देवरिया : जिले के टाउनहाल परिसर स्थित प्रेक्षागृह के नामकरण को लेकर पांच माह से चल रहे विवाद ने तूल पकड़ लिया है. सोमवार को बाबू मोहन सिंह प्रेक्षागृह की होर्डिंग लगने से राजनीतिक गलियारे में सरगर्मी बढ़ गई. सभासदों में नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई की मांग की है. वहीं, हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे हैं. ईओ की सूचना पर पहुंची पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. हालांकि, शनिवार को प्रेक्षागृह का नाम अटल बिहारी वाजपेयी प्रेक्षागृह नगर पालिका ने अंकित कराया था. वहीं, प्रेक्षागृह के बरामदे में ढक कर रखी गई समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद स्व. मोहन सिंह की प्रतिमा का चादर हटा दिया गया है. अचानक रात के अंधेरे में नाम बदलने से मामला गरमा गया है.
यह है पूरा मामला
नगर पालिका बोर्ड की बैठक में 21 दिसंबर 2019 को सभासद आशुतोष तिवारी ने टाउनहाल परिसर स्थित प्रेक्षागृह का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा था. इस पर बोर्ड ने अपनी मुहर लगा दी. कमिश्नर गोरखपुर ने प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया, लेकिन इसी बीच 20 सितंबर 2020 की रात में स्व. मोहन सिंह का नाम प्रेक्षागृह पर अंकित करते हुए प्रतिमा रख दी गई. इसके बाद बखेड़ा शुरू हो गया. सभासदों ने इसका विरोध करते हुए नगर पालिका बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया. इसकी शिकायत डीएम, कमिश्नर से लेकर शासन तक करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. पांच माह से इसको लेकर माहौल गरम चल रहा था.
सभासदों ने की कार्रवाई की मांग
दो दिन पूर्व प्रेक्षागृह का नामकरण जब अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से हुआ, तो सभासदों ने खुशी जताई. सभासद दिनेश शुक्ल, आशुतोष तिवारी का आरोप है कि बरामदे में ताला लगा है, फिर कैसे नाम बदल दिया गया. प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कार्रवाई की मांग की है. चर्चा है कि शाशन से फोन आने के बाद जिला प्रशासन ने पाला बदल दिया, क्योंकि प्रेक्षागृह का शिलान्यास 2016 में सपा सरकार में हुआ था.
नगर पालिका प्रशासन की ओर से प्रेक्षागृह का नाम अटल बिहारी वाजपेयी रखा गया था. रात में कैसे मोहन सिंह का नाम लिख दिया गया. यह गंभीर मामला है. कोतवाली पुलिस से इसकी शिकायत की है. पुलिस इसकी जांच कर रही है.
-रोहित सिंह, ईओ