एटाः जिला अस्पताल में व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है. प्रशासनिक अधिकारियों की चेतावनी का भी कोई असर होता नहीं दिख रहा है. अस्पताल की ओपीडी से आए दिन डॉक्टर नदारद रहते हैं, जिसके चलते मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है.
ओपीडी से गायब रहते हैं चिकित्सक
एक तरफ जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है तो वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की मनमर्जी मरीजों पर भारी पड़ रही है. रोजाना हजारों मरीज जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन ओपीडी में चिकित्सक के गायब होने से उनकी समस्या कम होने के बजाय और बढ़ जाती है. दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए मरीजों को चिकित्सक का घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो घंटों इंतजार करने के बाद बिना इलाज ही मरीज वापस चले जाते हैं.
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बाल रोग और अस्थि रोग विशेषज्ञ की स्थिति है बदतर
सबसे बुरी स्थिति बाल रोग विशेषज्ञ और अस्थि रोग विशेषज्ञ की है. इन दोनों चिकित्सकों पर आए दिन ओपीडी से गायब रहने का आरोप लगता रहता है. बता दें कि अकेले बाल रोग विभाग में रोजाना करीब 150 बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं. जिला अस्पताल में दो बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिनमें से एक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास अक्सर ओपीडी से गायब रहते हैं. यही स्थिति अस्थि रोग विशेषज्ञ की भी है. वह भी अपने हिसाब से ओपीडी में बैठते हैं और चले जाते हैं.
डॉ. व्यास जितने दिन आते हैं. उसी हिसाब से उनको सैलरी दी जाती है. पिछले तीन महीने से डॉ. व्यास की सैलरी रोक दी गई है.
-डॉ. राजेश अग्रवाल, सीएमएस,जिला अस्पताल