ETV Bharat / state

चित्रकूटः कोल आदिवासियों को नहीं पता कोरोना लॉकडाउन का मतलब

author img

By

Published : Mar 28, 2020, 8:02 PM IST

यूपी के चित्रकूट में रहने वाले कोल जनजातियों को लॉकडाउन का मतलब तक नहीं पता है. उन्हें यह भी नहीं पता की कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी हैं.

chitrakoot news
कोल जनजातियों को नहीं पता कोरोना वायरस क्या है.

चित्रकूटः एक तरफ जहां दुनिया में कोरोना वायरस ने तबही मचा रखी हैं. वहीं दूसरी तरफ जिले में रह रहे कोल आदिवासियों को इसके बारे में नहीं पता है. पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. इसके बारे में इन आदिवासियों को कुछ भी नहीं पता है. ईटीवी भारत ने जब इन आदिवासियों से पूछा कि कोरोना वायरस क्या है तो उन्होंने कहा कि इन्हें बस इतना पता है कि पुलिस ने आने जाने पर रोक लगा दी है.

कोल जनजातियों को नहीं पता कोरोना वायरस क्या है.

जिले के जंगलों से सटे गांव में 40% की आबादी रहती है. इनमें से ज्यादा जनसंख्या कोल आदिवासियों की है. ज्यादातर अशिक्षित आदिवासी जंगल की लकड़ियों और फलों पर आश्रित हैं. जंगल की लकड़ियों को काट कर उसे शहरों और कस्बों में बेच कर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं. यह आदिवासी अब जबकि पूरा देश कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हो चुका है और सभी शहर और कस्बे सील कर दिए गए हैं. ऐसे में आदिवासियों के जीवन यापन में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है.

यह आदिवासी अपने गांव में कैद हो कर रह गए हैं. इन आदिवासियों को कहना है कि हमें लॉकडाउन के बारे में कुछ नहीं पता. कोरोना किसे कहते हैं हमें नहीं मालूम न ही हमें कोई सरकारी नुमाइंदों ने आकर इस संबंध में कुछ समझाया या बताया है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव से निकलकर मुख्य सड़क में पहुंचते ही पुलिस द्वारा हमें रोक दिया जाता है. इसके चलते हम लोग कट से गए हैं.

इसे भी पढ़ें- चित्रकूटः गरीबों से दूर सैनिटाइजर और मास्क, हो रहा एंटीबायोटिक साबुन का वितरण

ग्रामीणों को कहना है कि हमारे पास हाथ धोने या नहाने तक का साबुन ही नहीं है. तो बार-बार हाथ धोने की बात बहुत दूर की है. इनका कहना है हमारे बैंक खाते में 1000 रुपये की धनराशि नहीं पहुंची है और जो हम लोग घर से बाहर निकल कर बैंक जाने की सोचे. साथ ही सरकार द्वारा घोषित अनाज वितरण का फायदा भी नहीं मिल पाया है.

चित्रकूटः एक तरफ जहां दुनिया में कोरोना वायरस ने तबही मचा रखी हैं. वहीं दूसरी तरफ जिले में रह रहे कोल आदिवासियों को इसके बारे में नहीं पता है. पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. इसके बारे में इन आदिवासियों को कुछ भी नहीं पता है. ईटीवी भारत ने जब इन आदिवासियों से पूछा कि कोरोना वायरस क्या है तो उन्होंने कहा कि इन्हें बस इतना पता है कि पुलिस ने आने जाने पर रोक लगा दी है.

कोल जनजातियों को नहीं पता कोरोना वायरस क्या है.

जिले के जंगलों से सटे गांव में 40% की आबादी रहती है. इनमें से ज्यादा जनसंख्या कोल आदिवासियों की है. ज्यादातर अशिक्षित आदिवासी जंगल की लकड़ियों और फलों पर आश्रित हैं. जंगल की लकड़ियों को काट कर उसे शहरों और कस्बों में बेच कर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं. यह आदिवासी अब जबकि पूरा देश कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हो चुका है और सभी शहर और कस्बे सील कर दिए गए हैं. ऐसे में आदिवासियों के जीवन यापन में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है.

यह आदिवासी अपने गांव में कैद हो कर रह गए हैं. इन आदिवासियों को कहना है कि हमें लॉकडाउन के बारे में कुछ नहीं पता. कोरोना किसे कहते हैं हमें नहीं मालूम न ही हमें कोई सरकारी नुमाइंदों ने आकर इस संबंध में कुछ समझाया या बताया है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव से निकलकर मुख्य सड़क में पहुंचते ही पुलिस द्वारा हमें रोक दिया जाता है. इसके चलते हम लोग कट से गए हैं.

इसे भी पढ़ें- चित्रकूटः गरीबों से दूर सैनिटाइजर और मास्क, हो रहा एंटीबायोटिक साबुन का वितरण

ग्रामीणों को कहना है कि हमारे पास हाथ धोने या नहाने तक का साबुन ही नहीं है. तो बार-बार हाथ धोने की बात बहुत दूर की है. इनका कहना है हमारे बैंक खाते में 1000 रुपये की धनराशि नहीं पहुंची है और जो हम लोग घर से बाहर निकल कर बैंक जाने की सोचे. साथ ही सरकार द्वारा घोषित अनाज वितरण का फायदा भी नहीं मिल पाया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.