देवरिया: सरकारी परिषदीय स्कूलों का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में एक ही बात आती है कि इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य में घोर लापरवाही बरती जाती है. आम धारणा है कि परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को कम सुविधाएं मिलती हैं और उन्हें गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं दी जाती है. इस नकारात्मक सोच ने निजी स्कूलों के विकास में बड़ी भूमिका अदा की है. इसके साथ ही शिक्षकों के रवैये ने कहीं न कहीं परिषदीय स्कूलों के प्रति मोह लोगों का भंग किया है. लेकिन, अब धीर-धीरे सूरत बतलती नजर आ रही है. जिसे जानने के बाद आपके मन में इन सरकारी विद्यालयों व उनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों के प्रति आपका नजरिया बदल जाएगा.
प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान की मेहनत ने स्कूल को दी नई दिशा
आमतौर पर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की हालत पूरे उत्तर प्रदेश में खस्ताहाल समझी जाती है. शिक्षा की गुणवत्ता के कारण लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाय कान्वेंट स्कूलों में पढ़ाना ज्यादा बेहतर समझते हैं, जबकि सरकार प्राथमिक स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने के साथ कापी किताब और अन्य संसाधन मुक्त दे रही है. हम बात कर रहे हैं देवरिया जिले के रामपुर कारखाना क्षेत्र स्थित करमहा प्राथमिक विद्यालय की. यहां तैनात प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान की मेहनत और लगन ने सरकारी विद्यालय को स्मार्ट विद्यालय की शक्ल दे दी. आज यह विद्यालय किसी भी तर्ज कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं. पूरा विद्यालय परिसर फूलों की बागिया से महक रहा है और अब गरीब घरों के अलावा संपन्न घरों के बच्चे भी पढ़कर अपने भविष्य को नई दिशा दे रहे हैं.
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कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर हो रही है पढ़ाई
करमहा गांव का प्राथमिक विद्यालय इन दिनों पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां के प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान की मेहनत ने ऐसी रंग लाई है कि पूरे विद्यालय परिसर का कायाकल्प कर उसे कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर विकसित कर दिया. बच्चों की पढ़ाई के लिए यहां स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है. साथ ही उनके लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था आधुनिक शौचालय की व्यवस्था भी की गई है. इस विद्यालय के बच्चे कॉन्वेंट स्कूल की तरह पढ़ाई कर रहे हैं.
लैपटॉप और प्रोजेक्टर के जरिए हो रही बच्चों की पढ़ाई
विद्यालय में कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर बच्चों को लैपटॉप और प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाया जाता है. 2011 में इस विद्यालय में मात्र 28 बच्चे हुआ करते थे, लेकिन प्रधानाध्यापक की कड़ी मेहनत से अब यहां बच्चों की संख्या 230 है. बदलाव का आलम यह है कि बच्चों के एडमिशन के लिए इस विद्यालय में सीट ही नहीं बची हुई हैं.
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फूलों की बगिया गुलजार हो रहा विद्यालय परिसर
प्रधानाध्यापक मोहम्मद यूसुफ अफजल ने स्कूल में गेंदा, गुलाब, गुलदावरी, बोगनवेलिया, अलमेड़ा, त्रिगुणा, बेला, गंधराज, अजूबा और सूर्यमुखी समेत करीब 30 प्रकार के फूलों का पौधे लगाए हैं. फूल से पूरा विद्यालय परिसर महक रहा है और अति सुंदर नजर आ रहा है. रामपुर कारखाना विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक के पुत्र व प्रतिनिधि डॉ. संजीव शुक्ला करमहा गांव का प्राथमिक विद्यालय की चर्चा सुन सुन खुद विद्यालय देखने पहुंचे. उन्होंने प्रधानाचार्य और ग्राम प्रधान की तन्मयता से हर मामले में बेहतर हुए विद्यालय स्कूल को देखकर खुशी जताई और प्रधानाचार्य की सराहना करते हुए बधाई दी.
बचपन से था फुलवारी का शौक
प्रधानाध्यापक मोहम्मद युसूफ अफजल का कहना है कि यह विद्यालय अपने ही घर के समान है. हमारे परिजनों को फुलवारी का बहुत शौक था और उनको देखकर हमारे अंदर भी बचपन से ही फूलों के प्रति बेहद लगाव है. जब वो इस स्कूल पर कार्यरत हुए तो इस स्कूल की दशा बहुत ही खराब थी. उनके 9 वर्ष की मेहनत और सरकार की कायाकल्प योजना से स्कूल को सवांरा है. उम्मीद है कि अन्य जो भी खामियां हैं, उसको जल्द ही दूर करने की कोशिश करेंगे.