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उपचुनावः ब्राह्मणों के सहारे देवरिया की 'दरिया' पार करने की फिराक में राजनीतिक दल

यूपी में होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने जनता के नब्ज को टटोलते हुए अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, देवरिया सदर सीट पर होनेवाले उपचुनाव में अनोखा रंग देखने को मिला है, जहां प्रदेश की चारों मुख्य पार्टियों ने अपने उम्मीदवार ब्राह्मण उतारे हैं.

ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दांव.
ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दांव.
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Published : Oct 23, 2020, 11:32 AM IST

देवरिया: जनपद में होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मी उफान पर है. देवरिया सदर विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका है. जब चारों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपना प्रत्याशी ब्राह्मण चुना हैं. अब इस चुनाव का परिणाम किसी भी राजनीतिक दलों के पक्ष में जाएं, लेकिन 29 साल बाद इस सीट पर ब्राह्णण विधायक का नेतृत्व होगा.

ब्राह्मण उम्मीदवारों पर लगा है दांव
देवरिया सदर सीट ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती है. इस सीट पर दोबारा 29 साल बाद कोई ब्राह्मण उम्मीदवार विधायक बनेगा. 1989 में ब्राह्मण उम्मीदवार राम छबीला मिश्रा जनता दल से चुनाव जीते थे, जिसके बाद से अभी तक कोई भी ब्राह्मण इस सीट से चुनाव नहीं जीत सका है.

29 साल बाद चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने
देवरिया के उपचुनाव में 29 साल बाद चारो प्रमुख पार्टियां ने एक साथ चार ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. यह देवरिया के राजनीति में पहला मौका है, जब चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने चुनाव के मैदान में उतरे हैं.

समाजवादी पार्टी ने इस बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं बीजेपी ने सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी पर दांव खेला है. कांग्रेस पार्टी ने मुकुन्द भास्कर मणि त्रिपाठी को तो वहीं बसपा अभय नाथ त्रिपाठी पर दांव आजमा रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 29 साल का रिकॉर्ड कौन ब्राम्हण उमीदवार अपने नाम करता है.

दरअसल, देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है. इसी वजह से सभी राजनीतिक पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. सरकारी आकड़ों के मुताबित देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता है, जिसको लुभाने के लिये सपा-बसपा कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों ने यह दांव खेला है. जनपद में दूसरे नंबर पर वैश्य मतदाता हैं. इनकी संख्या 45-50 हजार बताई जाती है. यादव मतदाता 25-30 हजार और मुस्लिम 20-25 हजार हैं. निषाद मतदाता भी किसी उम्मीदवार की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इनकी संख्या 20-22 हजार बताई गई है.

वहीं, क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या भी 18-20 हजार है. कुशवाहा मतदाता 15-16 हजार हैं. सैंथवार 12-13 हजार, राजभर 8-10 हजार और चौरसिया समाज के 8-10 हजार मतदाता हैं.

इसे भी पढ़ें- उपचुनाव : यूपी की इस सीट पर नतीजा जो भी हों, जीत 'त्रिपाठी' की होगी

देवरिया: जनपद में होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मी उफान पर है. देवरिया सदर विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका है. जब चारों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपना प्रत्याशी ब्राह्मण चुना हैं. अब इस चुनाव का परिणाम किसी भी राजनीतिक दलों के पक्ष में जाएं, लेकिन 29 साल बाद इस सीट पर ब्राह्णण विधायक का नेतृत्व होगा.

ब्राह्मण उम्मीदवारों पर लगा है दांव
देवरिया सदर सीट ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती है. इस सीट पर दोबारा 29 साल बाद कोई ब्राह्मण उम्मीदवार विधायक बनेगा. 1989 में ब्राह्मण उम्मीदवार राम छबीला मिश्रा जनता दल से चुनाव जीते थे, जिसके बाद से अभी तक कोई भी ब्राह्मण इस सीट से चुनाव नहीं जीत सका है.

29 साल बाद चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने
देवरिया के उपचुनाव में 29 साल बाद चारो प्रमुख पार्टियां ने एक साथ चार ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. यह देवरिया के राजनीति में पहला मौका है, जब चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने चुनाव के मैदान में उतरे हैं.

समाजवादी पार्टी ने इस बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं बीजेपी ने सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी पर दांव खेला है. कांग्रेस पार्टी ने मुकुन्द भास्कर मणि त्रिपाठी को तो वहीं बसपा अभय नाथ त्रिपाठी पर दांव आजमा रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 29 साल का रिकॉर्ड कौन ब्राम्हण उमीदवार अपने नाम करता है.

दरअसल, देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है. इसी वजह से सभी राजनीतिक पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. सरकारी आकड़ों के मुताबित देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता है, जिसको लुभाने के लिये सपा-बसपा कांग्रेस और बीजेपी पार्टियों ने यह दांव खेला है. जनपद में दूसरे नंबर पर वैश्य मतदाता हैं. इनकी संख्या 45-50 हजार बताई जाती है. यादव मतदाता 25-30 हजार और मुस्लिम 20-25 हजार हैं. निषाद मतदाता भी किसी उम्मीदवार की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इनकी संख्या 20-22 हजार बताई गई है.

वहीं, क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या भी 18-20 हजार है. कुशवाहा मतदाता 15-16 हजार हैं. सैंथवार 12-13 हजार, राजभर 8-10 हजार और चौरसिया समाज के 8-10 हजार मतदाता हैं.

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