बुलंदशहर : बीते दिनों लखनऊ में आयोजित बुलंदशहर प्रदेश स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में सिकंदराबाद निवासी अनुष्का पंडित ने गोल्ड मेडल जीता था. गुरुवार को अनुष्का पंडित ने डीएम से मुलाकात की. अनुष्का पंडित को डीएम ने पांच हजार रुपये का चेक सौंपकर प्रोत्साहित किया है. इस दौरान डीएम ने जीत की बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की.
युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा लखनऊ में राज्य स्तरीय ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. खेल प्रतियोगिता में अनुष्का पंडित पुत्री संतोष शर्मा ने कुश्ती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया. गुरुवार को अनुष्का पंडित ने डीएम रविंद्र कुमार से कलक्ट्रेट कार्यालय में भेंट की. डीएम ने अनुष्का पंडित को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की. डीएम ने कहा कि इसी प्रकार मेहनत से अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए उच्च स्थान प्राप्त कर अपना, अपने परिवार और जनपद का नाम रोशन करें.
अनुष्का पंडित की कहानी खुद की जुबानी
अनुष्का बताती हैं कि वह दादरी कुश्ती देखने अपने पिता के साथ जाया करती थीं. कुश्ती देखने के शौक में वहां के कोच ने एक दिन कहा कि इस बेटी को कुश्ती दिखाने ले आया करो. फिर कुछ समय बाद अनुष्का के पिता उसको कुश्ती देखने के लिए बस में बैठा दिया करते थे और अनुष्का वहां पर प्रैक्टिस करने लगी. अनुष्का के पिता ने अनुष्का का हुनर देखते हुए अपनी दुकान भी बंद कर दी थी. आने-जाने का खर्चा वहन नहीं कर पा रहे थे.
कुश्ती में पिता ने दिया साथ
पिता ने कस्बा सिकंदराबाद में ही एक जगह अखाड़े के कोच से बात की. फिर अनुष्का ने उसी अखाड़े से कुश्ती सीखी और कई दंगल और कई खुशियां जीतीं. कुश्ती के दांव परसों में ढाला, कला, जंग, ओबी, निकाल, सुलता, मच्छी गोता के अलावा भी बहुत सारे दांव अनुष्का ने सीखे. अनुष्का ने पहली कुश्ती कासना में लड़ी थी. वहां एक लड़के से कुश्ती प्रतियोगिता हुई थी.
अनुष्का ने सीएम योगी से की ये मांग
अनुष्का के मन में था कि मुझे यह कुश्ती जीतनी है. वह इस कुश्ती को कासना से जीत कर आई थी. आगे आने वाले समय में ओलंपिक में खेलकर गोल्ड मेडल लाना और देश का नाम रोशन करना है. अनुष्का ने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यही कहना चाहती हूं कि मुझे ऐसी सुविधा दी जाए, जिससे मुझे कहीं दूर न जाना पड़े. हमारे सिकंदराबाद में कुश्ती का कोई अच्छा अखाड़ा बनवा दिया जाए, जिससे हम कहीं और न जाएं.'