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एटा: चाइनीज वस्तुओं ने छीना कुम्हारों का रोजगार, छोड़ने को मजबूर अपना पुश्तैनी काम - मिट्टी के बर्तन और दीयों की मांग काफी घट गई

यूपी के एटा में दीपक और बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को अपना पुश्तैनी काम छोड़कर मजदूरी करनी पड़ रही है. दरअसल, प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की बाजार में मांग बढ़ने से मिट्टी के बर्तन और दीयों की मांग काफी घट गई है. इस वजह से इन लोगों को घर का खर्च चलाना तो दूर दीपक बनाने में लगने वाली लागत भी नहीं निकल पा रही है.

चाइनीज वस्तुओं ने छीना कुम्हारों का रोजगार
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Published : Oct 26, 2019, 11:04 AM IST

एटा: मिट्टी को नया आकार देकर दीपक और बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को अपना पुश्तैनी काम छोड़कर मजदूरी करनी पड़ रही है. इसमें सबसे बुरी स्थिति महिलाओं और बच्चों की है. प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की बाजार में मांग बढ़ने से मिट्टी के बर्तन और दीयों की मांग काफी घट गई है. इससे दीपावली में दीयों की बिक्री पर काफी असर पड़ा है. इस वजह से इन लोगों को घर का खर्च चलाना तो दूर दीपक बनाने में लगने वाली लागत भी नहीं निकल पा रही है.

चाइनीज वस्तुओं ने छीना कुम्हारों का रोजगार.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: पुलिस थानों को मिट्टी के दीपक से सजाने का आदेश, तैयारियां शुरू

कुम्हारों को छोड़ना पड़ रहा अपना पुश्तैनी काम
दीपावली के त्योहार पर आस लगाए बैठे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों को एक बार फिर मायूसी ही दिखाई पड़ रही है. एटा के पटियाली गेट पर रहने वाले कई कुम्हारों के जीवन में इस दीपावली पर भी कुछ खास उजाला होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है.

बाजार में वन टाइम यूज्ड प्लास्टिक बंद होने के बाद भी मिट्टी के बर्तन और दीयों में कुछ खास बिक्री न होने से परेशान कुम्हार अन्य कामों को करने के लिए मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि अभी भी बाजार में प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की धूम है, जिससे मिट्टी के बर्तनों की पूछ न के बराबर है.

वहीं लोगों को दीपावली पर दीयों की रोशनी से ज्यादा चाइनीज आइटम की चमक ज्यादा भा रही है. मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने वालों का कहना है कि यदि प्लास्टिक और चाइनीज आइटम पूरी तरीके से बंद हो जाए तो उनका यह पुश्तैनी काम भी बच जाएगा. साथ ही दाल-रोटी भी चलती रहेगी.

एटा: मिट्टी को नया आकार देकर दीपक और बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को अपना पुश्तैनी काम छोड़कर मजदूरी करनी पड़ रही है. इसमें सबसे बुरी स्थिति महिलाओं और बच्चों की है. प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की बाजार में मांग बढ़ने से मिट्टी के बर्तन और दीयों की मांग काफी घट गई है. इससे दीपावली में दीयों की बिक्री पर काफी असर पड़ा है. इस वजह से इन लोगों को घर का खर्च चलाना तो दूर दीपक बनाने में लगने वाली लागत भी नहीं निकल पा रही है.

चाइनीज वस्तुओं ने छीना कुम्हारों का रोजगार.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: पुलिस थानों को मिट्टी के दीपक से सजाने का आदेश, तैयारियां शुरू

कुम्हारों को छोड़ना पड़ रहा अपना पुश्तैनी काम
दीपावली के त्योहार पर आस लगाए बैठे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों को एक बार फिर मायूसी ही दिखाई पड़ रही है. एटा के पटियाली गेट पर रहने वाले कई कुम्हारों के जीवन में इस दीपावली पर भी कुछ खास उजाला होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है.

बाजार में वन टाइम यूज्ड प्लास्टिक बंद होने के बाद भी मिट्टी के बर्तन और दीयों में कुछ खास बिक्री न होने से परेशान कुम्हार अन्य कामों को करने के लिए मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि अभी भी बाजार में प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की धूम है, जिससे मिट्टी के बर्तनों की पूछ न के बराबर है.

वहीं लोगों को दीपावली पर दीयों की रोशनी से ज्यादा चाइनीज आइटम की चमक ज्यादा भा रही है. मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने वालों का कहना है कि यदि प्लास्टिक और चाइनीज आइटम पूरी तरीके से बंद हो जाए तो उनका यह पुश्तैनी काम भी बच जाएगा. साथ ही दाल-रोटी भी चलती रहेगी.

Intro:मिट्टी को नया आकार देकर दीपक और बर्तन बनाने वाले लोगों को (कुम्हार) अपना पुश्तैनी काम छोड़कर मजदूरी करनी पड़ रही। सबसे बुरी स्थिति महिलाओं और बच्चों की है, प्लास्टिक और चाइनीज वस्तुओं की बाजार में मांग बढ़ने से मिट्टी के बर्तन और दीयों की मांग काफी घट गई। दीपावली में भी दीयों की बिक्री पर असर पड़ा है। जिससे दीपक बनाने वाले लोगों को घर का खर्च चलाना तो दूर की बात, दीपक बनाने में लगने वाली लागत भी नहीं निकल पा रही है।


Body:दीपावली के त्यौहार पर आस लगाए बैठे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों को एक बार फिर मायूसी ही दिखाई पड़ रही है। एटा के पटियाली गेट पर रहने वाले करीब आधा दर्जन कुम्हारों के जीवन में इस दीपावली पर भी कुछ खास उजाला होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है। बाजार में वन टाइम यूज्ड प्लास्टिक बंद होने के बाद भी मिट्टी के बर्तन और दियो मैं कुछ खास बिक्री ना होने से परेशान यह लोग अन्य कामों को करने के लिए मजबूर है। बताया जा रहा है, अभी भी बाजार में प्लास्टिक व चाइनीज वस्तुओं की धूम है। जिससे मिट्टी के बर्तनों की पूछ ना के बराबर है। वही दीपावली त्यौहार पर दीयों की रोशनी से ज्यादा लोगों को चाइनीज आइटम की चमक ज्यादा भा रही है।


Conclusion:मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने वाले लोग बताते हैं कि यदि प्लास्टिक और चाइनीज आइटम पूरी तरीके से बंद हो जाए। तो उनका यह पुश्तैनी काम भी बच जाएगा और उनकी दाल रोटी भी चलती रहेगी।
बाइट: होरीलाल (कुम्हार)
बाइट:केमवती
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