ष को अवगत कराया. पालिका अध्यक्ष ने लोगों की समस्याओं को निपटा कर कार्य को तेजी से कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सिरसा नदी की सफाई एवं इसके अवरोधों को दूर करते हुए नदी को पुनर्जीवित करना जरूरी है. सिरसा नदी का पुनर्जीवन क्षेत्र के पर्यावरण इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा.