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एटाः खानाबदोश जिंदगी जीने पर मजबूर हैं यह महिलाएं

एटा जिले के सैनिक पड़ाव में चल रहे एटा महोत्सव में सांस्कृतिक कला नाम से एक कैंप लगा हुआ है. इस कैंप में महिलाएं और लड़कियां नृत्य कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.

सुमन
सुमन
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Published : Jan 26, 2020, 10:44 AM IST

एटाः गरीबी लोगों से क्या कुछ नहीं कराती. गरीबी का दंश झेल रहे लोगों को तो वह भी काम करना पड़ता है, जो सभ्य समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता. उन्हीं में से वह महिलाएं और लड़कियां हैं, जो सांस्कृतिक कला के नाम पर नृत्य कर अपना भरण-पोषण करती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

जिले के सैनिक पड़ाव में चल रहे राजकीय जिला कृषि एवं औद्योगिक विकास प्रदर्शनी 2020 यानी एटा महोत्सव में भी सांस्कृतिक कला नाम से एक कैंप लगा हुआ है. इसमें दूरदराज के क्षेत्रों से आई महिलाएं और लड़कियां नृत्य करती हैं. महिलाएं तथा लड़कियां इसे अपना काम समझकर अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं. इससे इनका और इनके परिवार का भरण पोषण होता है. मेला दर मेला भटकतीं यह महिलाएं तथा लड़कियां खानाबदोश जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.

नृत्य कर रही महिलाओं तथा लड़कियों ने बताया है कि इस काम में जितनी भी महिलाएं और लड़कियां जुड़ी हुई हैं. यह उनका खानदानी काम है. इस खानदानी काम से जो पैसा आता है. उससे उनका तथा उनके परिवार का भरण पोषण होता है.

इस काम से जुड़ी हुई महिलाओं तथा लड़कियों की मुखिया सुमन बताती हैं कि करीब 16 साल पहले उनकी शादी हुई थी. उनके घर में खाने को कुछ भी नहीं था. इसके बाद उन्होंने पार्टी में काम कर अपने घर और बच्चों का पालन पोषण किया. उन्होंने बताया कि इस काम में घर की लड़कियां तथा बाहर की दोनों शामिल है.

वह कहती हैं कि अपनी कला का प्रदर्शन कर चार पैसा कमा लेते हैं. उनके यहां कला देखने आए लोग तरह-तरह की बातें करते हैं. हम सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. किसी प्रकार का गलत काम नहीं करते. जो गंदे लोग होते हैं, हम उन्हें आने भी नहीं देते. यदि कोई गलत काम या झगड़ा करने की कोशिश करता है, तो हम पुलिस को बुला लेते हैं और तत्काल लोगों को उनके हवाले कर देते हैं. सुमन कहती है कि अगर उनके बच्चों की नौकरी लगी होती, तो यह काम वह नहीं करती.

एटाः गरीबी लोगों से क्या कुछ नहीं कराती. गरीबी का दंश झेल रहे लोगों को तो वह भी काम करना पड़ता है, जो सभ्य समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता. उन्हीं में से वह महिलाएं और लड़कियां हैं, जो सांस्कृतिक कला के नाम पर नृत्य कर अपना भरण-पोषण करती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

जिले के सैनिक पड़ाव में चल रहे राजकीय जिला कृषि एवं औद्योगिक विकास प्रदर्शनी 2020 यानी एटा महोत्सव में भी सांस्कृतिक कला नाम से एक कैंप लगा हुआ है. इसमें दूरदराज के क्षेत्रों से आई महिलाएं और लड़कियां नृत्य करती हैं. महिलाएं तथा लड़कियां इसे अपना काम समझकर अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं. इससे इनका और इनके परिवार का भरण पोषण होता है. मेला दर मेला भटकतीं यह महिलाएं तथा लड़कियां खानाबदोश जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.

नृत्य कर रही महिलाओं तथा लड़कियों ने बताया है कि इस काम में जितनी भी महिलाएं और लड़कियां जुड़ी हुई हैं. यह उनका खानदानी काम है. इस खानदानी काम से जो पैसा आता है. उससे उनका तथा उनके परिवार का भरण पोषण होता है.

इस काम से जुड़ी हुई महिलाओं तथा लड़कियों की मुखिया सुमन बताती हैं कि करीब 16 साल पहले उनकी शादी हुई थी. उनके घर में खाने को कुछ भी नहीं था. इसके बाद उन्होंने पार्टी में काम कर अपने घर और बच्चों का पालन पोषण किया. उन्होंने बताया कि इस काम में घर की लड़कियां तथा बाहर की दोनों शामिल है.

वह कहती हैं कि अपनी कला का प्रदर्शन कर चार पैसा कमा लेते हैं. उनके यहां कला देखने आए लोग तरह-तरह की बातें करते हैं. हम सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. किसी प्रकार का गलत काम नहीं करते. जो गंदे लोग होते हैं, हम उन्हें आने भी नहीं देते. यदि कोई गलत काम या झगड़ा करने की कोशिश करता है, तो हम पुलिस को बुला लेते हैं और तत्काल लोगों को उनके हवाले कर देते हैं. सुमन कहती है कि अगर उनके बच्चों की नौकरी लगी होती, तो यह काम वह नहीं करती.

Intro:एटा। गरीबी लोगों से क्या कुछ नहीं कराती। गरीबी का दंश झेल रहे लोगों को तो वह भी काम करना पड़ता है। जो सभ्य समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। उन्हीं में से वह महिलाएं और लड़कियां हैं। जो सांस्कृतिक कला के नाम पर नृत्य कर अपना भरण पोषण करती है। इन लड़कियों और महिलाओं का नृत्य देखने के लिए सभ्य समाज के लोग ही पहुँचते हैं और नृत्य करती लड़कियों और महिलाओं पर पैसे लुटाते हैं। इन महिलाओं और लड़कियों के प्रति लोगों का जो भी नजरिया रहता हो। लेकिन यह महिलाएं तथा लड़कियां इसे अपना काम समझकर अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं। जिससे इनका और इनके परिवार का भरण पोषण होता है। मेला दर मेला भटकती यह महिलाएं तथा लड़कियां खानाबदोश जिंदगी जीने पर मजबूर है।


Body:जिले के सैनिक पड़ाव में चल रहे राजकीय जिला कृषि एवं औद्योगिक विकास प्रदर्शनी 2020 यानी कि एटा महोत्सव में भी सांस्कृतिक कला नाम से एक कैंप लगा हुआ है। जिसमें दूरदराज के क्षेत्रों से आई महिलाएं और लड़कियां नृत्य करती हैं। नृत्य कर रही महिलाओं तथा लड़कियों ने बताया है कि इस काम मे जितनी भी महिलाएं और लड़कियां जुड़ी हुई है। यह उनका खानदानी काम है। इस खानदानी काम से जो पैसा आता है। उससे उनका तथा उनके परिवार का भरण पोषण होता है । इस काम से जुड़ी हुई महिलाओं तथा लड़कियों की मुखिया सुमन बताती है कि करीब 16 साल पहले जब उनकी शादी हुई थी। उनके घर में खाने को भी नहीं था। जिसके बाद उन्होंने पार्टी चलाकर अपने घर और अपने बच्चों का पालन पोषण किया। उन्होंने बताया कि इस काम में घर की लड़कियां तथा बाहर की दोनों शामिल है। वह बताती है कि अपनी कला का प्रदर्शन कर चार पैसा कमा लेते हैं। तरह-तरह की लोग करते हैं बात सुमन बताती हैं कि उनके यहां कला देखने आए लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। सबका मुंह तो नहीं पकड़ सकते,लेकिन हम सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं,किसी प्रकार का गलत काम नहीं करते।जो गंदे लोग होते हैं। हम उन्हें आने भी नहीं देते। हमारा तो एक ही कहना रहता है कि कला हमारी देखो और यहां से जाओ। यदि कोई गलत काम या झगड़ा करने की कोशिश करता है। तो हम पुलिस को बुला लेते हैं और तत्काल लोगों को उनके हवाले कर देते हैं। कई बार तो काम करने में दिक्कत आती है । जिससे हमें काम बंद कर देना पड़ता है। सुमन कहती है कि अगर उनके बच्चों की नौकरी लगी होती। तो यह काम वह नहीं करती। मुफलिसी का आलम यह है कि पूरे सालभर देश जगह-जगह जाकर यह महिलाएं तथा लड़कियां अपनी कला का प्रदर्शन करती है। बाइट:सुमन (मुखिया,संस्कृतिक कला )


Conclusion:इसे जिंदगी जीने की मजबूरी ही कहेंगे कि सामने वाले की सोच व नजरिए को समझने के बाद भी यह महिलाएं अपनी कला का प्रदर्शन करती है। पीटूसी:वीरेन्द्र पाण्डेय
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