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विद्युत पोल के नीचे दबकर मौसेरी बहनों समेत तीन मासूमों की मौत - bulandshahar news

बुलंदशहर में देर रात खुर्जा में विद्युत पोल के नीचे दबकर तीन मासूमों की मौत हो गई. दरअसल, बकरी चराने गई दो मौसेरी बहनों और एक किशोरी पर विद्युत पोल के चट्टे गिर पड़े. चट्टे गिरने से तीनों उसके नीचे दब गए. जिसके कारण उनकी मौत हो गई. ग्रामीणों ने किसी तरह पोल हटाकर तीनों के शव निकाल कर पुलिस को सूचना दी.

मौसेरी बहनों समेत तीन मासूमों की मौत
मौसेरी बहनों समेत तीन मासूमों की मौत
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Published : Mar 31, 2021, 9:43 AM IST

Updated : Mar 31, 2021, 10:19 AM IST

बुलंदशहर: यूपी के बुलंदशहर में एक दर्दनाक हादसे में बकरी चरा रहे तीन मासूम बच्चों की बिजली के पोल के नीचे दबने से मौत हो गई. खम्भें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की इलेक्ट्रिक लाइन के लिए लाए गए थे. हाल ही में पीएम मोदी ने इस फ्रेट कॉरिडोर का शुभारंभ किया था. जैसे ही घटना की सूचना पुलिस प्रशासन तक पहुंची सीओ और एसडीएम खुर्जा स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बच्चों के शवों को किसी तरह बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया.

मौसेरी बहनों समेत तीन मासूमों की मौत

दुर्घटना का यह है पूरा मामला

दरअसल, खुर्जा कोतवाली देहात के गांव सारावा दादुपुर के पास निर्माणाधीन डिडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के पास तीन नाबालिग बच्चे बकरी चरा रहे थे. आशंका जताई जा रही है कि बकरियों को चराते समय तीनों बच्चे रेलवे लाइन की साइड में पड़े बिजली के खंभों पर बैठ गए. इसी बीच खम्भों का संतुलन बिगड़ गया और खम्भे फिसल गए, जिसकी चपेट में आने से तीनों बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. देर शाम तक जब बच्चे घर नहीं पहुंचे परिजनों ने बच्चों की तलाश शुरू की. बच्चों के शवों को खम्भों के बीच फंसा देख चीखपुकार मच गई. देखते ही देखते सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और किसी तरह बच्चों के शवों को बाहर निकाला गया. वहीं मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने तीनों बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है. उधर मृतक बच्चों के परिजनों ने रेलवे अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगा कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.



तीनों बच्चों की बात करें तो पुल के नीचे दबकर कैसे मौत हुई इस पर पुलिस अभी कुछ भी साफ नहीं कर पा रही है. मौके पर चिट्ठों से गिरे फूल देखकर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि बच्चे धूप और गर्मी से बचने के लिए यहां बैठ गए होंगे. एक चट्टे पर 25 से 30 खंबे रखे हुए हैं.

पिता का सहारा बना था बेटा

वहीं, अजय के पिता ने कहा कि अब घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लूंगा, लेकिन अब कैसे चलेगा घर. यह गम भरी गुहार दहाड़ से मार कर रोते बिलखते हुए मृतक अजय के पिता विनोद लगा रहे थे. उन्हें संभालने के लिए ग्रामीण जुटे थे और वह किसी तरह से उनकी ढांढस बंधा रहे थे. बेटे को याद करते हुए विनोद बेहोश हो गए. उन्होंने बताया कि अजय सबसे बड़ा था और हर कार्य में वह अपने पिता का हाथ बटाता था. विनोद भी किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. ग्रामीणों ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अजय अपने पिता की मदद करने की बात करता था.


बुलंदशहर: यूपी के बुलंदशहर में एक दर्दनाक हादसे में बकरी चरा रहे तीन मासूम बच्चों की बिजली के पोल के नीचे दबने से मौत हो गई. खम्भें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की इलेक्ट्रिक लाइन के लिए लाए गए थे. हाल ही में पीएम मोदी ने इस फ्रेट कॉरिडोर का शुभारंभ किया था. जैसे ही घटना की सूचना पुलिस प्रशासन तक पहुंची सीओ और एसडीएम खुर्जा स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और बच्चों के शवों को किसी तरह बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया.

मौसेरी बहनों समेत तीन मासूमों की मौत

दुर्घटना का यह है पूरा मामला

दरअसल, खुर्जा कोतवाली देहात के गांव सारावा दादुपुर के पास निर्माणाधीन डिडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के पास तीन नाबालिग बच्चे बकरी चरा रहे थे. आशंका जताई जा रही है कि बकरियों को चराते समय तीनों बच्चे रेलवे लाइन की साइड में पड़े बिजली के खंभों पर बैठ गए. इसी बीच खम्भों का संतुलन बिगड़ गया और खम्भे फिसल गए, जिसकी चपेट में आने से तीनों बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. देर शाम तक जब बच्चे घर नहीं पहुंचे परिजनों ने बच्चों की तलाश शुरू की. बच्चों के शवों को खम्भों के बीच फंसा देख चीखपुकार मच गई. देखते ही देखते सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और किसी तरह बच्चों के शवों को बाहर निकाला गया. वहीं मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने तीनों बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है. उधर मृतक बच्चों के परिजनों ने रेलवे अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगा कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.



तीनों बच्चों की बात करें तो पुल के नीचे दबकर कैसे मौत हुई इस पर पुलिस अभी कुछ भी साफ नहीं कर पा रही है. मौके पर चिट्ठों से गिरे फूल देखकर यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि बच्चे धूप और गर्मी से बचने के लिए यहां बैठ गए होंगे. एक चट्टे पर 25 से 30 खंबे रखे हुए हैं.

पिता का सहारा बना था बेटा

वहीं, अजय के पिता ने कहा कि अब घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लूंगा, लेकिन अब कैसे चलेगा घर. यह गम भरी गुहार दहाड़ से मार कर रोते बिलखते हुए मृतक अजय के पिता विनोद लगा रहे थे. उन्हें संभालने के लिए ग्रामीण जुटे थे और वह किसी तरह से उनकी ढांढस बंधा रहे थे. बेटे को याद करते हुए विनोद बेहोश हो गए. उन्होंने बताया कि अजय सबसे बड़ा था और हर कार्य में वह अपने पिता का हाथ बटाता था. विनोद भी किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. ग्रामीणों ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अजय अपने पिता की मदद करने की बात करता था.


Last Updated : Mar 31, 2021, 10:19 AM IST
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