चित्रकूट: जिले में कोटे के आवंटन के लिए आए उप जिलाधिकारी के वाहन का ग्रामीणों ने घंटों रास्ता रोके रखा. इस दौरान विरोध जता रहे लोगों ने अपनी व्यथा उपजिलाधिकारी से बताई. वहीं ग्रामीण मौके पर पहुंचे खंड विकास अधिकारी से बैठक की निरस्तीकरण की कार्रवाई को लिखित रूप में लेने की मांग पर डंटे रहे.
एसडीएम और खंड विकास अधिकारी का किया घेराव
जिले के ग्रामीण इलाकों में सरकारी राशन की दुकान आवंटन में जाते समय सरकारी महकमे को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा. ऊंचाडीह के करीब पांच ग्रामीणों ने कोटा आवंटन के लिए पहुंचे एसडीएम का घेराव किया. वहीं अमचूर, निरूवा, टिकरिया और मंगवा ग्राम पंचायतों में होने वाले कोटे के आवंटन के लिए पहुंचे खंड विकास अधिकारी को हजारों की संख्या में एकत्रित ग्रामीणों ने घेर लिया.
क्यों हुआ विरोध ?
अधिकारियों को बिना आवंटन किए ही वापस लौटना पड़ा. ऊंचाडीह के ग्रामीणों का आरोप है कि ज्यादा जनसंख्या वाले ऊंचाडीह गांव में सरकारी तंत्र और कोटेदार की मिलीभगत से सरकारी राशन के दुकान का आवंटन दूसरे ग्राम पंचायतों में किया जा रहा है, जिसके चलते उन्हें 12 से 15 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है. वहीं नदी में बाढ़ आने पर उन्हें राशन भी नहीं मिल पाता है.
अपने चहेतों को दे रहे कोटा
टिकरिया मनगवां के ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें एक हफ्ते पहले से ही पूरे गांव में डिग्गी पीटकर बैठक में सम्मिलित होने की बात की गई थी, जिस पर ग्रामीणों द्वारा वोटिंग के आधार पर कोटेदार का चयन किया जाना था, लेकिन आखिरी मौके पर अधिकारी ग्रामीणों की सहमति के बिना कोटा अपने चहेतों को दे रहे हैं.
ग्रामीणों ने अधिकारी से इस बैठक की निरस्तीकरण होने की लिखित प्रति भी मांगी है, जिसके चलते ग्रामीणों को लिखित आदेश का घंटो इंतजार करना पड़ा. मौके पर उपस्थित उपजिलाधिकारी संगम लाल गुप्ता ने बताया कि ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा पहले ग्राम पंचायत भवन में बैठक सुनिश्चित की गई, फिर दूसरे गांव में बैठक तय कर दी गई है, जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है.
वहीं पूरे मामले को लेकर उपजिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासन के आदेशों पर प्रथम वरीयता स्वयं सहायता समूह को दी जाएगी. तो वहीं ये राशन की दुकान अनुसूचित जाति के लिए पहले से आरक्षित है, जिसको देखते हुए वरीयता के क्रम में आवंटन किया जाएगा.