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एटा: 9 सिर वाले रावण का हुआ दहन, बेकाबू हुई भीड़ - एटा में मनाया गया दशहरा

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में मंगलवार को दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया. वहीं रावण दहन के बाद रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई.

9 सिर वाले रावण का हुआ दहन.
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Published : Oct 9, 2019, 3:07 AM IST

एटा: जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित रामलीला ग्राउंड में मंगलवार को विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान रावण दहन के पहले रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला चर्चा का विषय बना रहा. यहां आए लोग नौ सिर वाले रावण के पुतले को देखकर चकित थे. दरअसल रावण का पुतला लगाते समय कारीगरों की लापरवाही के चलते एक सिर पहले ही टूट गया था, जिसके चलते रावण के नौ सिर ही बचे. वहीं रावण दहन के के बाद जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए लोगों की भीड़ टूट पड़ी, जिसे रोकने के लिए पुलिस को लाठियां भी भांजनी पड़ी.

9 सिर वाले रावण का हुआ दहन.

नौ सिर वाला रावण बना चर्चा का केंद्र

  • दरअसल विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन की परंपरा प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी एटा के रामलीला ग्राउंड में मनाई गई.
  • रावण दहन देखने के लिए दोपहर से ही लोगों का रामलीला ग्राउंड में भीड़ लगी रही.
  • इस दौरान रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला लोगों के चर्चा का विषय बना रहा.
  • दरअसल इस बार रावण के नौ ही सिर थे.
  • रावण दहन के बाद रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई.
  • मौके पर मौजूद पुलिस ने लोगों को किसी तरह शांत कराया.

एटा: जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित रामलीला ग्राउंड में मंगलवार को विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान रावण दहन के पहले रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला चर्चा का विषय बना रहा. यहां आए लोग नौ सिर वाले रावण के पुतले को देखकर चकित थे. दरअसल रावण का पुतला लगाते समय कारीगरों की लापरवाही के चलते एक सिर पहले ही टूट गया था, जिसके चलते रावण के नौ सिर ही बचे. वहीं रावण दहन के के बाद जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए लोगों की भीड़ टूट पड़ी, जिसे रोकने के लिए पुलिस को लाठियां भी भांजनी पड़ी.

9 सिर वाले रावण का हुआ दहन.

नौ सिर वाला रावण बना चर्चा का केंद्र

  • दरअसल विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन की परंपरा प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी एटा के रामलीला ग्राउंड में मनाई गई.
  • रावण दहन देखने के लिए दोपहर से ही लोगों का रामलीला ग्राउंड में भीड़ लगी रही.
  • इस दौरान रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला लोगों के चर्चा का विषय बना रहा.
  • दरअसल इस बार रावण के नौ ही सिर थे.
  • रावण दहन के बाद रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई.
  • मौके पर मौजूद पुलिस ने लोगों को किसी तरह शांत कराया.
Intro:एटा के नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित रामलीला ग्राउंड में मंगलवार को विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान रावण दहन के पहले रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला चर्चा का विषय बना रहा। लोग 9 सिर वाले रावण के पुतले को देखकर चकित थे। 10 सिर वाले रावण की जगह यहां 9 सिर वाले रावण का दहन होने जा रहा था। बताया जा रहा है कि रावण का पुतला लगाते समय कारीगरों की लापरवाही के चलते एक सिर पहले ही टूट गया था । जिसके चलते रावण के 9 सिर ही बचे। वहीं रावण दहन के के बाद जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए लोगों की भीड़ टूट पड़ी। जिसे रोकने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी।


Body:दरअसल विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन की परंपरा प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी एटा के रामलीला ग्राउंड में होनी थी। रावण दहन का समय रात करीब 8 बजे मुकर्रर किया गया था। लेकिन रावण दहन देखने के लिए दोपहर से ही लोगों का रामलीला ग्राउंड में पहुंचना जारी था। शाम होते-होते रामलीला ग्राउंड में भारी भीड़ हो गई थी । इस दौरान रामलीला ग्राउंड में लगा रावण का पुतला लोगों के चर्चा का विषय बना रहा। रावण के पुतले पर लोग चर्चा इसलिए कर रहे थे कि जहां हर बार रावण के 10 सिर होते थे। इस बार रावण के 9 सिर ही थे। लोगों ने इस दौरान राम लीला कमेटी के सदस्यों से चर्चा भी की तब जाकर पता चला कि जब रावण का पुतला लगाया जा रहा था । तभी कारीगरों की लापरवाही के चलते उसका एक सीर टूट गया और उस समय किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते विजयदशमी के दिन 9 सिर वाले रावण का दहन किया गया।
बाइट-मनोज यादव ( स्थानीय निवासी)


Conclusion:
भीड़ हुई बेकाबू


रावण दहन के बाद रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को लेने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई। बताया जा रहा है कि रावण दहन के बाद पुतले की अधजली लकड़ियों को लेने के लिए हर साल भीड़ बेकाबू होती है। इसके पीछे स्थानीय लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। लोग रावण के पुतले की जली हुई लकड़ी को उसकी अस्थियां समझ कर अपने घर ले जाते हैं। उनका मानना है कि इन अधजलि लकड़ियों को घर में रखने से किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर में नहीं रहती है।

बाइट: विकास (स्थानीय निवासी)
बाइट: किशन (स्थानीय निवासी)
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