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"स्कूल चलो अभियान" का कड़वा सच

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Published : Feb 7, 2019, 10:41 AM IST

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कागजों पर संचालित किए गए "स्कूल चलो अभियान" का कड़वा सच उजागर हो गया है. नए स्कूल खुलने के बावजूद छात्र संख्या कम हो गई है. इसका विभागीय अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं मिल रहा है.

स्कूल चलो अभियान

इटावा: आज हम आपको "स्कूल चलो अभियान" का एक कडुवा सच दिखाने जा रहे हैं. इस सच में आप देखेंगे कि सरकार का "स्कूल चलो अभियान" किसी भी एक गरीब बच्चे को किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं दिला पाया,जबकि ये गरीब बच्चे भी शिक्षित होना चाहते हैं. शुक्र है उस सरकारी महिला टीचर का जो अब अपने खर्चे पर इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है. पेश का एक खास रिपोर्ट-

इटावा के रेलवे मैदान के शिव मंदिर पर प्रतिदिन चलती है इन गरीब बच्चों की पाठशाला. सरकार का "स्कूल चलो अभियान" इन गरीब बच्चों को अब तक किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला तक नहीं दिला पाया. तब समाज की एक जागरूक महिला ने इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया.

"स्कूल चलो अभियान" का कड़वा सच

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ये सभी गरीब बच्चे इटावा शहर के रेलवे मैदान में बसी एक झोपड़पट्टी के रहने वाले हैं. एक तरफ सरकार "स्कूल चलो अभियान" के तहत इन गरीब बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा की महत्ता के प्रति जागरूक कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार इन नन्हे बच्चों का किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं करवा पाई. तब जनपद की प्राथमिक पाठशाला दतावली की एक टीचर सीमा यादव ने अपनी टीम के साथ इन बच्चों को शिक्षित करने का अभियान चलाया.अब सीमा यादव अपने खर्चे पर इन बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं.

अब सरकारी टीचर सीमा यादव के अपने बलबूते पर किये जा रहे प्रयास अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगें हैं. कभी शहर में कूड़ा-करकट बीनने वाले ये गरीब बच्चे अब हमारी टीम को भी अपनी अंग्रेजी के ज्ञान से अवगत करा रहे हैं.

हमारी टीम ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जाकर यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इन गरीब बच्चों को शिक्षा विभाग किसी भी सरकारी स्कूल में अब तक दाखिला दिलाने में आखिर सफल क्यों नहीं हुआ. इस सवाल का जवाब देने के लिये शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी हमारे कैमरे सामने हिम्मत ही नहीं जुटा सका.

इटावा: आज हम आपको "स्कूल चलो अभियान" का एक कडुवा सच दिखाने जा रहे हैं. इस सच में आप देखेंगे कि सरकार का "स्कूल चलो अभियान" किसी भी एक गरीब बच्चे को किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं दिला पाया,जबकि ये गरीब बच्चे भी शिक्षित होना चाहते हैं. शुक्र है उस सरकारी महिला टीचर का जो अब अपने खर्चे पर इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है. पेश का एक खास रिपोर्ट-

इटावा के रेलवे मैदान के शिव मंदिर पर प्रतिदिन चलती है इन गरीब बच्चों की पाठशाला. सरकार का "स्कूल चलो अभियान" इन गरीब बच्चों को अब तक किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला तक नहीं दिला पाया. तब समाज की एक जागरूक महिला ने इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया.

"स्कूल चलो अभियान" का कड़वा सच

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ये सभी गरीब बच्चे इटावा शहर के रेलवे मैदान में बसी एक झोपड़पट्टी के रहने वाले हैं. एक तरफ सरकार "स्कूल चलो अभियान" के तहत इन गरीब बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा की महत्ता के प्रति जागरूक कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार इन नन्हे बच्चों का किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं करवा पाई. तब जनपद की प्राथमिक पाठशाला दतावली की एक टीचर सीमा यादव ने अपनी टीम के साथ इन बच्चों को शिक्षित करने का अभियान चलाया.अब सीमा यादव अपने खर्चे पर इन बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं.

अब सरकारी टीचर सीमा यादव के अपने बलबूते पर किये जा रहे प्रयास अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगें हैं. कभी शहर में कूड़ा-करकट बीनने वाले ये गरीब बच्चे अब हमारी टीम को भी अपनी अंग्रेजी के ज्ञान से अवगत करा रहे हैं.

हमारी टीम ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जाकर यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इन गरीब बच्चों को शिक्षा विभाग किसी भी सरकारी स्कूल में अब तक दाखिला दिलाने में आखिर सफल क्यों नहीं हुआ. इस सवाल का जवाब देने के लिये शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी हमारे कैमरे सामने हिम्मत ही नहीं जुटा सका.
Intro:एंकर-सरकार स्कूल चलो अभियान काआज एक सच हम आपको दिखाने जा रहे हैं।इस सच मे आप देखेंगे कि सरकार का स्कूल चलो अभियान इन गरीब बच्चों को किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नही दिलवा पाया है जबकि ये गरीब बच्चे भी शिक्षित होना चाहते हैं।वो तो शुक्र है उस सरकारी महिला टीचर का जो अब अपने खर्चे पर इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है।पेश का एक खास रिपोर्ट-


Body:वीओ(1)-इटावा के रेलवे मैदान के शिव मंदिर पर प्रतिदिन चलती है इन गरीब बच्चों की पाठशाला।सरकार का स्कूल चलो अभियान इन गरीब बच्चो को अब तक किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला तक नही दिलवा पाया तब समाज की एक जागरूक महिला ने इन गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है।

वाइट-रितु(गरीब बच्चों को शिक्षित करने वाली एक लड़की)

वीओ(2)-यह सभी गरीब बच्चे इटावा शहर के रेलवे मैदान में बसी एक झोपड़पट्टी के रहने वाले हैं।जब सरकार का स्कूल चलो अभियान इन गरीब बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा की महत्ता के प्रति जागरूक कर इन नन्हे बच्चो का किसी भी सरकारी स्कूल में दाखिला नही करवा पाया तो जनपद की प्राथमिक पाठशाला दतावली की एक टीचर सीमा यादव ने अपनी टीम के साथ इन बच्चो को शिक्षित करने अभियान चला दिया।अब सीमा यादव अपने खर्चे पर इन बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं।

वाइट-सीमा यादव(गरीब बच्चो को निशुल्क शिक्षित करने वाली टीचर)

वीओ(3)-अब सरकारी टीचर सीमा यादव के अपने बलबूते पर किये जा रहे यह प्रयास अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगें हैं।कभी शहर में कूड़ा करकट बीनने वाले यह गरीब बच्चे अब हमारी टीम को भी अपनी अंग्रेजी के ज्ञान से अवगत करा रहे हैं।

वाइट-निशु(गरीब छात्रा)


Conclusion:वीओ(4)-हमारी टीम ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जाकर यह जानने का प्रयास किया कि आखिर इन गरीब बच्चो को सरकार का शिक्षा विभाग किसी भी सरकारी स्कूल में अब तक दाखिला दिलाने आखिर क्यों सफल नही हुआ तो इस सवाल का जवाब देने के लिये शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी हमारे कैमरे सामने हिम्मत ही नही जुटा सका।

P-2-C sndeep mishra

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