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बुलन्दशहर: करगिल विजय के हीरो रहे योगेंद्र यादव से सरकारों ने किए झूठे वादे

बुलंदशहर का गांव औरंगाबाद अहीर करगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव का गांव है. यहां यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने गांव में सौ बेड का हॉस्पिटल शीघ्र स्थापित करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक हॉस्पिटल ठंडे बस्ते में है.

कारगिल युद्ध हीरो योगेंन्द्र यादव
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Published : Jul 24, 2019, 11:29 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलन्दशहर: बुलंदशहर का गांव औरंगाबाद अहीर कारगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव का गांव है. जुलाई 2016 में सपा सरकार में अखिलेश यादव की करगिल के हीरो रहे सूबेदार योगेंद्र यादव से भेंट हुई थी. अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि गांव में सौ बेड का हॉस्पिटल शीघ्र स्थापित किया जाएगा.

करगिल विजय के हीरो रहे योगेंद्र यादव से सरकारों ने किए झूठे वादे.
योगेंद्र यादव ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में टाइगर हिल पर फतेह हासिल की थी, जिसके लिए देश का उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान इस शूरवीर को मिला था. योगेंद्र यादव से भेंट के दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योद्धा के गांव को आई स्पर्श योजना के तहत स्मार्ट गांव बनाने की बात भी कही थी, लेकिन न हॉस्पिटल बना और न गांव ही आधुनिक बना. ईटीवी भारत ने औरंगाबाद गांव में जाकर जमीनी हकीकत समझी तो आज तक भी गांव में उस हॉस्पिटल के न बनने का सभी को मलाल है, तो वहीं जिस गांव को मॉडल विलेज बनाने की बातें हो रही थीं वहां की नालियां बजबजा रही हैं.
रास्ता जो एक बार पूर्व में बन गया सो बन गया उसके बाद कभी कहीं कोई काम नजर नहीं आया. ग्रामीण कहते हैं कि बिना हॉस्पिटल के लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं और जहां तक इस गांव के विकास की बात थी तो विकास हुआ ही नहीं. योगेंद्र यादव के बड़े भाई (उनके ताऊ के बेटे) रामबल सिंह यादव का कहना है कि उस वक्त जो घोषणा हुई थी तब कहा गया था कि करीब 1.265 एकड़ जमीन पर 100 बेड का हॉस्पिटल बनेगा और इतना ही नहीं गांव के प्रवेश द्वार के समीप ही जमीन को भी चिह्नित करने की बातें हुई थीं. हालांकि इसके लिए उस वक्त तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तब 1.265 हेक्टेयर भूमि की डिमांड हॉस्पिटल के लिए भेजी थी, कई टीम आकर सर्वे करती थीं. माना जा रहा था कि हॉस्पिटल बनेगा तो यहां से आसपास के गांवों को इसका फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा कभी हो ही नहीं पाया और अभी तक हॉस्पिटल ठंडे बस्ते में है.

अजय सिंह का कहना है की वो सरकार से यही चाहते हैं कि जो पूर्व में शिलान्यास यहां हुआ था उसे ये सरकार पूरा करे और यहां हॉस्पिटल बनवाएं. वहीं कई गांव के लोग तो वर्तमान सरकार को भी हॉस्पिटल न बनने के लिए दोषी मानते हैं.

बुलन्दशहर: बुलंदशहर का गांव औरंगाबाद अहीर कारगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव का गांव है. जुलाई 2016 में सपा सरकार में अखिलेश यादव की करगिल के हीरो रहे सूबेदार योगेंद्र यादव से भेंट हुई थी. अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि गांव में सौ बेड का हॉस्पिटल शीघ्र स्थापित किया जाएगा.

करगिल विजय के हीरो रहे योगेंद्र यादव से सरकारों ने किए झूठे वादे.
योगेंद्र यादव ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में टाइगर हिल पर फतेह हासिल की थी, जिसके लिए देश का उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान इस शूरवीर को मिला था. योगेंद्र यादव से भेंट के दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योद्धा के गांव को आई स्पर्श योजना के तहत स्मार्ट गांव बनाने की बात भी कही थी, लेकिन न हॉस्पिटल बना और न गांव ही आधुनिक बना. ईटीवी भारत ने औरंगाबाद गांव में जाकर जमीनी हकीकत समझी तो आज तक भी गांव में उस हॉस्पिटल के न बनने का सभी को मलाल है, तो वहीं जिस गांव को मॉडल विलेज बनाने की बातें हो रही थीं वहां की नालियां बजबजा रही हैं.
रास्ता जो एक बार पूर्व में बन गया सो बन गया उसके बाद कभी कहीं कोई काम नजर नहीं आया. ग्रामीण कहते हैं कि बिना हॉस्पिटल के लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं और जहां तक इस गांव के विकास की बात थी तो विकास हुआ ही नहीं. योगेंद्र यादव के बड़े भाई (उनके ताऊ के बेटे) रामबल सिंह यादव का कहना है कि उस वक्त जो घोषणा हुई थी तब कहा गया था कि करीब 1.265 एकड़ जमीन पर 100 बेड का हॉस्पिटल बनेगा और इतना ही नहीं गांव के प्रवेश द्वार के समीप ही जमीन को भी चिह्नित करने की बातें हुई थीं. हालांकि इसके लिए उस वक्त तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तब 1.265 हेक्टेयर भूमि की डिमांड हॉस्पिटल के लिए भेजी थी, कई टीम आकर सर्वे करती थीं. माना जा रहा था कि हॉस्पिटल बनेगा तो यहां से आसपास के गांवों को इसका फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा कभी हो ही नहीं पाया और अभी तक हॉस्पिटल ठंडे बस्ते में है.

अजय सिंह का कहना है की वो सरकार से यही चाहते हैं कि जो पूर्व में शिलान्यास यहां हुआ था उसे ये सरकार पूरा करे और यहां हॉस्पिटल बनवाएं. वहीं कई गांव के लोग तो वर्तमान सरकार को भी हॉस्पिटल न बनने के लिए दोषी मानते हैं.

Intro:1999 में कारगिल के युद्ध में दुश्मन पर भारी पड़े और अपना पराक्रम दिखाकर सेना के सबसे बड़े सम्मान परमवीर चक्र से भारत सरकार के द्वारा सम्मानित किए गए योगेंद्र यादव के गांव में पूर्व सपा सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने एक सौ बेड के हॉस्पिटल की घोषणा की थी ,लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद हॉस्पिटल की नीव रखने की बात दूर की बात है, यह हॉस्पिटल फाइलों में ही कहीं दबकर रह गया । इस वीर योद्धा के गांव के लोगों को मलाल है की जो घोषणा हुई सरकार बदलने के बाद व्व भी पूरी नहीं हुई ,और भी कई मुद्दों पर अपना दर्द बयां करते नजर बुलन्दशहर जिले के औरंगाबाद अहीर गांव के लोग देखिए ईटीवी भारत कारगिल दिवस के मौके पर विशेष रिपोर्ट

नोट...कृपया सम्बन्धित खबर आशुतोष sir के आदेश के बाद की गयी है।

कारगिल विजय दिवस के मद्देनजर।




Body:जुलाई 2016 में सपा सरकार प्रदेश में थी,उस वक्त अखिलेश यादव की कारगिल के हीरो रहे सूबेदार योगेंद्र यादव से भेंट हुई थी, इस मौके पर बुलंदशहर के गांव औरंगाबाद अहीर में जो कि कारगिल युद्ध के हीरो परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव का गांव है ,और योगेंद्र यादव ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में टाइगर हिल पर फतेह हांसिल की थी ,जिसके लिए देश का उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान इस शूरवीर को मिला था,10 मई 1980 को जन्मे योगेंद्र यादव को प्रदेश में समाजवादी सरकार के दौरान 2016 में प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि गांव में एक सौ बेड का हॉस्पिटल शीघ्र स्थापित किया जाएगा, इतना ही नहीं उस का शिलान्यास तक भी कर दिया गया था, हालांकि जमीन तब तक फाइनल तक नहीं हुई थी, इतना ही नहीं योगेंद्र यादव से भेंट के दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योद्धा के गांव को आई स्पर्श योजना के तहत स्मार्ट गांव बनाने की बात भी कही थी,लेकिन न हॉस्पिटल बना और न गांव ही आधुनिक बना ,
लेकिन उस वक्त मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वाहवाही भी उस वक्त खूब हुई थी, इतना ही नहीं गांव के लोगों के चेहरे पर भी रौनक थी ,सभी खुश थे लग रहा था गांव में जल्द ही 100 बीएड का हॉस्पिटल बन जाएगा और लोगों की जिले के हजारों लोगों की दिक्कत खत्म हो जाएगी कई ऐसी जिंदगियों को भी बचाया जा सकेगा जो इलाज के अभाव में दिल्ली और नोएडा ग़ाज़ियाबाद पहुंचते पहुंचते ही दम तोड़ देते हैं,क्षेत्र के लोगों को लग रहा था बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा, यहां से नोएडा गाजियाबाद और दिल्ली के अलावा दूसरा कोई जरिया नहीं बचता जहां इलाज हो सके ,क्योंकि बुलंदशहर में पहले ही इस तरह का कोई हॉस्पिटल नहीं था ,ऐसे मैं गांव के लोग कहते हैं कि कई बार तो मरीज के पहुंचते पहुंचते ही रास्ते में उसकी जान निकल जाती है , फिलहाल ईटीवी भारत ने औरंगाबाद गांव में जाकर जमीनी हकीकत समझी तो आज तक भी गांव में उस हॉस्पिटल के ना बनने का सभी को मलाल है ,तो वहीं जिस गांव को मॉडल विलेज बनाने की बातें हो रही थीं वहां की नालियां बजबजा रही हैं ,रास्ता जो एक बार पूर्व में बन गया सो बन गया उसके बाद कभी कहीं कोई काम जैसे हुआ नजर नहीं आता,
ग्रामीण कहते हैं कि बिना हॉस्पिटल के लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रहे हैं और जहां तक इस गांव के विकास की बात थी तो विकास हुआ ही नहीं ,योगेंद्र यादव के बड़े भाई(उनके ताऊ के बेटे) रम्बल यादव का कहना है कि अखिलेश सरकार के बाद सभी वायदे धरे के धरे के धरे रह गए,गान में तमाम समस्याएं हैं, किसी भी गांव से आज तक इस गांव की कनेक्टिविटी तक नहीं है ,सिर्फ एक ही रास्ता है जो गांव को गुलावठी सिकंदराबाद मार्ग से जोड़ता है ,उस वक्त जो घोषणा हुई थी तब कहा गया था कि करीब 1.265 एकड़ जमीन पर 100 बेड का हॉस्पिटल बनेगा और इतना ही नहीं गांव के प्रवेश द्वार के समीप ही जमीन को भी चिन्हित करने की बातें हुई थीं, हालांकि इसके लिए उस वक्त तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तब 1.2 65 हेक्टेयर भूमि की डिमांड हॉस्पिटल के लिए भेजी थी, कई टीम आकर सर्वे करती थी,माना जा रहा था कि हॉस्पिटल बनेगा तो यहां से आसपास के सैकड़ों गांवों को इसका फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा कभी हो ही नहीं पाया और अभी तक भी हॉस्पिटल ठंडे बस्ते में है, जिसकी वजह से लोगों में खासा गुस्सा है इतना ही नहीं कई लोग तो इसके लिए वर्तमान सरकार को ही दोषी मानते हैं।तो वहीं गांव के अजय सिंह का कहना है की वो सरकार से यही चाहते हैं कि जो पूर्व में शिलान्यास यहां हुआ था उसे ये सरकार पूरा हरे और यहां हॉस्पिटल बनवाएं ,तो वहीं कई गांव के लोग तो वर्तमान सरकार को भी हॉस्पिटल न बनने के लिए दोषी मानते हैं।

one to one with people....
बाइट...रामबल सिंह,योगेंद्र यादव के भाई(ताऊ के बेटे)
अजय सिंह,ग्रामीण(टी शर्ट पहने हुए)
बाइट..अन्य ग्रामीण।
पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया,




Conclusion:अब इस सब के पीछे कोई वाकई राजनीतिक द्वेष है या फिर कोई और बात है लेकिन फिलहाल इटीवी भारत भी कारगिल विजय दिवस पर देश के परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव के गांव के लोगों को अभी भी कुछ उम्मीद है कि यहां बदलाव आएगा।

श्रीपाल तेवतिया, बुलन्दशहर
9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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