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बुलंदशहर : गन्ने की खेती से मजबूत हो रही किसानों की आर्थिक स्थिति

बुलंदशहर जिले में गन्ने की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है. किसानों का कहना है कि बाकी फसलों की अपेक्षा गन्ने की खेती उनके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है. पिछले पेराई सत्र में जिले के किसानों ने 931 करोड़ रुपये की कीमत का गन्ना खेतों में उगाया और मिलों तक पहुंचाया.

गन्ने की खेती की तरफ बढ़ा किसानों का रुझान.
गन्ने की खेती की तरफ बढ़ा किसानों का रुझान.
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Published : Oct 20, 2020, 3:06 PM IST

बुलंदशहर: गन्ना किसानों के सामने यूं तो कई चुनौतियां हैं, लेकिन उसके बावजूद गन्ने की फसल ही किसान के लिए मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यहां किसानों का रुझान भी इस खेती की तरफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

गन्ने की खेती में बढ़ा किसानों का रुझान

बता दें, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में शुमार बुलंदशहर जनपद को यूं तो कृषि प्रधान जिलों में गिना जाता है. यहां का अन्नदाता अगर किसी फसल पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो वह है हरा सोना यानी गन्ने की खेती. जिले में पिछले कई वर्षों से गन्ने की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि एक समय ऐसा भी था जब किसानों ने बुलंदशहर में इस फसल से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन अगौता शुगर मिल की स्थापना होने के बाद व पास के ही जनपद हापुड़ के बृजनापुर में शुगर मिल की स्थापना होने से जिले के किसानों का रुझान भी बढ़ने लगा और किसानों ने गन्ने की खेती पर विश्वास जताया है.

किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती गन्ने की खेती
गौर करने वाली बात यह भी है कि जिले में यहां वर्तमान समय में करीब 1 लाख 20 हजार से भी अधिक ऐसे किसान हैं जो गन्ने पर भरोसा करते हैं और गन्ने की खेती से जुड़े हैं. जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की मानें तो पिछले पेराई सत्र में जिले के किसानों ने 931 करोड़ रुपए की कीमत का गन्ना खेतों में उगाया और मिलों तक पहुंचाया. अगर छोटे कोल्हुओं और क्रेशर्स की बात की जाए तो यह धनराशि और भी अधिक हो सकता है.

किसानों ने कहा- भरोसेमंद फसल है गन्ना

जिले के बराल गांव से ताल्लुक रखने वाले किसान राजेंद्र चौहान ने बताया कि अन्य फसलों के मुकाबले यह फसल भरोसेमंद है. उन्होंने कहा कि जहां दूसरी तरफ देखा जाता है कि नीलगाय जंगली शूअर और अब तो बेसहारा गोवंश भी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं, वहीं कहीं न कहीं गन्ने की फसल ऐसी है जिसमें नुकसान सबसे कम होता है. कैथाला गांव के युवा किसान परवेंद्र यादव का कहना है कि और कोई फसल इतनी भरोसेमंद नहीं है जिस पर किसान दांव लगा सकें. धान की फसल तो बार-बार सही रेट नहीं मिलने से किसान को रुला ही रही है, ऐसे में सिर्फ गन्ने की ही एक ऐसी फसल है जिसका रेट का निर्धारण होता है और कम से कम शुगर मिल पर उस रेट पर किसान गन्ना डाल सकता है.

बुलंदशहर में पिछले कुछ वर्षों में लगातार यहां क्षेत्रफल यानी रकवा बढ़ा है, यानी कहा जा सकता है कि किसानों ने गन्ने की फसल पर ज्यादा फोकस किया है. 931 करोड़ रुपए का गन्ना जिले के किसानों ने पिछले पेराई सत्र में शुगर मिलों तक पहुंचाया था. जिले की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में यह पैसा अहम योगदान निभाता है, जिसके पीछे है सिर्फ गन्ने की खेती.

- डी.के.सैनी, जिला कृषि अधिकारी, बुलन्दशहर

बुलंदशहर: गन्ना किसानों के सामने यूं तो कई चुनौतियां हैं, लेकिन उसके बावजूद गन्ने की फसल ही किसान के लिए मुख्य फसल है. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यहां किसानों का रुझान भी इस खेती की तरफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

गन्ने की खेती में बढ़ा किसानों का रुझान

बता दें, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में शुमार बुलंदशहर जनपद को यूं तो कृषि प्रधान जिलों में गिना जाता है. यहां का अन्नदाता अगर किसी फसल पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो वह है हरा सोना यानी गन्ने की खेती. जिले में पिछले कई वर्षों से गन्ने की फसल की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि एक समय ऐसा भी था जब किसानों ने बुलंदशहर में इस फसल से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन अगौता शुगर मिल की स्थापना होने के बाद व पास के ही जनपद हापुड़ के बृजनापुर में शुगर मिल की स्थापना होने से जिले के किसानों का रुझान भी बढ़ने लगा और किसानों ने गन्ने की खेती पर विश्वास जताया है.

किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती गन्ने की खेती
गौर करने वाली बात यह भी है कि जिले में यहां वर्तमान समय में करीब 1 लाख 20 हजार से भी अधिक ऐसे किसान हैं जो गन्ने पर भरोसा करते हैं और गन्ने की खेती से जुड़े हैं. जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की मानें तो पिछले पेराई सत्र में जिले के किसानों ने 931 करोड़ रुपए की कीमत का गन्ना खेतों में उगाया और मिलों तक पहुंचाया. अगर छोटे कोल्हुओं और क्रेशर्स की बात की जाए तो यह धनराशि और भी अधिक हो सकता है.

किसानों ने कहा- भरोसेमंद फसल है गन्ना

जिले के बराल गांव से ताल्लुक रखने वाले किसान राजेंद्र चौहान ने बताया कि अन्य फसलों के मुकाबले यह फसल भरोसेमंद है. उन्होंने कहा कि जहां दूसरी तरफ देखा जाता है कि नीलगाय जंगली शूअर और अब तो बेसहारा गोवंश भी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं, वहीं कहीं न कहीं गन्ने की फसल ऐसी है जिसमें नुकसान सबसे कम होता है. कैथाला गांव के युवा किसान परवेंद्र यादव का कहना है कि और कोई फसल इतनी भरोसेमंद नहीं है जिस पर किसान दांव लगा सकें. धान की फसल तो बार-बार सही रेट नहीं मिलने से किसान को रुला ही रही है, ऐसे में सिर्फ गन्ने की ही एक ऐसी फसल है जिसका रेट का निर्धारण होता है और कम से कम शुगर मिल पर उस रेट पर किसान गन्ना डाल सकता है.

बुलंदशहर में पिछले कुछ वर्षों में लगातार यहां क्षेत्रफल यानी रकवा बढ़ा है, यानी कहा जा सकता है कि किसानों ने गन्ने की फसल पर ज्यादा फोकस किया है. 931 करोड़ रुपए का गन्ना जिले के किसानों ने पिछले पेराई सत्र में शुगर मिलों तक पहुंचाया था. जिले की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में यह पैसा अहम योगदान निभाता है, जिसके पीछे है सिर्फ गन्ने की खेती.

- डी.के.सैनी, जिला कृषि अधिकारी, बुलन्दशहर

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