चित्रकूट: दिवाली के दूसरे दिन रामघाट के पास लगने वाले ऐतिहासिक गधों के मेले में देश और प्रदेश से गधों के तमाम व्यापारी अपने गधों के साथ पहुंचे. मुगल काल से चले आ रहे इस मेले की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने की थी. औरंगजेब ने सेना के बेड़े में घोड़ों की कमी के बाद गधों व खच्चरों को शामिल किया था. जिसके बाद इस मेले का आयोजन शुरू हुआ. तब से लगातार इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. हालांकि इस वर्ष कोरोना वायरस के खतरे के चलते गधों के व्यापार में भी कमी देखी गई.
मुगल बादशाह औरंगजेब ने की मेले की शुरुआत
बताया जाता है कि, मुगल शासक औरंगजेब ने अपने सेना के बेड़े में घोड़ों के अचानक बीमार होकर मर जाने के बाद गधों और खच्चरों की खरीद फरोख्त इसी जगह कराई थी. तब से लगातार इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. धार्मिक नगरी चित्रकूट के रामघाट में मन्दाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले का सारा इंतजाम जिला प्रशासन की तरफ से किया जाता है.
मेले के आयोजक कमलेश पांडेय ने बताया की चित्रकूट में लगने वाला गधों का बाजार ऐतिहासिक है. इस बाजार कि परम्परा मुगल बादशाह औरंगजेब ने शुरू की थी.
इस बार मेले में दिखा कोरोना का असर
उन्होंने कहा कि इस बार मेले में व्यापार की कमी रही. इसका मुख्य कारण कोरोना महामारी का डर है. व्यापारी यह नहीं जानते थे कि इस साल मेला आयोजित होगा कि या नहीं. वहीं व्यापारियों के अनुसार गधों की यहां पर अच्छी कीमत लगती है. व्यापारियों का मानना है कि आज के दिन ही क्रय-विक्रय करने से लक्ष्मी आती है.