चित्रकूट: जिले में किसान दैवीय आपदा का अधिकतर शिकार होते हैं. दशकों से सूखा होने पर यहां के किसानों की रीढ़ पहले से ही टूटी हुई है और इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते किसानों को उम्मीद जगी थी कि ईश्वर ने इस बार हमारी सुन ली है और हम इस बार पहले से बेहतर स्थिति में होंगे.
असमय बूंदा-बांदी के साथ ओलावृष्टि ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. फूलों की खेती कर रहे किसानों ने बताया कि ओलावृष्टि की वजह से फसलों पर प्रभाव पड़ा है. किसानों का कहना है कि ओलावृष्टि से अभी उबर भी नहीं पाए थे कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते चारों तरफ लॉकडाउन हो गया है और गांव से निकलकर जाने वाली सड़कों पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया है.
जिसके चलते अब हम लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वैसे भी पूरी धर्मनगरी के मठ और मंदिर पहले से ही बंद करवा दिए गए थे और मंडी में हमारे फूल ना पहुंचने से हमारी जीविका चलाना भी मुश्किल पड़ रहा है.
किसानों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से हमारे फूल कहीं नहीं जा रहे हैं. फूलों के पौधों को बचाने के लिए हम फूलों को तोड़कर बेवजह फेंक रहे हैं.