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एटा: जिला अस्पताल में नहीं सुधर रही है व्यवस्था, गायब रहते हैं चिकित्सक

उत्तर प्रदेश के एटा में जिला अस्पताल के चिकित्सकों की मनमानी मरीजों पर भारी पड़ रही है. चिकित्सक ओपीडी में मौजूद नहीं रहते हैं. घंटों लाइन में लगे रहने के बाद बिना इलाज के मरीजों को वापस जाना पड़ता है.

जिला अस्पताल से गायब रहते हैं चिकित्सक.
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Published : Aug 31, 2019, 9:43 AM IST

एटाः जिला अस्पताल में व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है. प्रशासनिक अधिकारियों की चेतावनी का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है. अस्पताल की ओपीडी से आए दिन डॉक्टर नदारद रहते हैं, जिसके चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल से गायब रहते हैं चिकित्सक.

ओपीडी से गायब रहते हैं चिकित्सक
एक तरफ जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की मनमर्जी मरीजों पर भारी पड़ रही है. रोजाना हजारों मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ओपीडी में चिकित्सक के गायब होने से उनकी समस्या कम होने के बजाय और बढ़ जाती है. दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए मरीजों को चिकित्सक का घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो घंटों इंतजार करने के बाद बिना इलाज ही मरीज वापस चले जाते हैं.

इसे भी पढ़ेंः- एटा: डेढ़ माह पहले बनी सड़क हुई जर्जर, आए दिन होते हैं हादसे

बाल रोग और अस्थि रोग विशेषज्ञ की स्थिति है बदतर
सबसे बुरी स्थिति बाल रोग विशेषज्ञ और अस्थि रोग विशेषज्ञ की है. इन दोनों चिकित्सकों पर आए दिन ओपीडी से गायब रहने का आरोप लगता रहता है. बता दें कि अकेले बाल रोग विभाग में रोजाना करीब 150 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिला अस्पताल में दो बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिनमें से एक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास अक्सर ओपीडी से गायब रहते हैं. यही स्थिति अस्थि रोग विशेषज्ञ की भी है. वह भी अपने हिसाब से ओपीडी में बैठते हैं और चले जाते हैं.

डॉ. व्यास जितने दिन आते हैं. उसी हिसाब से उनको सैलरी दी जाती है. पिछले तीन महीने से डॉ. व्यास की सैलरी रोक दी गई है.
-डॉ. राजेश अग्रवाल, सीएमएस,जिला अस्पताल

एटाः जिला अस्पताल में व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है. प्रशासनिक अधिकारियों की चेतावनी का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है. अस्पताल की ओपीडी से आए दिन डॉक्टर नदारद रहते हैं, जिसके चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल से गायब रहते हैं चिकित्सक.

ओपीडी से गायब रहते हैं चिकित्सक
एक तरफ जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की मनमर्जी मरीजों पर भारी पड़ रही है. रोजाना हजारों मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ओपीडी में चिकित्सक के गायब होने से उनकी समस्या कम होने के बजाय और बढ़ जाती है. दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए मरीजों को चिकित्सक का घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो घंटों इंतजार करने के बाद बिना इलाज ही मरीज वापस चले जाते हैं.

इसे भी पढ़ेंः- एटा: डेढ़ माह पहले बनी सड़क हुई जर्जर, आए दिन होते हैं हादसे

बाल रोग और अस्थि रोग विशेषज्ञ की स्थिति है बदतर
सबसे बुरी स्थिति बाल रोग विशेषज्ञ और अस्थि रोग विशेषज्ञ की है. इन दोनों चिकित्सकों पर आए दिन ओपीडी से गायब रहने का आरोप लगता रहता है. बता दें कि अकेले बाल रोग विभाग में रोजाना करीब 150 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिला अस्पताल में दो बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिनमें से एक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास अक्सर ओपीडी से गायब रहते हैं. यही स्थिति अस्थि रोग विशेषज्ञ की भी है. वह भी अपने हिसाब से ओपीडी में बैठते हैं और चले जाते हैं.

डॉ. व्यास जितने दिन आते हैं. उसी हिसाब से उनको सैलरी दी जाती है. पिछले तीन महीने से डॉ. व्यास की सैलरी रोक दी गई है.
-डॉ. राजेश अग्रवाल, सीएमएस,जिला अस्पताल

Intro:

एटा जिला अस्पताल में व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के चेतावनी का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है। अस्पताल की ओपीडी से आए दिन डॉक्टर नदारद रहते हैं। जिसके चलते मरीजों को परेशान होना पड़ता है । सबसे बुरा हाल बाल रोग विशेषज्ञ व अस्थि रोग विशेषज्ञ का बताया जा रहा है । यह दोनों ही चिकित्सक ओपीडी से जब मन होता है गायब हो जाते हैं।


Body:एक तरफ जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की मनमर्जी मरीजों पर भारी पड़ रही है। रोजाना हजारों मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं। लेकिन ओपीडी में चिकित्सक के गायब होने से उनकी समस्या कम होने के बजाय और बढ़ जाती है। दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए मरीजों को चिकित्सक का घंटों इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी तो घंटों इंतजार करने के बाद बिना इलाज ही मरीज वापस चले जाते हैं। सबसे बुरी स्थिति बाल रोग विशेषज्ञ व अस्थि रोग विशेषज्ञ की है। इन दोनों चिकित्सकों पर आए दिन ओपीडी से गायब रहने का आरोप लगता रहता है। बता दें कि अकेले बाल रोग विभाग में रोजाना करीब डेढ़ सौ बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। जिला अस्पताल में 2 बाल रोग विशेषज्ञ है। जिनमें से एक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ व्यास अक्सर ओपीडी से गायब रहते हैं। कमोवेश यही स्थिति अस्थि रोग विशेषज्ञ की भी है। वह भी अपने हिसाब से ओपीडी में बैठते हैं और चले जाते हैं।
बाइट:लाड प्यारी (बीमार बच्चे की मां)
बाइट डीएस व्यास (बीमार बच्चे के पिता)
बाइट:वीरेंद्र सिंह (मरीज)


Conclusion:अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर राजेश अग्रवाल के मुताबिक डॉ व्यास जितने दिन आते हैं । उसी हिसाब से उनको सैलरी दी जाती है। पिछले 3 महीने से डॉ व्यास की सैलरी रोक दी गई है।
बाइट:डॉ राजेश अग्रवाल ( सीएमएस जिला अस्पताल एटा)

एटा जिला अस्पताल में फैली अव्यवस्था को सुधारने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों ने दौरा कर ओपीडी से नदारद रहने वाले चिकित्सकों को चेतावनी भी दी। लेकिन चिकित्सक हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
पीटूसी
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