चित्रकूट : जिले में अयोध्या के तर्ज पर भव्य तरीके से रामनवमी मनाए जाने की तैयारी हो रही है. धार्मिक नगरी चित्रकूट में लगभग 5 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाने की योजना है. इसे लेकर जिले के सभी मंदिरों के पुजारियों के साथ आम भक्तों में भी रामनवमी को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा को विभाजित करता अरावली पर्वत श्रृंखला के दो भागों में बांटा चित्रकूट धाम का कुछ भाग मध्यप्रदेश में तो कुछ भाग उत्तर प्रदेश की सीमा में लगता है. यह कामदगिरि पर्वत के चारों तरफ स्थित धार्मिक स्थलों से घिरा हुआ है. कामदगिरि पर्वत के चारों तरफ ही कामदगिरि परिक्रमा मार्ग है, जिसका प्रमुख द्वार मध्य प्रदेश से शुरू होता है.
रामनवमी के दिन चित्रकूट का महत्व
- अपने 14 साल के वनवास काल के दौरान भगवान राम ने चित्रकूट के जंगलों में लगभग 11 वर्ष और 6 माह व्यतीत किए थे.
- चित्रकूट में ही कलयुग में श्रीराम ने अपने भक्त तुलसीदास को दर्शन दिए थे.
- धार्मिक नगरी चित्रकूट ही एकमात्र ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां पर राम चरित्र मानस और रामायण लिखी गई थी.
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कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन मोहन दास ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या के तर्ज पर पहली बार चित्रकूट में भी दिव्य और भव्य तरीके से रामनवमी मनाने की योजना है. मंदिरों की साफ-सफाई पूर्ण कर ली गई है. इस दौरान पारंपरिक सोरठा का गीत गाया जाएगा. साथ ही परिक्रमा मार्ग से लेकर रामघाट तक लगभग 5 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि कोल भील, ऋषि मुनि, महात्मा आदिवासी और 33 करोड़ देवी-देवताओं के बीच भगवान श्रीराम चित्रकूट में वास करते थे और उस समय प्राकृतिक व्यवस्थाओं के साथ रामनवमी मनाई जाती थी, जबकि अब भौतिक संसाधन भी मौजूद हैं.
राम घाट स्थित भरत मंदिर के महंत दिव्यजीवन दास महाराज ने बताया कि रामचंद्र के जीवन परिचय में चित्रकूट पूर्णता बसा हुआ है. ज्यादा से ज्यादा समय उन्होंने चित्रकूट में ही व्यतीत किया और विपदा के समय जो साथ देता है, वही महान होता है. जैसे कि श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था तब वे साढ़े 11 वर्ष तक चित्रकूटवासियों के साथ रहे थे.
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