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देवरिया: LPG सिलेंडर से भरे ट्रक पर बैठकर सफर करते दिखे मजदूर

लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों और शहरों में फंसे मजदूर जान जोखिम में डालकर अपने घर तक का सफर तय कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में ऐसे ही कुछ मजदूर एलपीजी सिलेंडर से भरे ट्रक के ऊपर सफर करते दिखे.

deoria
सिलेंडर कैरियर पर बैठे मजदूर.
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Published : May 13, 2020, 7:53 PM IST

देवरिया: लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों और शहरों में फंसे मजूदर जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. अपने घर के लिए पैदल सफर पर निकले मजदूर रास्ते में ट्रकों और टैंकरों पर भी बैठकर सफर कर रहे हैं. देवरिया में कुछ प्रवासी मजदूर अपनी जान जोखिम में डाल गैस सिलेंडर से भरे ट्रक की छतों पर बैठकर यात्रा करते दिखे. जिले के गोरखपुर-देवरिया मुख्य मार्ग पर प्रवासी मजदूर ट्रक की छतों पर बैठ कर जाते दिखाई दे रहे हैं.

लोगों में वैश्विक महामारी कोरोना से संक्रमित होने का डर है, लेकिन इन लोगों में घर पहुंचने की इच्छा भी है. ये वाहन जिस रास्ते से गुजरते हैं उस मार्ग पर जिलाधिकारी आवास, जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय पड़ता है, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की नजर इन वाहनों पर नहीं पड़ रही. इससे अधिकारियों की लापरवाही साफ जाहिर हो रही है. जिला प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है. ऐसी लापरवाही से क्षेत्र में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

इस दौरान बिहार के सिवान जिले के मजदूर आदित्य, आलोक, मोहम्मद ने बताया कि वो लोग लॉकडाउन में मुम्बई में फंसे थे और गांव आने के लिये इन लोगों ने सरकार की साइट जनसुनवाई पर भी आवेदन किया था. दस दिन हो गये थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद हम लोग वहां से पैदल ही गांव निकल पड़े और ट्रकों की छतों पर बैठ किसी तरह अपने घर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.

देवरिया: लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों और शहरों में फंसे मजूदर जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. अपने घर के लिए पैदल सफर पर निकले मजदूर रास्ते में ट्रकों और टैंकरों पर भी बैठकर सफर कर रहे हैं. देवरिया में कुछ प्रवासी मजदूर अपनी जान जोखिम में डाल गैस सिलेंडर से भरे ट्रक की छतों पर बैठकर यात्रा करते दिखे. जिले के गोरखपुर-देवरिया मुख्य मार्ग पर प्रवासी मजदूर ट्रक की छतों पर बैठ कर जाते दिखाई दे रहे हैं.

लोगों में वैश्विक महामारी कोरोना से संक्रमित होने का डर है, लेकिन इन लोगों में घर पहुंचने की इच्छा भी है. ये वाहन जिस रास्ते से गुजरते हैं उस मार्ग पर जिलाधिकारी आवास, जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय पड़ता है, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की नजर इन वाहनों पर नहीं पड़ रही. इससे अधिकारियों की लापरवाही साफ जाहिर हो रही है. जिला प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है. ऐसी लापरवाही से क्षेत्र में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

इस दौरान बिहार के सिवान जिले के मजदूर आदित्य, आलोक, मोहम्मद ने बताया कि वो लोग लॉकडाउन में मुम्बई में फंसे थे और गांव आने के लिये इन लोगों ने सरकार की साइट जनसुनवाई पर भी आवेदन किया था. दस दिन हो गये थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद हम लोग वहां से पैदल ही गांव निकल पड़े और ट्रकों की छतों पर बैठ किसी तरह अपने घर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.

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