एटाः प्रदेश की पहली ब्लॉक स्तरीय ब्लड स्टोरेज यूनिट एटा जिले के जलेसर में शुरू की गई है. इससे खासतौर से गर्भवती महिलाओं को लाभ मिलेगा. मंगलवार को इस यूनिट की शुरुआत हुई.
शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रयास
शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. इसी के तहत प्रसूता महिलाओं में खून की कमी से होने वाली जटिलताओं को सरल बनाने के उद्देश्य से जनपद के ब्लॉक जलेसर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ब्लड स्टोरेज यूनिट का मंगलवार को शुभारंभ किया गया. इससे जल्द से जल्द रक्त की आपूर्ति की जा सकेगी.
रक्त की पूर्ति हो सकेगी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार गर्ग ने बताया कि पहले जलेसर व समीपवर्ती क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर ट्रांसफ्यूजन की स्थिति में रक्त की पूर्ति के लिए जनपद एटा से रक्त मंगाना पड़ता था. इसमें काफी समय लग जाता था. उक्त ब्लड स्टोरेज यूनिट के होने से एनीमिक गर्भवती महिलाओं को तत्काल ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा प्राप्त हो सकेगी.
एमएलसी ने किया शुभारंभ
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जलेसर पर ब्लड स्टोरेज यूनिट का शुभारंभ एमएलसी प्रतिपाल सिंह व चेयरमैन विकास गुप्ता ने किया. उद्घाटन के समय मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरविंद कुमार गर्ग, एसीएमओ डॉ बी.डी. भिरोरिया, सीएमएस राजेश अग्रवाल, मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता ताहिरा अल्वी, डिस्ट्रिक्ट ग्रीवेंस मैनेजर अभिषेक शुक्ला, टीएसयू से श्वेता पांडे, एमओआईसी पवन शर्मा, एमओ डॉक्टर बृजेश कुमार, डॉ अजेंद्र प्रताप, डॉ कविता साहू, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर देवकीनंदन, विजय प्रताप, फार्मासिस्ट प्रवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे.
ब्लॉक स्तर की पहली स्टोरेज यूनिट
एसीएमओ आरसीएच, डॉक्टर बी.डी. भिरोरिया ने बताया कि प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर खुलने वाली यह प्रथम ब्लड स्टोरेज यूनिट है. इस इकाई में 5 यूनिट ब्लड हर समय उपलब्ध रहेगा. उन्होंने बताया कि जलेसर में कुल 4127 गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. जिसमें से 157 महिलाएं ऐसी हैं जिनमें हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम से कम है. वहीं 42 महिलाएं 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली अर्थात हाई रिस्क वाली हैं. एसीएमओ ने बताया कि मंगलवार को दो हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती महिला (जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 7 ग्राम से कम है) विमलेश (जैनपुरा) व राधिका (जैनपूरा) को रक्त चढ़ाया गया. वहीं, जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता ताहिरा अल्वी ने बताया कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती महिलाओं को आयरन टेबलेट, आयरन सुक्रोज, पोषक व आयरन युक्त आहार देकर हीमोग्लोबिन स्तर बढ़ाए जाने का प्रयत्न किया जाता है पर यदि किसी भी कारणवश किसी समय ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ती है तो ब्लॉक में ब्लड स्टोरेज यूनिट द्वारा रक्त की आपूर्ति की जा सकेगी.