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एटा: ODOP से जोड़कर पीतल उद्योग को बढ़ावा देने में जुटा प्रशासन - पीतल उद्योग को बढ़ावा

यूपी के एटा जिले में पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रशासन पूरे कारोबार को 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत चिन्हित किया है. साथ ही पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इस उद्योग से जुड़े लोगों को संगठित किया जा रहा है.

जिला उद्योग केंद्र एटा.
जिला उद्योग केंद्र एटा.
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Published : Jun 25, 2020, 7:52 PM IST

एटा: पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत उद्योग से जुड़े लोगों को संगठित किया जा रहा है. पीतल उद्योग जिले में सिर्फ जलेसर क्षेत्र तक ही सीमित है. ऐसे में लोगों के बीच पीतल उद्योग को पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने प्रयास शुरू किए हैं.

जानकारी देते एटा उद्योग उपायुक्त.

दरअसल, जलेसर क्षेत्र में पीतल के घुंघरू, घंटे बनाने का काम होता है. यह पूरा इलाका ताज संरक्षित क्षेत्र में आता है. क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर पाबंदी है, जबकि पीतल से घुंगरू और घंटा बनाते समय कोयले का प्रयोग होता है और इससे वायु प्रदूषण होना लाजमी है. इस वजह से भी पीतल उद्योग से जुड़े उद्यमियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हालांकि प्रशासन की तरफ से राहत के काफी प्रयास किए जा रहे हैं.

पीतल उद्योग से जुड़े इस पूरे कारोबार को 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत चिन्हित किया गया है. इसके लिए प्रदेश सरकार तमाम तरह की योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं में प्रशिक्षण तथा फाइनेंसियल सुविधा की व्यवस्था की गई है. पीतल उद्योग से जुड़े लोग लोन ले सकते हैं, जिस पर सरकार उन्हें सब्सिडी भी देती है. इन सब सुविधाओं के बावजूद भी जिले का पीतल उद्योग केवल जलेसर क्षेत्र तक ही सीमित है.

बताया जाता है कि पीतल उद्योग का काम महज 10 से 15 फीसद इकाइयां ही कर रही हैं. ज्यादातर काम श्रमिक मांग के आधार पर स्वयं करते हैं. पीतल उद्योग से जुड़ी इकाइयां श्रमिकों को अपनी डिमांड बताती हैं. इकाइयों की मांग के अनुसार श्रमिक पीतल से बने घुंघरू व घंटे की सप्लाई देते हैं. कुल मिलाकर इस इलाके में इकाइयां कम और श्रमिक ज्यादा हैं.
उद्योग उपायुक्त अनुराग यादव के मुताबिक जलेसर क्षेत्र टीटीजेड में आता है. इसको लेकर एनजीटी में मामला चल रहा है. प्रदेश सरकार की तरफ से पक्ष रखा जा रहा है, जल्द ही किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जाएगा.

इसे भी पढे़ं- एटा: दस्तावेज संदिग्ध मिलने पर बीएसए ने रोकी शिक्षिका की सैलरी

एटा: पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत उद्योग से जुड़े लोगों को संगठित किया जा रहा है. पीतल उद्योग जिले में सिर्फ जलेसर क्षेत्र तक ही सीमित है. ऐसे में लोगों के बीच पीतल उद्योग को पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने प्रयास शुरू किए हैं.

जानकारी देते एटा उद्योग उपायुक्त.

दरअसल, जलेसर क्षेत्र में पीतल के घुंघरू, घंटे बनाने का काम होता है. यह पूरा इलाका ताज संरक्षित क्षेत्र में आता है. क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर पाबंदी है, जबकि पीतल से घुंगरू और घंटा बनाते समय कोयले का प्रयोग होता है और इससे वायु प्रदूषण होना लाजमी है. इस वजह से भी पीतल उद्योग से जुड़े उद्यमियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हालांकि प्रशासन की तरफ से राहत के काफी प्रयास किए जा रहे हैं.

पीतल उद्योग से जुड़े इस पूरे कारोबार को 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' के तहत चिन्हित किया गया है. इसके लिए प्रदेश सरकार तमाम तरह की योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं में प्रशिक्षण तथा फाइनेंसियल सुविधा की व्यवस्था की गई है. पीतल उद्योग से जुड़े लोग लोन ले सकते हैं, जिस पर सरकार उन्हें सब्सिडी भी देती है. इन सब सुविधाओं के बावजूद भी जिले का पीतल उद्योग केवल जलेसर क्षेत्र तक ही सीमित है.

बताया जाता है कि पीतल उद्योग का काम महज 10 से 15 फीसद इकाइयां ही कर रही हैं. ज्यादातर काम श्रमिक मांग के आधार पर स्वयं करते हैं. पीतल उद्योग से जुड़ी इकाइयां श्रमिकों को अपनी डिमांड बताती हैं. इकाइयों की मांग के अनुसार श्रमिक पीतल से बने घुंघरू व घंटे की सप्लाई देते हैं. कुल मिलाकर इस इलाके में इकाइयां कम और श्रमिक ज्यादा हैं.
उद्योग उपायुक्त अनुराग यादव के मुताबिक जलेसर क्षेत्र टीटीजेड में आता है. इसको लेकर एनजीटी में मामला चल रहा है. प्रदेश सरकार की तरफ से पक्ष रखा जा रहा है, जल्द ही किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जाएगा.

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