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एटा: हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की मौत - death of a prisoner serving sentence in etah district jail

एटा जिला कारागार में हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की हार्ट अटैक आने से मोत हो गई. कैदी की उम्र 59 साल बताई जा रही है. इस कैदी को 9 जनवरी 1984 को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी.

हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की मौत.
हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की मौत.
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Published : Apr 1, 2020, 9:19 PM IST

एटा: जिला कारागार में हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की अचानक सीने में दर्द होने से मौत हो गई. कैदी की उम्र 59 साल बताई जा रही है. कैदी की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है. जिला कारागार प्रशासन ने परिजनों को कैदी की मौत की सूचना दे दी है. कैदी के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है.

जेल अधीक्षक पीपी सिंह के मुताबिक मंगलवार की देर रात महावीर नाम के कैदी को अचानक सीने में दर्द की शिकायत हुई. पहले तो जेल के अंदर स्थित अस्पताल में कैदी का इलाज हुआ, लेकिन वहां कोई फायदा न होने के चलते उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया. यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

59 वर्षीय महावीर जिले के नयागांव थाना क्षेत्र स्थित गांव नगला चंदी का रहने वाला था. इसे 9 जनवरी 1984 को हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी. इस सजा के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील किए जाने पर इसे पैरोल पर छोड़ दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने जब आजीवन कारावास की सजा को 7 वर्ष कारावास में बदल दिया तो 12 नवंबर सन 2019 में सजा को काटने जिला कारागार आना पड़ा.
-रामबरन, मृतक का पुत्र

एटा: जिला कारागार में हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी की अचानक सीने में दर्द होने से मौत हो गई. कैदी की उम्र 59 साल बताई जा रही है. कैदी की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है. जिला कारागार प्रशासन ने परिजनों को कैदी की मौत की सूचना दे दी है. कैदी के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है.

जेल अधीक्षक पीपी सिंह के मुताबिक मंगलवार की देर रात महावीर नाम के कैदी को अचानक सीने में दर्द की शिकायत हुई. पहले तो जेल के अंदर स्थित अस्पताल में कैदी का इलाज हुआ, लेकिन वहां कोई फायदा न होने के चलते उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया. यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

59 वर्षीय महावीर जिले के नयागांव थाना क्षेत्र स्थित गांव नगला चंदी का रहने वाला था. इसे 9 जनवरी 1984 को हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी. इस सजा के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील किए जाने पर इसे पैरोल पर छोड़ दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने जब आजीवन कारावास की सजा को 7 वर्ष कारावास में बदल दिया तो 12 नवंबर सन 2019 में सजा को काटने जिला कारागार आना पड़ा.
-रामबरन, मृतक का पुत्र

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